उत्तरकाशी: राज्य गठन के करीब 24 साल बाद भी जिले की यमुनाघाटी में ब्लड बैंक नहीं खुल पाया है. जिसके चलते ब्लड की कमी से कई गर्भवतियों की जान पर बन आती है. वर्तमान में डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए देहरादून की दौड़ लगानी पड़ रही है. हालांकि, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव व पुरोला में रक्त संग्रह केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें खून की उपलब्धता की जानी है, लेकिन अब तक दोनों केंद्रों में सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं.
जिले की यमुनाघाटी में पुरोला विधानसभा सहित यमुनोत्री विधान सभा की 40 प्रतिशत आबादी निवास करती है. नौगांव स्थित स्थित घाटी के सबसे बड़े सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित किसी भी सरकारी अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है. पौने दो लाख की आबादी वाले यमुनाघाटी में ब्लड बैंक नहीं होने लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है. अधिकांश गर्भवती महिलाओं को खून की कमी पर देहरादून की दौड़ लगानी पड़ती है. जिससे उनकी जान का खतरा बना रहता है. वर्तमान में मैदानी शहरों में तेजी से फैल रहा डेंगू पहाड़ों में भी दस्तक दे रहा है.
यमुनाघाटी में करीब 100 लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं. जिनमें से अधिकांश मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए देहरादून की दौड़ लगा रहे हैं. घाटी में ब्लड बैंक की सुविधा होती तो डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ती. सीएचसी नौगांव और पुरोला में रक्त संग्रह केंद्र बनाये गए हैं, जिनमें जिला चिकित्सालय से खून की उपलब्धता की जानी है, लेकिन अभी तक दोनों केंद्रों में सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं. विधायक यमुनोत्री संजय डोभाल ने कहा यमुनाघाटी में ब्लड बैंक की सुविधा होना जरुरी है. इससे गर्भवती महिलाओं सहित आपातकालीन स्थिति में जरूरतमंद व्यक्ति को लाभ मिलेगा. शीघ्र ही ब्लड बैंक की मांग को उचित स्तर पर रखा जाएगा. सीएमओ डॉ.आरसीएस पंवार ने बताया ब्लड बैंक के लिए तो अभी कोई प्रस्ताव नहीं है. रक्त संग्रह केंद्रों के लिए लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति होनी है. नियुक्ति के बाद ही प्रशिक्षण करवाकर संग्रह केंद्रों को चालू किया जाएगा.