उत्तरकाशी: टिहरी बांध की झील का पानी 828 यूआरएल मीटर बढ़ने के कारण चिन्यालीसौड़ विकास खण्ड मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों और आवासीय बस्ती पर खतरा मंडराने लगा है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि वर्ष 2010 से हर वर्ष टिहरी झील का जलस्तर बढ़ते ही चिन्यालीसौड़ के लोगों के मन मे डर बैठ जाता है, क्योंकि झील का जलस्तर बढ़ने से कई स्थानों पर कटाव होना शुरू हो जाता है. इसके बाद भी आज तक टीएचडीसी और जिला प्रशासन की और से चिन्यालीसौड़ की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक कार्य नहीं करवाए गए हैं, जो सुरक्षात्मक कार्य चल भी रहे हैं, वह भी कछुआ गति से हो रहे हैं.
चिन्यालीसौड़ नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष शूरवीर रांगड़ ने बताया कि आज तक चिन्यालीसौड़ और आसपास के क्षेत्र में टिहरी झील के बढ़ते जलस्तर से सुरक्षा के लिए किए जा रहे निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाए हैं. टीएचडीसी और जिला प्रशासन की हीलाहवाली के कारण हर वर्ष चिन्यालीसौड़ के लोगों को बढ़ते जलस्तर के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है. बीती रविवार रात भी टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने के कारण जोगत रोड के 10 मीटर हिस्से पर भूकटाव हो गया.
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वहीं, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शूरवीर रांगड़ ने बताया कि टिहरी झील का जलस्तर 828 यूआरएल मीटर बढ़ने के कारण स्वास्थ्य केंद्र, वाल्मीकि बस्ती, नागणीसौड़, पीपलमंडी, ऊर्जा निगम स्टोर, वन विभाग आदि स्थानों पर भवनों में दरार आने के कारण खतरा बढ़ गया है. अभी तक कछुवा गति से चल रहे सुरक्षात्मक कार्य पूरे नहीं हो पाये हैं. प्रदेश सरकार ने 830 यूआरएल मीटर जलस्तर भरने के आदेश को देकर चिन्यालीसौड़ के लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया है.
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आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल का कहना है कि टीएचडीसी से समन्वय बनाकर सुरक्षात्मक कार्यों में तेजी लाने के प्रयास किये जा रहे हैं. साथ ही सुरक्षा के सभी उपाय किए गए हैं.