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आजादी के 70 साल बाद ग्रामीणों में जगी उम्मीद, लेकिन भ्रष्ट तंत्र ने फिर दिया धोखा - उत्तरकाशी ईटीवी भारत न्यूज

उत्तरकाशी के इस गांव में आजादी के 70 साल बाद सड़क बननी शुरू हुई लेकिन, भ्रष्ट तंत्र के चलते 5 साल बाद भी लोगों को सड़क अभी तक नसीब नहीं हो पाई है.

road problem in purola
आजादी के 70 साल बाद ग्रामीणों में जगी उम्मीद
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Published : Nov 29, 2019, 3:41 PM IST

पुरोला: बादलों के दरमियां कुछ ऐसी हुई साजिश, मेरा घर था मिट्टी का और मेरे ही घर हुई बारिश. कुछ ऐसा ही हाल मोरी विकासखंड के सीमांत गांव जखोल-लिवाड़ी-फीताड़ी मोटरमार्ग का. जो आजादी के 70 साल बाद बननी शुरू तो हुई लेकिन, सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी और भ्रष्ट तंत्र के चलते आज भी लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. ऐसे में विभागीय खींचतान के बीच एक बार फिर पुलों के निर्माण का मामला अधर में लटका पड़ा है. पेश है एक खास रिपोर्ट...

भ्रष्ट तंत्र ने ग्रामीणों को फिर दिया धोखा.


गोविंद वन्य जीव पशु विहार में सीमांत मोरी के लिवाड़ी, फीताड़ी, राला, रेकचा, हरिपुर और कासला के लिए साल 2013-14 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 22 किमी मोटरमार्ग के निर्माण को हरी झंडी मिली थी. जिसे पीएमजीएसवाई ने पहले चरण में रोड कटिंग का कार्य पूरा दिखाकर दूसरे चरण के कार्य की तैयारियों में जुट गया. लेकिन, विभागीय मानकों के अनुसार सड़क कटिंग का निर्माण कार्य नहीं किया गया.

पढ़ेंः ऑल वेदर रोड का मलबा गिरने से परेशान राहगीर, डीएम ने दिये सख्त आदेश

वहीं, इस मार्ग पर कई ऐसे स्थान हैं जो बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहे हैं. इतना ही नहीं 6 साल बीत जाने के बाद भी आज तक विभाग उक्त मार्ग को जोड़ने वाले पुलों का निर्माण भी नहीं कर पाया है. उपजिलाधिकारी पुरोला सोहन सिंह मानते हैं कि पुल निर्माण कार्य में धांधली सामने आई है. ऐसे में उन्होंने जांच की बात कही है. आजादी के सात दशक बाद सीमांत क्षेत्र के गांवों में सड़क बनने से लोगों में एक विकास की उमीद तो जगी. लेकिन, विभागीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के चलते लोग आज भी विकास से कोसों दूर हैं.

पुरोला: बादलों के दरमियां कुछ ऐसी हुई साजिश, मेरा घर था मिट्टी का और मेरे ही घर हुई बारिश. कुछ ऐसा ही हाल मोरी विकासखंड के सीमांत गांव जखोल-लिवाड़ी-फीताड़ी मोटरमार्ग का. जो आजादी के 70 साल बाद बननी शुरू तो हुई लेकिन, सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी और भ्रष्ट तंत्र के चलते आज भी लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. ऐसे में विभागीय खींचतान के बीच एक बार फिर पुलों के निर्माण का मामला अधर में लटका पड़ा है. पेश है एक खास रिपोर्ट...

भ्रष्ट तंत्र ने ग्रामीणों को फिर दिया धोखा.


गोविंद वन्य जीव पशु विहार में सीमांत मोरी के लिवाड़ी, फीताड़ी, राला, रेकचा, हरिपुर और कासला के लिए साल 2013-14 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 22 किमी मोटरमार्ग के निर्माण को हरी झंडी मिली थी. जिसे पीएमजीएसवाई ने पहले चरण में रोड कटिंग का कार्य पूरा दिखाकर दूसरे चरण के कार्य की तैयारियों में जुट गया. लेकिन, विभागीय मानकों के अनुसार सड़क कटिंग का निर्माण कार्य नहीं किया गया.

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वहीं, इस मार्ग पर कई ऐसे स्थान हैं जो बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहे हैं. इतना ही नहीं 6 साल बीत जाने के बाद भी आज तक विभाग उक्त मार्ग को जोड़ने वाले पुलों का निर्माण भी नहीं कर पाया है. उपजिलाधिकारी पुरोला सोहन सिंह मानते हैं कि पुल निर्माण कार्य में धांधली सामने आई है. ऐसे में उन्होंने जांच की बात कही है. आजादी के सात दशक बाद सीमांत क्षेत्र के गांवों में सड़क बनने से लोगों में एक विकास की उमीद तो जगी. लेकिन, विभागीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के चलते लोग आज भी विकास से कोसों दूर हैं.

Intro:स्थान-पुरोला
एंकर-बादलों के दरमियाँ कुछ ऐसी हुई साजीश, मेरा घर था मिट्टी का और मेरे ही,घर हुई बारीश। कुछ ऐसा ही हाल मोरी विकाशखंड के सीमांत गाँव जखोल-लिवाड़ी -फीताड़ी मोटर मार्ग का है ।जो आजादी के 70 साल बाद बननी शुरू तो हुई ,लेकिन सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी और भ्रष्ट तंत्र के चलते आज भी लोग जान जोखिम में डाल कर सफर करने को मजबूर हैं। वहीं विभागीय खींचतान में पूलों का मामला भी अधर में लटके पड़े हैं ।पेश है एक ख़ास रिपोर्ट,,,।



Body:वीओ-गोविंद वन्य जीव पशु विहार में सीमांत मोरी के लिवाड़ी, फीताड़ी,राला,रेकचा, हरिपुर, कासला के लिए वर्ष 2013-14 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 22 किमी मोटर मार्ग के निर्माण को हरी झंडी मिली,जिसे पीएमजीएसवाई नें प्रथम चरण में रोड़ कटिंग का कार्य पूरा दिखा कर दुतीय चरण के कार्य की तैयारियों में जुट गया लेकिन, विभागिय मानकों के अनुसार सड़क कटिंग का निर्माण कार्य नहीं किया गया,कई ऐसे स्थान हैं जहां 6 फिट के रास्ते भर की चौड़ाई से लोगों को अपनी गाड़ी निकालनी पड़ रही है ।जो कभी भी बड़े हादसे को निमंत्रण दे सकती है ।इतना ही नहीं । 6 साल बीत जाने के बाद भी आज तक विभाग उक्त मार्ग को जोड़ने वाले पुलों को बनाने का अमली जामा भी विभाग नही कर पाया। वहिं शासन स्तर पर उक्त मोटर मार्ग को पीएमजीएसवाई से हटा कर वेव कोष को दे दिया जो दूसरे चरण का कार्य शुरू करेगा ।लेकिन पहले चरण के अधूरे कार्य को कौन करेगा जिसका भुगतान विभाग पहले ही कर चुका है।
बाईट-अजित रावत( ग्रामीण)
बाईट-आर पी चमोली (अधिशासी अभियंता पीएमजीएसवाय)
बाईट-सोहन सिंह (उपजिलाधिकारी पुरोला)



Conclusion:वीओ-आजादी के सात दशक बाद सीमांत छेत्र के गांवों में सड़क बनने से लोंगों में एक विकाश की उमीद जगी ।लेकिन विभागिय अधिकारियों के ढुल मूल रैवये के चलते लोग आज भी विकाश से कोषों दूर ।
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