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आपदा के 6 साल बाद भी नहीं बन पाया पक्का पुल, अंतरराष्ट्रीय सीमा की रखवाली वैली ब्रिज के सहारे

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Published : Aug 11, 2019, 2:01 PM IST

बीआरओ द्वारा गंगोत्री हाइवे पर बनाया गया वैकल्पिक मार्ग नदी के तेज बहाव में बह गया है. जिसके चलते वैली ब्रिज से ही भारी वाहनों की आवाजाही हो रही है. ऐसी स्थिति में वाहनों के दबाव के चलते वैली ब्रिज पर भी खतरा बढ़ गया है.

अस्सी गंगा के बहाव में बहा वैकल्पिक पुल.

उत्तरकाशी: गंगोरी में गंगोत्री हाईवे पर आपदा आए 6 वर्ष बीत गए हैं. लेकिन आज तक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन और प्रशासन अस्सी गंगा पर एक अदद पक्के पुल का निर्माण नहीं कर पाई है. जिसके चलते 6 सालों से देश की सुरक्षा और चारधाम यात्रा वैली ब्रिज के सहारे चल रही है. इस वैली ब्रिज पर वाहनों का भार कम करने के लिए कुछ समय पहले बीआरओ ने एक वैकल्पिक मार्ग बनाया था. जो नदी के तेज बहाव में बह गया है. जिसके चलते भारी वाहनों की आवाजाही भी वैली ब्रिज से हो रही है. ऐसी स्थिति में वाहनों के दबाव के चलते वैली ब्रिज पर भी खतरा बढ़ गया है.

आपदा के 6 साल बाद भी नहीं बन पाया पक्का पुल.

मामले को लेकर स्थानीय उम्मेद सिंह ने बताया कि जब तक बीआरओ या प्रशासन यहां पर पक्के पुल का निर्माण नहीं करेगा तब तक यह वैली ब्रिज हमेशा कि तरह कुछ समय अंतराल के बाद टूटते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अभी तक पुलों के टूटने पर कोई हादसा नहीं हुआ है. लेकिन हादसा होने की संभावना लगातार बनी हुई है. उन्होंने कहा कि वैकल्पिक मार्ग के बह जाने के बाद से सेना के बड़े- बड़े वाहन और मालवाहक भी इसी पुल से गुजर रहे हैं. ऐसे में वैली ब्रिज पर दबाव बनता जा रहा है.

ये भी पढ़े: तीन गुलदारों की मौत के बाद जागा महकमा, वनमंत्री ने सुरक्षा इंतजामों को लेकर दिए कड़े निर्देश

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य दिग्विजय सिंह ने बताया कि यदी यह वैली ब्रिज क्षतिग्रस्त होगा तो इससे चारधाम यात्रा और पर्यटन पर भी खासा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा और पर्यटन लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है. साथ ही बताया कि पिछली बार पुल के टूटने से भटवाड़ी तहसील सहित कई गांवों का सम्पर्क जनपद मुख्यालय से टूट गया था. जिसके बाद से स्थानीय लोग सरकार से कई बार पक्के पुल के निर्माण की मांग कर चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

उत्तरकाशी: गंगोरी में गंगोत्री हाईवे पर आपदा आए 6 वर्ष बीत गए हैं. लेकिन आज तक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन और प्रशासन अस्सी गंगा पर एक अदद पक्के पुल का निर्माण नहीं कर पाई है. जिसके चलते 6 सालों से देश की सुरक्षा और चारधाम यात्रा वैली ब्रिज के सहारे चल रही है. इस वैली ब्रिज पर वाहनों का भार कम करने के लिए कुछ समय पहले बीआरओ ने एक वैकल्पिक मार्ग बनाया था. जो नदी के तेज बहाव में बह गया है. जिसके चलते भारी वाहनों की आवाजाही भी वैली ब्रिज से हो रही है. ऐसी स्थिति में वाहनों के दबाव के चलते वैली ब्रिज पर भी खतरा बढ़ गया है.

आपदा के 6 साल बाद भी नहीं बन पाया पक्का पुल.

