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शिक्षा की अनोखी चौपाल: आखर ज्ञान सीख रही हैं दादी, नानी, बुआ और मामी - education chaupal in uttarkashi

उत्तरकाशी के विकासखंड भटवाड़ी के लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से शिक्षित हो रही हैं.

education chaupal in uttarkashi
उत्तरकाशी
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Published : Mar 22, 2021, 1:43 PM IST

Updated : Mar 22, 2021, 3:05 PM IST

उत्तरकाशीः इनदिनों जिले की बुजुर्ग महिलाएं अक्षर ज्ञान सीख रही हैं. जीवन के 60 से ज्यादा बसंत देख चुकीं ये बुजुर्ग महिलाएं किसी की दादी हैं तो किसी की नानी. पोते-पोतियों के पढ़ने-लिखने की उम्र में इन दादी-नानियों ने खुद कलम उठाई है और साक्षर बनने की ओर कदम बढ़ाया है.

कॉपी पर पेंसिल से अ...आ...इ...ई... लिख रहीं ये दादी-नानी, रेखाएं से रेखाएं मिलाकर आखर ज्ञान सीख रही हैं. उत्तराखंड के पहाड़ी जिले उत्तरकाशी में इन दिनों ये नजारा आम हो गया है. दरअसल, ये महिलाएं हर रोज एक अनोखी चौपाल लगा रही हैं. कभी घरों में सिमटकर रहने वाली ये महिलाएं उम्र की एक दहलीज पार करने के बाद अब ओट से निकलकर बाहर आ रही हैं और सीख रही हैं आखर ज्ञान.

education chaupal in uttarkashi
शिक्षा की अनोखी चौपाल.

हर रोज घर का दिनभर का काम-काज निपटाकर शाम होते ही गांव की दादी-नानी अपनी सखी-सहेलियों को लेकर चौपाल पर पहुंचती हैं. पहाड़ में पहाड़ जैसे हौसलों के साथ जीवन जीने वाली ये महिलाएं चौपाल में बड़े उत्साह के साथ कॉपी-पेंसिंल लेकर आती हैं. इस क्लास में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक साक्षर हो रही हैं.

अपना नाम लिखना और आखर पढ़ना सीख गई हैं दादी, बुआ, नानी

ये भी पढ़ेंः ऋषिकेश से जापानियों को गीता का ज्ञान दे रहीं आचार्य राधा

वैसे तो हर गांव में चौपाल लगना आम बात है लेकिन यहां आम चौपाल नहीं बल्कि शिक्षा की चौपाल लगती है. विकासखंड भटवाड़ी के लोन्थरु और सिरोर गांवों में चौपालों पर अलग ही माहौल देखने को मिलता है. अंगूठा लगाना छोड़ ये महिलाएं किताबों पर रेखाएं खींचकर आखर से आखर मिलाना सीख रही हैं. शिक्षा को लेकर इन महिलाओं का उत्साह वाकई में देखने लायक है.

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लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से हो रहीं शिक्षित

उत्तरकाशी जिला प्रशासन की पहल का स्वागत करते हुए इन बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस उम्र में शिक्षा लेने में कोई हिचक नहीं है. पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उन्हें सही समय पर शिक्षा हासिल नहीं हुई थी. ऐसे में इस उम्र में ही सही, सभी महिलाएं जोश और जुनून के साथ पढ़ाई कर रही हैं. कुछ तो अपने साइन करना भी सीख गई हैं. दरअसल, बुजुर्ग महिलाओं को शिक्षित करने की ये पहल जिला प्रशासन द्वारा की गई है. भटवाड़ी विकासखंड में 3,115 निरक्षर हैं, जिनके लिए मॉडल साक्षर विकासखंड योजना शुरू की गई है.

uttarkashi
लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से हो रहीं शिक्षित

गांव की बुजुर्ग विजरा देवी का कहना है कि, 'चौपाल के माध्यम से शिक्षित होने एक सुखद अनुभव है, किसी के यहां कोई महिला बगैर शिक्षा के नहीं रहेगी. अगर गांव में कोई आएगा तो ऐसे में खुले मन से लोगों को बातचीत कर सकेंगे. कम से कम अक्षर बोध होना चाहिए. गांव की महिला अनपढ़ नहीं रहनी चाहिए. आएगा तभी जब सीखेंगे.'

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पढ़ना लिखना सीख रहीं बुजुर्ग महिलाएं.

वहीं, ग्रामीण सोना देवी पढ़ाई को लेकर अपने अनुभव के बारे में बताती हैं. वो कहती हैं कि ये विचार उनकी भलाई के लिए ही है. अभी वो नाम लिखना सीख गई हैं, अभी तक तो अंगूठा लगाती थीं.

education chaupal in uttarkashi
लिखना सीख रही ग्रामीण महिला.
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लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से हो रहीं शिक्षित

ये भी पढ़ेंः फिर सुर्खियों में आए CM तीरथ, फटी जींस के बाद 'शॉर्ट्स' पर दिया 'ज्ञान'

इस पाठशाला को लेकर बुजुर्ग महिलाओं में काफी उत्साह दिख रहा है. गौर हो कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार केरल के बाद दिल्ली 88.7 (अठासी) प्रतिशत के साथ साक्षरता दर के साथ दूसरे स्थान पर है. उत्तराखंड 87.6 (सतासी) प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. पहाड़ी राज्य का ये आंकड़ा और सुधरे इसको लेकर ग्रामीण जनपदों में ऐसी पहल होना सराहनीय है.

