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उत्तराखंड का प्रसिद्ध 'बटर फेस्टिवल': स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों ने जमकर खेली दूध और दही की होली

इस उत्सव में दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं. यहां मखमली घास पर मक्खन और मट्ठा की होली खेलते हैं. मक्खन की होली खेलने के चलते अंढूड़ी उत्सव को बटर फेस्टिवल के रूप में भी जाना जाता है.

बटर फेस्टिवल
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Published : Aug 18, 2019, 8:33 AM IST

उत्तरकाशी: सम्रुद्र तल से करीब 12,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल (मखमली घास) में शनिवार को बटर फेस्टिवल की धूम रही. स्थानीय स्तर पर इसे अंढूड़ी उत्सव कहा जाता है, जिसे दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने अब बटर फेस्टिवल का नाम दे दिया है. हर साल भादौं संक्रांति पर आयोजित होने वाले इस बटर फेस्टिवल का उद्घाटन शनिवार को जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष विक्रम सिंह रावत ने किया.

इस मौके पर दयारा बुग्याल में स्थानीय देवताओं को ग्रामीणों की ओर से दूध और दही का भोग लगाया गया. उसके बाद घने बादलों के बीच फैले दयारा बुग्याल में शुरू हुई दूध और दही की होली. ठोल दमों और रणिसंघे की गूंज पर तांदी और रासौं नृत्य के बीच देश विदेश के सैलानियों ने भी स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक दूसरे पर दुध और दही की बौछार की. करीब आधा घंटे तक होली खेलने के बाद लोगों ने प्रकृति की पूजा कर, सबके लिए खुशहाली की कामना की.

पढ़ें- हां का नैसर्गिक सौन्दर्य देख गांधी भी हो गए थे मोहित

इससे पूर्व महिला मंगल दल रैथल की महिलाओं ने सबका तिलक लगाकर स्वागत किया. इसी के साथ गर्मियों के सीजन में अपने पशुओं को चराने के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्र में गए पशुपालकों का वापस अपने गांवों को लौटने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है.

बटर फेस्टिवल

पढ़ें- पतली रस्सी के ऊपर चलकर उफनाती नदी को पार करते हैं ग्रामीण, हर वक्त मंडराता है खतरा

रैथल निवासी सुमित रतूड़ी ने बताया कि अंढूड़ी को बटर फेस्टिवल का रूप इसलिए दिया गया, ताकि जनपद के पर्यटन को एक नया आयाम मिल सके. रतूड़ी ने कहा कि अंढूड़ी जनपद का पौराणिक त्योहार है. जिसे पर्यटन के दृष्टिकोण से बढ़ाने की कोशिश की गई है.

उत्तरकाशी: सम्रुद्र तल से करीब 12,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल (मखमली घास) में शनिवार को बटर फेस्टिवल की धूम रही. स्थानीय स्तर पर इसे अंढूड़ी उत्सव कहा जाता है, जिसे दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने अब बटर फेस्टिवल का नाम दे दिया है. हर साल भादौं संक्रांति पर आयोजित होने वाले इस बटर फेस्टिवल का उद्घाटन शनिवार को जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष विक्रम सिंह रावत ने किया.

इस मौके पर दयारा बुग्याल में स्थानीय देवताओं को ग्रामीणों की ओर से दूध और दही का भोग लगाया गया. उसके बाद घने बादलों के बीच फैले दयारा बुग्याल में शुरू हुई दूध और दही की होली. ठोल दमों और रणिसंघे की गूंज पर तांदी और रासौं नृत्य के बीच देश विदेश के सैलानियों ने भी स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक दूसरे पर दुध और दही की बौछार की. करीब आधा घंटे तक होली खेलने के बाद लोगों ने प्रकृति की पूजा कर, सबके लिए खुशहाली की कामना की.

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इससे पूर्व महिला मंगल दल रैथल की महिलाओं ने सबका तिलक लगाकर स्वागत किया. इसी के साथ गर्मियों के सीजन में अपने पशुओं को चराने के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्र में गए पशुपालकों का वापस अपने गांवों को लौटने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है.

बटर फेस्टिवल

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रैथल निवासी सुमित रतूड़ी ने बताया कि अंढूड़ी को बटर फेस्टिवल का रूप इसलिए दिया गया, ताकि जनपद के पर्यटन को एक नया आयाम मिल सके. रतूड़ी ने कहा कि अंढूड़ी जनपद का पौराणिक त्योहार है. जिसे पर्यटन के दृष्टिकोण से बढ़ाने की कोशिश की गई है.

Intro:12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल में अडूडी त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया गया। स्थानीय निवासियों सहित पर्यटकों ने भी घने बादलों के बीच दूध और दही की होली खेली।
उत्तरकाशी। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थानीय ग्रामीणों ने अडूडी त्यौहार का आयोजन किया गया। इस मौके पर दयारा बुग्याल में स्थानीय देवताओं को ग्रामीणों की और से दूध और दही का भोग लगाया गया और उसके बाद घने बादलों के बीच फैले दयारा बुग्याल में शुरू हुई दूध और दही की होली। स्थानीय ग्रामीणों सहित देश के विभिन्न स्थानों से पहुंचे पर्यटकों ने दूध और दही से होली खेली। साथ ही होली के बाद ढोल दमाऊ की थाप पर स्थानीय लोकनृत्य रासो पर महिलाएं और पुरुष जमकर थिरके। Body:
वीओ-1, विश्व प्रसिद्ध दयारा बुग्याल में शनिवार को अडूडी त्यौहार का आयोजन किया गया है। जिसे पिछले कुछ वर्षों से बटर फेस्टिवल के रूप में मनाया जा रहा है। शनिवार को आजकल बुग्याल में मौजूद ग्रामीणों ने अपने ईस्ट देव को दूध दही का भोग लगाया। वहीं उसके बाद धूमधाम से स्थानीय ग्रामीणों ने दूध दही की होली खेली। साथ ही दयारा बुग्याल पहुंचे पर्यटकों ने जमकर होली का लुफ्त उठाया। साथ ही होली के साथ ही रासो तांदी लोकनृत्य का आयोजन भी किया गया। Conclusion:वीओ-2, रैथल निवासी सुमित रतूड़ी ने बताया कि अडूडी को बटर फेस्टिवल का रूप इसलिए दिया गया। जिससे कि जनपद के पर्यटन को एक नया आयाम मिल सके। रतूड़ी ने कहा कि अडूडी जनपद का पौराणिक त्योहार है। जिसे पर्यटन के दृष्टिकोण से बढाने की कोशिश की गई है।
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