मामले को लेकर स्थानीय उम्मेद सिंह ने बताया कि जब तक बीआरओ या प्रशासन यहां पर पक्के पुल का निर्माण नहीं करेगा तब तक यह वैली ब्रिज हमेशा कि तरह कुछ समय अंतराल के बाद टूटते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अभी तक पुलों के टूटने पर कोई हादसा नहीं हुआ है. लेकिन हादसा होने की संभावना लगातार बनी हुई है. उन्होंने कहा कि वैकल्पिक मार्ग के बह जाने के बाद से सेना के बड़े- बड़े वाहन और मालवाहक भी इसी पुल से गुजर रहे हैं. ऐसे में वैली ब्रिज पर दबाव बनता जा रहा है.

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पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य दिग्विजय सिंह ने बताया कि यदी यह वैली ब्रिज क्षतिग्रस्त होगा तो इससे चारधाम यात्रा और पर्यटन पर भी खासा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा और पर्यटन लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है. साथ ही बताया कि पिछली बार पुल के टूटने से भटवाड़ी तहसील सहित कई गांवों का सम्पर्क जनपद मुख्यालय से टूट गया था. जिसके बाद से स्थानीय लोग सरकार से कई बार पक्के पुल के निर्माण की मांग कर चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

Intro:अंतरराष्ट्रीय सीमा की रखवाली वैली पुलों के सहारे,अब स्थानीय निवासियों ने पक्के पुल की आस ही छोड़ दी है। गंगोरी में अब तक तीन पुल टूट चुके हैं और चार बन चुके हैं। उत्तरकाशी। गंगोरी में गंगोत्री हाइवे पर आपदा के 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन और प्रशासन एक अदद पक्के पुल का निर्माण नहीं कर पाई है। 6 वर्षों से देश की सुरक्षा और चारधाम यात्रा वैली ब्रिज के सहारे चल रही है। स्थानीय लोग कई बार पक्के पुल के निर्माण की मांग कर चुके हैं। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। गंगोरी में वैली ब्रिज पर वाहनों का भार कम करने के लिए बीआरओ ने एक वैकल्पिक मार्ग बनाया था। जो कि अब नदी के तेज बहाव के कारण बह गया है। इसलिए अब भारी वाहनों की आवाजाही भी वैली ब्रिज से हो रही है। ऐसी स्थिति में वाहनों के दबाव के चलते वैली ब्रिज को कभी भी बड़ा खतरा हो सकता है।


Body:वीओ-1, गंगोत्री हाईवे पर पुलों को ताश के पत्तों की तरह बिखरते देख अब स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर बीआरओ या प्रशासन पक्के पुल का निर्माण नहीं करता है। तो वैली ब्रिज एक अंतराल के बाद टूटते रहेंगे। कहा कि अभी तक तो पुलों के टूटने पर कोई हादसा नहीं हुआ है। लेकिन अगर इसी प्रकार पुलों के साइड पिलर और एबड़मेन्ट मुड़ते रहे। तो कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिसमें जाने भी जा सकती हैं। क्योंकि बड़े वाहनों के बने वैकल्पिक मार्ग के बह जाने के बाद अब वैली ब्रिज पर ही दबाव बनता जा रहा है। ऐसी स्थिति में सेना के बड़े- बड़े वाहन और मालवाहक भी इसी पुल से गुजर रहे हैं।


Conclusion:वीओ-2, गंगोरी के व्यापारी और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य दिग्विजय सिंह का कहना है कि यह पुल अगर क्षतिग्रस्त होता है। तो इससे चारधाम यात्रा और पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ेगा। कहा कि चारधाम यात्रा और पर्यटन मुख्य आजीविका का साधन है। अगर इसी प्रकार वैली पुलों के सहारे ही अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा और चारधाम यात्रा को शासन प्रशासन चलाता रहा। तो यह जनपदवासियों के लिए भी नुकसान देय होगा। कहा कि पिछली बार पुल के टूटने से भटवाड़ी तहसील सहित कई गांव का सम्पर्क जनपद मुख्यालय से टूट गया था। इसलिए आपदा के दृष्टिकोण से सवेदनशील जिले में वैली ब्रिज कभी भी किसी बड़े खतरे को न्यौता दे सकता है। बाईट- दिग्विजय सिंह,स्थानीय निवासी,गंगोरी। बाईट- उमेद सिंह,स्थानीय निवासी गंगोरी।
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