उत्तरकाशी: उड़ीसा के अभिनेता सभ्यसाची मिश्रा के ट्वीट और प्रयास के बाद चर्चा में आए साल्ड गांव के जगन्नाथ मंदिर में अन्य प्रदेशों के यात्री पहुंचने लगे हैं. जिससे मंदिर समिति सहित ग्रामीण उत्साहित नजर आ रहे हैं. जल्द ही इस मंदिर के दर्शन के लिए जगन्नाथ पुरी के मुख्य महंत जनाार्द्धन पटजोशी महापात्रा पहुंच सकते हैं. इस संबंध में कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही है. बीते सोमवार शाम को गुजरात के करीब 150 यात्री वरुणाघाटी के साल्ड गांव के जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंचे. तभी मंदिर समिति के पदाधिकारियों और ग्रामीणोें ने गुजरात के यात्रियों का जोरदार स्वागत किया.
जगन्नाथ पुरी के मुख्य महंत पहुंचेंगे साल्ड गांव: बता दें कि गत माह उड़ीसा के अभिनेता सभ्यसाची मिश्रा अपनी पत्नी के साथ साल्ड गांव स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंचे थे. तभी उन्होंने दो दिन तक ग्रामीणों के साथ कार्यक्रम आयोजित कर पूरी वीडियोग्राफी की थी. जिसके बाद वह वापस लौटे और इसकी जानकारी ट्विटर पर डाली. मिश्रा के ट्वीट के बाद मंदिर चर्चा में आया और केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान सहित भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वीडियो कॉल पर चर्चा की. सभ्यसाची मिश्रा ने फोन पर जानकारी दी कि जल्द ही बारिश बंद होने के बाद जगन्नाथ पुरी के मुख्य महंत जनाार्द्धन पटजोशी महापात्रा साल्ड गांव आ सकते हैं.
वरुणाघाटी में ईष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं भगवान जगन्नाथ: भगवान जगन्नाथ वरुणाघाटी के 11 गांवों के ग्रामीणों के ईष्ट देव हैं. कहा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर की स्थापना साल्ड गांव में 12 वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी. जिसके प्रमाण मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के पीछे लिखा है. जिसे ग्रामीणों ने दो वर्ष पूर्व नए मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देखा था.
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पंडित के घर जन्मे थे भगवान जगन्नाथ: जगन्नाथ मंदिर पर शोध संकलन कर चुके साल्ड गांव निवासी राजनैतिक विज्ञान के प्रवक्ता बलवीर राणा बताते हैं कि मान्यता है कि साल्ड गांव से एक बार एक पंडित जी जगन्नाथ पुरी गए थे. उनकी संतान नहीं हो रही थी. जिससे उन्होंने भगवान से संतान मांगी. जिसके बाद भगवान ने उन्हें सपने में दर्शन देते हुए कहा कि मैं तुम्हारे घर में पुत्र के रुप में जन्म लूंगा, लेकिन मात्र 12 वर्ष तक ही तुम्हें यह सुख प्राप्त होगा. पंडित जी को पुत्र की प्राप्ति हुई और देखते-देखते 12 वर्ष बीत गए. पुत्र मोह में पंडित जी सब कुछ भूल गए. एक दिन अपने साथियों के साथ खेलते हुए वह बालक भूमि में लीन हो गया. बहुत वर्षों बाद जब वहां एक व्यक्ति खेत में हल लगा रहा था, तभी एक काले पत्थर की मूर्ति भगवान जगन्नाथ के रूप में मिली. जिसके बाद मूर्ति को सपने के अनुसार उनके स्थान पर स्थापित किया गया.
गुजरात के यात्रियों ने मंदिर में भगवान जगन्नाथ दर्शन कर भजन कीर्तन किये. साथ ही वहां पर गरबा नृत्य भी किया गया. मंदिर समिति के लोगों ने यात्रियों को फलाहार भी वितरित किया. इसी बीच यात्रियों ने कहा कि यह बहुत ही सुंदर और रमणीक मंदिर है. गुजरात जाकर अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी. ये भी पढ़ें: 'बम बम भोले, हर-हर महादेव' के जयकारों से गूंजा केदारनाथ धाम, कोटेश्वर मंदिर में उमड़ी भीड़