पुरोला: बादलों के दरमियां कुछ ऐसी हुई साजिश, मेरा घर था मिट्टी का और मेरे ही घर हुई बारिश. कुछ ऐसा ही हाल मोरी विकासखंड के सीमांत गांव जखोल-लिवाड़ी-फीताड़ी मोटरमार्ग का. जो आजादी के 70 साल बाद बननी शुरू तो हुई लेकिन, सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी और भ्रष्ट तंत्र के चलते आज भी लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. ऐसे में विभागीय खींचतान के बीच एक बार फिर पुलों के निर्माण का मामला अधर में लटका पड़ा है. पेश है एक खास रिपोर्ट...
गोविंद वन्य जीव पशु विहार में सीमांत मोरी के लिवाड़ी, फीताड़ी, राला, रेकचा, हरिपुर और कासला के लिए साल 2013-14 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 22 किमी मोटरमार्ग के निर्माण को हरी झंडी मिली थी. जिसे पीएमजीएसवाई ने पहले चरण में रोड कटिंग का कार्य पूरा दिखाकर दूसरे चरण के कार्य की तैयारियों में जुट गया. लेकिन, विभागीय मानकों के अनुसार सड़क कटिंग का निर्माण कार्य नहीं किया गया.
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वहीं, इस मार्ग पर कई ऐसे स्थान हैं जो बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहे हैं. इतना ही नहीं 6 साल बीत जाने के बाद भी आज तक विभाग उक्त मार्ग को जोड़ने वाले पुलों का निर्माण भी नहीं कर पाया है. उपजिलाधिकारी पुरोला सोहन सिंह मानते हैं कि पुल निर्माण कार्य में धांधली सामने आई है. ऐसे में उन्होंने जांच की बात कही है. आजादी के सात दशक बाद सीमांत क्षेत्र के गांवों में सड़क बनने से लोगों में एक विकास की उमीद तो जगी. लेकिन, विभागीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के चलते लोग आज भी विकास से कोसों दूर हैं.