ETV Bharat / state

इस मंदिर में दर्शन के दौरान राजा नरेंद्र शाह को हो गया था अपनी मृत्यु का एहसास, मांगी थी ये खास मन्नत

डुंडा में स्थित मां रेणुका देवी को गढ़ बरसाली समेत डुंडा क्षेत्र के लोग आराध्य देवी के रूप में पूजते हैं. इन दिनों यहां पर दूर-दूर से भक्त पूजा-पाठ करने पहुंच रहे हैं. माना जाता है कि जो भी भक्त मां रेणुका की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है. साथ ही धन संपदा का वरदान भी देती है.

रेणुका मंदिर में भक्त
author img

By

Published : Apr 9, 2019, 9:06 AM IST

उत्तरकाशीः इन दिनों चैत्र नवरात्रि चल रही है. श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इसी क्रम में डुंडा और गढ़ बरसाली समेत गढ़वाल के कई इलाकों से श्रद्धालु डुंडा में स्थित मां रेणुका देवी मंदिर पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के मौके पर इस सिद्धपीठ रेणुका मंदिर में नवरात्र के पाठ चल रहे हैं. स्थानीय ग्रामीण घर में किसी भी अनुष्ठान और शुभ कार्य करने से पहले मां रेणुका की अनुमति लेते हैं. वहीं, आस्था के प्रतीक इस मंदिर में टिहरी नरेश भी हर साल मां रेणुका की विशेष पूजा करने उत्तरकाशी पहुंचते थे.

जानकारी देते पंडित गंगाधर जोशी.


बता दें कि डुंडा में स्थित मां रेणुका देवी को गढ़ बरसाली समेत डुंडा क्षेत्र के लोग आराध्य देवी के रूप में पूजते हैं. इन दिनों यहां पर दूर-दूर से भक्त पूजा-पाठ करने पहुंच रहे हैं. माना जाता है कि जो भी भक्त मां रेणुका की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है. साथ ही धन संपदा का वरदान भी देती हैं. यहां पर मां रेणुका आदि अनादि काल से स्थित हैं. इस मंदिर की पूजा जोशी पंडित ही करते हैं. रेणुका माता मंदिर के पुजारी गंगाधर जोशी ने बताया कि मां रेणुका, परशुराम जी की माता थीं. इसलिए रेणुका मां के साथ परशुराम की पूजा होती है, जो बल बुद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

ये भी पढ़ेंः लोकसभा चुनावः जानें लोकतंत्र के पर्व में 'कीमत एक वोट की'

पंडित गंगाधर जोशी ने बताया कि टिहरी रियासत के जो भी राजा उत्तरकाशी दौरे पर आते थे, वो रेणुका माता का आशीर्वाद और पूजा करने के बाद ही जाते थे. मां रेणुका को लेकर टिहरी रियासत के राजघराने की अटूट आस्था थी. इसलिए हर साल राजघराना मां की पूजा-अर्चना के लिए डुंडा पहुंचते थे. जोशी बताते है कि राजा नरेंद्र शाह जब मां के दरबार में आये थे, तो उन्हें आभास हो गया था कि अब उनकी उम्र काफी कम बच्ची है. उस दौरान वो मां से आखिरी बार ये कह कर गए थे कि अब उनकी अंतिम भेंट है. साथ ही राजघराने पर अपनी कृपा बना रखने की मन्नत मांगी थी.

उत्तरकाशीः इन दिनों चैत्र नवरात्रि चल रही है. श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इसी क्रम में डुंडा और गढ़ बरसाली समेत गढ़वाल के कई इलाकों से श्रद्धालु डुंडा में स्थित मां रेणुका देवी मंदिर पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के मौके पर इस सिद्धपीठ रेणुका मंदिर में नवरात्र के पाठ चल रहे हैं. स्थानीय ग्रामीण घर में किसी भी अनुष्ठान और शुभ कार्य करने से पहले मां रेणुका की अनुमति लेते हैं. वहीं, आस्था के प्रतीक इस मंदिर में टिहरी नरेश भी हर साल मां रेणुका की विशेष पूजा करने उत्तरकाशी पहुंचते थे.

जानकारी देते पंडित गंगाधर जोशी.


