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राजाजी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील क्षेत्रों ने बढ़ाई चिंता, फॉरेस्ट फायर को लेकर इन रेंजों पर खास फोकस - UTTARAKHAND FOREST FIRE

उत्तराखंड में वनाग्नि को लेकर संवेदनशील क्षेत्रों ने अफसरों की चिंता बढ़ा दी. राजाजी टाइगर रिजर्व के कुछ क्षेत्रों पर विशेष नजर रखी जा रही.

UTTARAKHAND FOREST FIRE
राजाजी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील क्षेत्रों ने बढ़ाई चिंता (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 17, 2025, 10:43 PM IST

Updated : Feb 17, 2025, 10:55 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में सबसे ज्यादा फोकस उन क्षेत्रों पर है, जहां हर साल वनाग्नि की घटनाएं रिकॉर्ड की जा रही है. खासकर राजाजी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील के कुछ क्षेत्रों काफी अहम हैं. इसलिए अधिकारियों की चिंता राजाजी टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए संरक्षित कुछ खास क्षेत्रों को आग से बचाने की है. राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने फॉरेस्ट फायर को देखते हुए कुछ खास इलाके चिन्हित भी कर लिए हैं.

राजाजी टाइगर रिजर्व में वैसे तो 10 रेंज हैं. लेकिन टाइगर रिजर्व प्रबंधन की तरफ से 3 रेंज को संवेदनशील माना गया है. इसमें पहला नाम गौहरी रेंज का है. जिसका नीलकंठ, गरुड़ चट्टी और फूल चट्टी इलाका आग की चपेट में आता रहा है. पुराने रिकॉर्ड्स देखने के बाद वन विभाग के अधिकारी इन क्षेत्रों को आग से बचाने के लिए नई रणनीति के साथ प्रयास करते हुए दिखाई देंगे.

राजाजी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील क्षेत्रों ने बढ़ाई चिंता (VIDEO- ETV Bharat)

दूसरी रेंज हरिद्वार है, जो शहरी क्षेत्र के पास है. इसका मनसा देवी मंदिर क्षेत्र जंगल की आग से प्रभावित दिखा है. जबकि रामगढ़ रेंज में भी जंगल जलने से जुड़े फायर अलर्ट मिलते रहे हैं.

यह तीनों ही क्षेत्र हरिद्वार-ऋषिकेश के आसपास के हैं. इंसानी बस्तियां भी उनके करीब है. ऐसे में तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. ताकि इन संवेदनशील क्षेत्रों को बारीकी से मॉनिटर किया जा सके. इन क्षेत्रों में जहां ड्रोन से निगरानी को लेकर पहले ही वन विभाग के कर्मचारी प्रशिक्षित किए जा चुके हैं तो वहीं इसकी जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) मॉनिटरिंग भी अब हो रही है.

राजाजी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर महातिम यादव ने कहा,

फॉरेस्ट फायर सीजन में संरक्षित क्षेत्र के भीतर आग बुझाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में टाइगर रिजर्व में काफी समय से इसके लिए तैयारी की जा रही थी. इसके लिए पुराने रिकॉर्ड्स को भी खंगाला गया है. इसी आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित करने के बाद इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं.

राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने फायर लाइन की सफाई, नियमित फुकान का काम किया है. इसके लिए निगरानी सिस्टम को बेहतर करते हुए ईस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग और वेस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग की दो विंग तैयार की गई है. ईस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग में चीला, रवासन और गौहरी रेंज को रखा गया है. जबकि वेस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग में बाकी सभी 7 रेंज मोतीचूर, कांसरो, रामगढ़, चिल्लावली, हरिद्वार, बेरीवाडा, धौलखंड रेंज रखी गई है.

इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कर्मचारी सुबह और शाम मिलाकर कुल करीब 3 घंटे फॉरेस्ट फायर नियंत्रण से जुड़े कामों जिसमें निगरानी भी शामिल है को करें. इस दौरान कर्मचारी फील्ड में जाकर व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अपने कामों को भी सार्वजनिक करेंगे.

