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कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद प्रशासन ने नहीं ली सुध, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा - basic amenities not in Githia Namke Tok Containment Zone

मालती गांव के गीठिया नामे तोक में आज ग्रामीणों की हंगामे की सूचना पर बीडीओ मौके पर पहुंची. कंटेनमेंट जोन होने के कारण बीडीओ को लोगों को विरोध झेलना पड़ा.

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कंटेनमेंट जोन बनाये जाने के बाद भी नहीं पहुंची सुविधाएं
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Published : Jul 9, 2020, 5:58 PM IST

उत्तरकाशी: डुंडा ब्लॉक के मालती गांव के गीठिया नामे तोक में बनाए गए कंटेनमेंट जोन में प्रशासन की ओर से मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचाई जा रही हैं. जिसके कारण गुरुवार को ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. ग्रामीणों ने जोन के गेट पर जमकर हंगामा किया. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 16 दिनों से उन्हें उनके हालात पर छोड़ दिया गया है. वहीं ग्रामीणों के हंगामे की सूचना पर बीडीओ भी 16 दिन बाद मौके पर पहुंची.

कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद प्रशासन ने नहीं ली सुध.

पिछले तीन सप्ताह पहले डुंडा ब्लॉक के मातली गांव के गीठिया नामे तोक में एक प्रवासी युवक कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. जिसके बाद जिला प्रशासन ने गीठिया तोक को कंटेनमेंट जोन घोषित किया था. साथ ही आवाजाही पर पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है.

पढ़ें- उत्तराखंड: 3,258 पहुंचा कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा, अब तक 46 मरीजों की मौत

जिसके बाद ग्रामीणों का आरोप है कि 16 दिन कंटेनमेंट जोन में रहने के बाद भी प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है. जबकि, नियमों के हिसाब से सभी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना प्रशासन की जिम्मेदारी है. ग्रामीणों का कहना है कि गीठिया नामे तोक में करीब 60 से 70 परिवार रहते हैं, जिनके सामने खाने-पीने की समस्याओं का संकट पैदा हो गया. साथ ही गाय और अन्य मवेशियों के लिए इन दिनों में चारे की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

उत्तरकाशी: डुंडा ब्लॉक के मालती गांव के गीठिया नामे तोक में बनाए गए कंटेनमेंट जोन में प्रशासन की ओर से मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचाई जा रही हैं. जिसके कारण गुरुवार को ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. ग्रामीणों ने जोन के गेट पर जमकर हंगामा किया. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 16 दिनों से उन्हें उनके हालात पर छोड़ दिया गया है. वहीं ग्रामीणों के हंगामे की सूचना पर बीडीओ भी 16 दिन बाद मौके पर पहुंची.

कंटेनमेंट जोन बनाए जाने के बाद प्रशासन ने नहीं ली सुध.

पिछले तीन सप्ताह पहले डुंडा ब्लॉक के मातली गांव के गीठिया नामे तोक में एक प्रवासी युवक कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. जिसके बाद जिला प्रशासन ने गीठिया तोक को कंटेनमेंट जोन घोषित किया था. साथ ही आवाजाही पर पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है.

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जिसके बाद ग्रामीणों का आरोप है कि 16 दिन कंटेनमेंट जोन में रहने के बाद भी प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है. जबकि, नियमों के हिसाब से सभी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना प्रशासन की जिम्मेदारी है. ग्रामीणों का कहना है कि गीठिया नामे तोक में करीब 60 से 70 परिवार रहते हैं, जिनके सामने खाने-पीने की समस्याओं का संकट पैदा हो गया. साथ ही गाय और अन्य मवेशियों के लिए इन दिनों में चारे की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

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