बता दें कि डुंडा में स्थित मां रेणुका देवी को गढ़ बरसाली समेत डुंडा क्षेत्र के लोग आराध्य देवी के रूप में पूजते हैं. इन दिनों यहां पर दूर-दूर से भक्त पूजा-पाठ करने पहुंच रहे हैं. माना जाता है कि जो भी भक्त मां रेणुका की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है. साथ ही धन संपदा का वरदान भी देती हैं. यहां पर मां रेणुका आदि अनादि काल से स्थित हैं. इस मंदिर की पूजा जोशी पंडित ही करते हैं. रेणुका माता मंदिर के पुजारी गंगाधर जोशी ने बताया कि मां रेणुका, परशुराम जी की माता थीं. इसलिए रेणुका मां के साथ परशुराम की पूजा होती है, जो बल बुद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

ये भी पढ़ेंः लोकसभा चुनावः जानें लोकतंत्र के पर्व में 'कीमत एक वोट की'

पंडित गंगाधर जोशी ने बताया कि टिहरी रियासत के जो भी राजा उत्तरकाशी दौरे पर आते थे, वो रेणुका माता का आशीर्वाद और पूजा करने के बाद ही जाते थे. मां रेणुका को लेकर टिहरी रियासत के राजघराने की अटूट आस्था थी. इसलिए हर साल राजघराना मां की पूजा-अर्चना के लिए डुंडा पहुंचते थे. जोशी बताते है कि राजा नरेंद्र शाह जब मां के दरबार में आये थे, तो उन्हें आभास हो गया था कि अब उनकी उम्र काफी कम बच्ची है. उस दौरान वो मां से आखिरी बार ये कह कर गए थे कि अब उनकी अंतिम भेंट है. साथ ही राजघराने पर अपनी कृपा बना रखने की मन्नत मांगी थी.

Intro:हेडलाइन- रेणुका माता डुंडा। Slug-Uk_uttarkashi_vipin negi_godess renuka dunda_08 april 2019. उत्तरकाशी। डुंडा और गढ़ बरसाली सहित गढ़वाल के कई इलाकों में मां रेणुका देवी की पूजा की जाती है। कहते हैं कि माँ रेणुका की जो भी सच्चे मन से भक्ति करता है। माँ रेणुका उसे धन सम्पदा से परिपूर्ण करती हैं। इन दिनों डुंडा के सिद्धपीठ रेणुका मंदिर में नवरात्र के पाठ चल रहे हैं। नवरात्र के तीसरे दिन चन्द्रघण्टा माँ की रेणुका देवी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही भक्तों ने मा का आशीर्वाद लिया। टिहरी नरेश भी हर वर्ष माँ रेणुका की विशेष पूजा करने उत्तरकाशी पहुंचते हैं। कहते हैं कि अंतिम दिनों में टिहरी नरेश नरेंद्र शाह माता से कह कर गए थे कि यह उनकी अंतिम यात्रा होगी।


Body:वीओ-1, जनपद के गढ़ बरसाली सहित डुंडा क्षेत्र में रेणुका माता को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है। साथ ही इस क्षेत्र के ग्रामीण घर मे किसी भी अनुश्ठान या शुभ कार्य करने से पहले माँ रेणुका की अनुमति लेते हैं। साथ ही जो भी भक्त माँ रेणुका की सच्चे मन से भक्ति करते हैं। माँ उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती है। साथ ही धन संपदा का वरदान भी देती है। माँ रेणुका इस क्षेत्र में आदि अनादि काल से हैं। जोशी जाती के पंडित माँ की पूजा अर्चना करते हैं। रेणुका माता मंदिर के पुजारी गंगाधर जोशी ने बताया कि माँ रेणुका ही परशुराम जी की माता थी। इसलिए रेणुका मा के साथ भगवान परशुराम जी की पूजा होती है। जो कि बल बुद्धि का आशीर्वाद देते हैं।


Conclusion:वीओ-2, पंडित गंगाधर जोशी ने बताया कि टिहरी रियासत का जो भी राजा उत्तरकाशी दौरे पर आते थे। तो वह बिना रेणुका माता का आशीर्वाद लिए और पूजा किये बिना नहीं जाते थे। टिहरी रियासत के राजघराने की माँ रेणुका में अटूट आस्था थी।इसलिए हर वर्ष राजघराना माँ की पूजा अर्चना के लिए डुंडा पहुंचते थे। जोशी बताते है कि राजा नरेंद्र शाह जब माँ के दरबार मे आये थे। तो उन्हें आभास हो गया था कि अब उनकी उम्र बहुत कम है। तो वह माँ से आखिरी बार कह कर गए थे कि यह मेरी अंतिम भेंट है और मेरे राजघराने पर अपनी कृपा बना कर रखना। बाईट- गंगाधर जोशी,पुजारी,रेणुका माता मंदिर डुंडा ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.