उत्तरकाशीः इनदिनों जिले की बुजुर्ग महिलाएं अक्षर ज्ञान सीख रही हैं. जीवन के 60 से ज्यादा बसंत देख चुकीं ये बुजुर्ग महिलाएं किसी की दादी हैं तो किसी की नानी. पोते-पोतियों के पढ़ने-लिखने की उम्र में इन दादी-नानियों ने खुद कलम उठाई है और साक्षर बनने की ओर कदम बढ़ाया है.

कॉपी पर पेंसिल से अ...आ...इ...ई... लिख रहीं ये दादी-नानी, रेखाएं से रेखाएं मिलाकर आखर ज्ञान सीख रही हैं. उत्तराखंड के पहाड़ी जिले उत्तरकाशी में इन दिनों ये नजारा आम हो गया है. दरअसल, ये महिलाएं हर रोज एक अनोखी चौपाल लगा रही हैं. कभी घरों में सिमटकर रहने वाली ये महिलाएं उम्र की एक दहलीज पार करने के बाद अब ओट से निकलकर बाहर आ रही हैं और सीख रही हैं आखर ज्ञान.

education chaupal in uttarkashi
शिक्षा की अनोखी चौपाल.

हर रोज घर का दिनभर का काम-काज निपटाकर शाम होते ही गांव की दादी-नानी अपनी सखी-सहेलियों को लेकर चौपाल पर पहुंचती हैं. पहाड़ में पहाड़ जैसे हौसलों के साथ जीवन जीने वाली ये महिलाएं चौपाल में बड़े उत्साह के साथ कॉपी-पेंसिंल लेकर आती हैं. इस क्लास में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक साक्षर हो रही हैं.

अपना नाम लिखना और आखर पढ़ना सीख गई हैं दादी, बुआ, नानी

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वैसे तो हर गांव में चौपाल लगना आम बात है लेकिन यहां आम चौपाल नहीं बल्कि शिक्षा की चौपाल लगती है. विकासखंड भटवाड़ी के लोन्थरु और सिरोर गांवों में चौपालों पर अलग ही माहौल देखने को मिलता है. अंगूठा लगाना छोड़ ये महिलाएं किताबों पर रेखाएं खींचकर आखर से आखर मिलाना सीख रही हैं. शिक्षा को लेकर इन महिलाओं का उत्साह वाकई में देखने लायक है.

education chaupal in uttarkashi
लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से हो रहीं शिक्षित

उत्तरकाशी जिला प्रशासन की पहल का स्वागत करते हुए इन बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस उम्र में शिक्षा लेने में कोई हिचक नहीं है. पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उन्हें सही समय पर शिक्षा हासिल नहीं हुई थी. ऐसे में इस उम्र में ही सही, सभी महिलाएं जोश और जुनून के साथ पढ़ाई कर रही हैं. कुछ तो अपने साइन करना भी सीख गई हैं. दरअसल, बुजुर्ग महिलाओं को शिक्षित करने की ये पहल जिला प्रशासन द्वारा की गई है. भटवाड़ी विकासखंड में 3,115 निरक्षर हैं, जिनके लिए मॉडल साक्षर विकासखंड योजना शुरू की गई है.

uttarkashi
लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से हो रहीं शिक्षित

गांव की बुजुर्ग विजरा देवी का कहना है कि, 'चौपाल के माध्यम से शिक्षित होने एक सुखद अनुभव है, किसी के यहां कोई महिला बगैर शिक्षा के नहीं रहेगी. अगर गांव में कोई आएगा तो ऐसे में खुले मन से लोगों को बातचीत कर सकेंगे. कम से कम अक्षर बोध होना चाहिए. गांव की महिला अनपढ़ नहीं रहनी चाहिए. आएगा तभी जब सीखेंगे.'

education chaupal in uttarkashi
पढ़ना लिखना सीख रहीं बुजुर्ग महिलाएं.

वहीं, ग्रामीण सोना देवी पढ़ाई को लेकर अपने अनुभव के बारे में बताती हैं. वो कहती हैं कि ये विचार उनकी भलाई के लिए ही है. अभी वो नाम लिखना सीख गई हैं, अभी तक तो अंगूठा लगाती थीं.

education chaupal in uttarkashi
लिखना सीख रही ग्रामीण महिला.
education chaupal in uttarkashi
लोन्थरु और सिरोर गांव में बुजुर्ग महिलाएं चौपाल के माध्यम से हो रहीं शिक्षित

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इस पाठशाला को लेकर बुजुर्ग महिलाओं में काफी उत्साह दिख रहा है. गौर हो कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार केरल के बाद दिल्ली 88.7 (अठासी) प्रतिशत के साथ साक्षरता दर के साथ दूसरे स्थान पर है. उत्तराखंड 87.6 (सतासी) प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है. पहाड़ी राज्य का ये आंकड़ा और सुधरे इसको लेकर ग्रामीण जनपदों में ऐसी पहल होना सराहनीय है.

Last Updated : Mar 22, 2021, 3:05 PM IST
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