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ओलावृष्टि ने मटर की फसल को किया बर्बाद, काश्तकारों ने सरकार से मांगा मुआवजा

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Published : Apr 17, 2020, 6:26 PM IST

पुरोला में ओलावृष्टि से मटर की फसल नष्ट हो गई है. ये ही वजह है कि काश्तकारों की मटर की फसल को मंडियों में उचित रेट नहीं मिल पा रहे हैं. जिससे काश्तकारों ने सरकार से मटर की क्षतिपूर्ति की उचित मुआवजे की मांग की है.

Purola
मटर की फसल नष्ट

पुरोला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जहां पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है. वहीं, अन्नदाता भी इससे अछूते नहीं है. पुरोला में ओलावृष्टि ने मटर की फसल को बर्बाद कर दिया. काश्तकारों ने सरकार से मटर की क्षतिपूर्ति के लिए उचित मुआवजे की मांग की है.

ओलावृष्टि से मटर की फसल बर्बाद.

उत्तरकाशी जनपद की रवाई घाटी में लगभग 2000 हेक्टेयर भूमि पर मटर की खेती की जाती है. लेकिन इस बार बे-मौसमी बरसात और ओलावृष्टि ने मटर की पूरी फसल बर्बाद कर दी. साथ ही अन्य फसलों को भी काफी क्षति पहुंची है. जिससे आम काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर किसानों की खेती-बाड़ी पर पड़ रहा है तो सरकार को चाहिए कि किसानों के लिए कोई ठोस नीति बनाकर इनके आर्थिक नुकसान की भरपाई को पूरा किया जा सके.

पढ़ें: जरुरतमंदों लोगों तक शिक्षकों के जरिए पहुंचेगी राहत सामाग्री, 19 अप्रैल से शुरू किया जाएगा वितरण

लॉकडाउन के चलते काश्तकारों की मटर को मंडियों में ग्राहक न मिलने से उचित रेट नहीं मिल पा रहे हैं. जिससे काश्तकारों के बीज और खाद के पैसे तक नहीं निकल पा रहे हैं. काश्तकारों को अब साहूकारों और बैंक से लिए ऋण की चिंता सताए जा रही है. काश्तकारों ने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है.

पुरोला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जहां पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है. वहीं, अन्नदाता भी इससे अछूते नहीं है. पुरोला में ओलावृष्टि ने मटर की फसल को बर्बाद कर दिया. काश्तकारों ने सरकार से मटर की क्षतिपूर्ति के लिए उचित मुआवजे की मांग की है.

ओलावृष्टि से मटर की फसल बर्बाद.

उत्तरकाशी जनपद की रवाई घाटी में लगभग 2000 हेक्टेयर भूमि पर मटर की खेती की जाती है. लेकिन इस बार बे-मौसमी बरसात और ओलावृष्टि ने मटर की पूरी फसल बर्बाद कर दी. साथ ही अन्य फसलों को भी काफी क्षति पहुंची है. जिससे आम काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर किसानों की खेती-बाड़ी पर पड़ रहा है तो सरकार को चाहिए कि किसानों के लिए कोई ठोस नीति बनाकर इनके आर्थिक नुकसान की भरपाई को पूरा किया जा सके.

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लॉकडाउन के चलते काश्तकारों की मटर को मंडियों में ग्राहक न मिलने से उचित रेट नहीं मिल पा रहे हैं. जिससे काश्तकारों के बीज और खाद के पैसे तक नहीं निकल पा रहे हैं. काश्तकारों को अब साहूकारों और बैंक से लिए ऋण की चिंता सताए जा रही है. काश्तकारों ने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है.

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