ETV Bharat / state

विदेशी लकड़ियों से बनी ईको हट्स बनीं खंडहर, करोड़ों रुपये बर्बाद

टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण सरकार की योजनाएं विफल हो जाती हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिला है ईको टूरिज्म योजना को लेकर. करोड़ों की लागत से बनी ईको हट्स आज खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं.

eco-huts
इको हट्स
author img

By

Published : Dec 30, 2019, 10:35 AM IST

Updated : Dec 30, 2019, 11:07 AM IST

पुरोला: प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में टूरिज्म को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए साल 2013 में पहाड़ी कन्दराओं में ईको हट्स का निर्माण कराया था. इन हट्स के निर्माण करवाने का मकसद राज्य में पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देना था. साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों को अच्छी सुविधा मिल सके, लेकिन सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण करोड़ों रुपये की विलायती लकड़ियों से बने ईको हट्स निर्माण के छह साल बाद भी खंडहर होने को मजबूर हैं.

विकासखंड मोरी के गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्र के सांकरी, तालुका, ओसला, हरकीदून में उत्तर प्रदेश निर्माण निगम द्वारा साल 2013 में लगभग 12 करोड़ की लागत से ईको हट्स का निर्माण कराया गया था. इस निर्माण में गजब की बात ये है कि ये पूरी तरह से विदेशी लकड़ियों से निर्मित हैं, जबकि स्थानीय स्तर पर बेशकीमती लकड़ियों की भरमार है.

ये भी पढ़ें: देहरादून: लूटकांड में फरार इनामी आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार, भेजा जेल

इस ईको हट्स को बनाने का मकसद राज्य में युवाओं को ईको टूरिज्म से जोड़ने और स्थानीय स्तर पर रोजगार की सुविधा उपलब्ध करवाना था, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते ईको हट्स जर्जर हो चुकी हैं लेकिन विभाग इसकी सुध लेने को भी तैयार नहीं है.

पुरोला: प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में टूरिज्म को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए साल 2013 में पहाड़ी कन्दराओं में ईको हट्स का निर्माण कराया था. इन हट्स के निर्माण करवाने का मकसद राज्य में पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देना था. साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों को अच्छी सुविधा मिल सके, लेकिन सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण करोड़ों रुपये की विलायती लकड़ियों से बने ईको हट्स निर्माण के छह साल बाद भी खंडहर होने को मजबूर हैं.

विकासखंड मोरी के गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्र के सांकरी, तालुका, ओसला, हरकीदून में उत्तर प्रदेश निर्माण निगम द्वारा साल 2013 में लगभग 12 करोड़ की लागत से ईको हट्स का निर्माण कराया गया था. इस निर्माण में गजब की बात ये है कि ये पूरी तरह से विदेशी लकड़ियों से निर्मित हैं, जबकि स्थानीय स्तर पर बेशकीमती लकड़ियों की भरमार है.

ये भी पढ़ें: देहरादून: लूटकांड में फरार इनामी आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार, भेजा जेल

इस ईको हट्स को बनाने का मकसद राज्य में युवाओं को ईको टूरिज्म से जोड़ने और स्थानीय स्तर पर रोजगार की सुविधा उपलब्ध करवाना था, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते ईको हट्स जर्जर हो चुकी हैं लेकिन विभाग इसकी सुध लेने को भी तैयार नहीं है.

Intro:स्थान-पुरोला
एंकर-प्रदेश सरकार नें पर्वतीय छेत्रों में टूरिज़म को बढ़ावा देने व स्थानीय स्तर पर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के मकसद से वर्ष 2013 में पहाड़ी कन्दराओं में एको हट्स का निर्माण कराया था । जिससे राज्य में पर्यटन व्यवसाय को गति मिल सके,साथ ही देश विदेश के पर्यटकों को अच्छी सुविधा मिल सके । लेकिन सरकारी तंत्र में व्याप्त भरस्टाचार के चलते ,करोडों रुपये की लागत से विलायती लकड़ियों द्वारा निर्मित इको हट्स निर्माण के 6 साल बाद भी, बिना हस्तांतरण के खंडर बनने की कगार पर है । पेश है एक ख़ास रिपोर्ट,,,,।


Body:वीओ-मोरी के गोविंद वन्य जीव विहार छेत्र के सांकरी, तालुका,ओसला,हरकीदून में उत्तर प्रदेष निर्माण निगम द्वारा वर्ष 2013 में लगभग 12 करोड़ लागत से तैयार इको हट्स का निर्माण किया गया । इस निर्माण में गजब की बात तो ये है कि ये पूरी तरह विदेशी लकड़ियों से निर्मित हैं ।जबकि स्थानिय स्तर पर बेसकीमती लकड़ियों की भरमार है। इसका मकसद राज्य में युवाओं को इको टूरिज़्म से जोड़ने व स्थानीय स्तर पर रोजगार के द्वार खोल,विदेशि पर्यटकों को अच्छी सुविधा मुहैया करवाना था ।
लेकिन भ्रष्ट तंत्र के चलते न नौ मन तेल निकला और ना ही राधा नाची करोड़ों रुपए की लागत से बन रहा यह ईकोटूरिज्म हट जर्जर हो चुका है लेकिन विभाग है कि सुध लेने को तैयार नहीं वहीं पर्यटन विभाग पहाड़ों में पर्यटन को बढ़ाने की बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है
विवाह की इस कार्यप्रणाली से स्थानीय स्तर पर लोग खासे नाराज हैं लोगों का कहना है सरकार इसे खुद संचालित करें या स्थानीय स्तर पर लोगों को लीज पर दे दे जिससे इसके बनाने का मकसद स्पष्ट हो सके
बाईट -सैंजी राम (स्थानिय)
बाईट-पैंजी राम (स्थानिय)
बाईट- राजू (स्थानिय)





Conclusion:वीओ- पर्यटन के नाम पर करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाली बहारी कार्यदाई संस्था को जीरो टॉलरेंस की सरकार वाक ओवर देती है या जन अपेक्छा के अनुसार कोई ठोस कार्याही करती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा ,लेकिन राज्य में पर्यटन के नाम पर पैसा बनाने वालों का काम बदस्तूर जारी है लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं जिसका खामियाजा जमीनी स्तर पर आम लोगों को उठाना पड़ रहा है बावजूद इसके कोई भी सरकार इस ओर ठोस ध्यान नहीं दे रही है
Last Updated : Dec 30, 2019, 11:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.