ये भी पढ़ेंः मदमहेश्वर घाटी के जंगलों में लगी भीषण आग, लाखों की वन संपदा राख, वन विभाग ने शुरू की मशक्कत

ये भी पढ़ेंः 7 जिलों में फॉरेस्ट फायर रोकने के लिए मॉक ड्रिल, दून में सीएम धामी रहे मौजूद, अफसरों को सख्त निर्देश

देहरादूनः उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में सबसे ज्यादा फोकस उन क्षेत्रों पर है, जहां हर साल वनाग्नि की घटनाएं रिकॉर्ड की जा रही है. खासकर राजाजी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील के कुछ क्षेत्रों काफी अहम हैं. इसलिए अधिकारियों की चिंता राजाजी टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए संरक्षित कुछ खास क्षेत्रों को आग से बचाने की है. राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने फॉरेस्ट फायर को देखते हुए कुछ खास इलाके चिन्हित भी कर लिए हैं.

राजाजी टाइगर रिजर्व में वैसे तो 10 रेंज हैं. लेकिन टाइगर रिजर्व प्रबंधन की तरफ से 3 रेंज को संवेदनशील माना गया है. इसमें पहला नाम गौहरी रेंज का है. जिसका नीलकंठ, गरुड़ चट्टी और फूल चट्टी इलाका आग की चपेट में आता रहा है. पुराने रिकॉर्ड्स देखने के बाद वन विभाग के अधिकारी इन क्षेत्रों को आग से बचाने के लिए नई रणनीति के साथ प्रयास करते हुए दिखाई देंगे.

राजाजी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील क्षेत्रों ने बढ़ाई चिंता (VIDEO- ETV Bharat)

दूसरी रेंज हरिद्वार है, जो शहरी क्षेत्र के पास है. इसका मनसा देवी मंदिर क्षेत्र जंगल की आग से प्रभावित दिखा है. जबकि रामगढ़ रेंज में भी जंगल जलने से जुड़े फायर अलर्ट मिलते रहे हैं.

यह तीनों ही क्षेत्र हरिद्वार-ऋषिकेश के आसपास के हैं. इंसानी बस्तियां भी उनके करीब है. ऐसे में तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है. ताकि इन संवेदनशील क्षेत्रों को बारीकी से मॉनिटर किया जा सके. इन क्षेत्रों में जहां ड्रोन से निगरानी को लेकर पहले ही वन विभाग के कर्मचारी प्रशिक्षित किए जा चुके हैं तो वहीं इसकी जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) मॉनिटरिंग भी अब हो रही है.

राजाजी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर महातिम यादव ने कहा,

फॉरेस्ट फायर सीजन में संरक्षित क्षेत्र के भीतर आग बुझाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में टाइगर रिजर्व में काफी समय से इसके लिए तैयारी की जा रही थी. इसके लिए पुराने रिकॉर्ड्स को भी खंगाला गया है. इसी आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित करने के बाद इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं.

राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने फायर लाइन की सफाई, नियमित फुकान का काम किया है. इसके लिए निगरानी सिस्टम को बेहतर करते हुए ईस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग और वेस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग की दो विंग तैयार की गई है. ईस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग में चीला, रवासन और गौहरी रेंज को रखा गया है. जबकि वेस्ट राजाजी फायर मॉनिटरिंग में बाकी सभी 7 रेंज मोतीचूर, कांसरो, रामगढ़, चिल्लावली, हरिद्वार, बेरीवाडा, धौलखंड रेंज रखी गई है.

इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कर्मचारी सुबह और शाम मिलाकर कुल करीब 3 घंटे फॉरेस्ट फायर नियंत्रण से जुड़े कामों जिसमें निगरानी भी शामिल है को करें. इस दौरान कर्मचारी फील्ड में जाकर व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अपने कामों को भी सार्वजनिक करेंगे.

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Last Updated : Feb 17, 2025, 10:55 PM IST
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