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गंगोत्री नेशनल पार्क आने वाले पर्यटकों के लिए खुशखबरी, कनखू बैरियर में दिखे दुर्लभ प्रजाति के भरल - गंगोत्री नेशनल पार्क घूमने

अगर आप गंगोत्री नेशनल पार्क घूमने जा रहे हैं तो आपके लिए खुशखबरी है. यहां इन दिनों दुर्लभ प्रजाति के भरल दिखाई दे रहे हैं. भरल हिमालयी क्षेत्रों के राजा कहे जाने वाले स्नो लेपर्ड का सबसे पसंदीदा व मुख्य भोजन होता है.

Gangotri National Park
उत्तरकाशी समाचार
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Published : Apr 17, 2023, 3:06 PM IST

Updated : Apr 17, 2023, 5:26 PM IST

कनखू बैरियर में दिखे दुर्लभ प्रजाति के भरल

उत्तरकाशी: गंगोत्री नेशनल पार्क दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों का घर है. इन दिनों गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत दुर्लभ भरल की चहलकदमी देखने को मिल रही है. भरल की चहलकदमी गंगोत्री धाम और आसपास के क्षेत्र में दिखने से पार्क प्रशासन उत्साहित नजर आ रहा है. भरल उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र का मुख्य कारक है. यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर भरल न हो, तो उच्च हिमालयी क्षेत्रों का पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो जाएगा.

गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मचारियों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से गंगोत्री धाम के ऊपरी इलाकों और कनखू बैरियर के आसपास भरल की चहलकदमी नजर आ रही है. यह भरल झुंड में पानी और भोजन की तलाश में निचले इलाकों में आ रहे हैं. क्योंकि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी भी बर्फ पूरी तरह पिघली नहीं है. मार्च और अप्रैल माह में ऊपरी गोमुख, तपोवन और उससे ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई है. इस कारण भरल के झुंडों को भोजन की तलाश में कनखू बैरियर के आसपास आना पड़ रहा है.

गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट एक अप्रैल को खुल चुके हैं. पर्यटक और ट्रेकर्स गोमुख ट्रैक पर जा रहे हैं. वहां पर पर्यटकों के लिए भरल की चहलकदमी देखना एक अलग अनुभव होगा. गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार का कहना है कि जिस प्रकार से पार्क के अंतर्गत भरल अच्छी संख्या में दिख रहे हैं, यह उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारि‌स्थतिकीय तंत्र के लिए सकारात्मक लक्षण हैं.
ये भी पढ़ें: पर्यटकों और पर्वतारोहियों का इंतजार खत्म, 6 महीनों के लिए खुले गंगोत्री नेशनल पार्क के द्वार

भरल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उत्तराखंड, नेपाल, भूटान, कश्मीर, तिब्बत में 3000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुलर्भ प्रजाति है. यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों के राजा कहे जाने वाले स्नो लेपर्ड का सबसे पसंदीदा व मुख्य भोजन होता है. यह कहना अपवाद न होगा कि अगर भरल न हो तो स्नो लेपर्ड की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. भरल 3 से 5 फीट लंबा होता है. वहीं इसकी उम्र 15 वर्ष तक होती है. इसका वजन 35 से 75 किलो तक होता है.

कनखू बैरियर में दिखे दुर्लभ प्रजाति के भरल

उत्तरकाशी: गंगोत्री नेशनल पार्क दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों का घर है. इन दिनों गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत दुर्लभ भरल की चहलकदमी देखने को मिल रही है. भरल की चहलकदमी गंगोत्री धाम और आसपास के क्षेत्र में दिखने से पार्क प्रशासन उत्साहित नजर आ रहा है. भरल उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र का मुख्य कारक है. यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर भरल न हो, तो उच्च हिमालयी क्षेत्रों का पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो जाएगा.

गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मचारियों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से गंगोत्री धाम के ऊपरी इलाकों और कनखू बैरियर के आसपास भरल की चहलकदमी नजर आ रही है. यह भरल झुंड में पानी और भोजन की तलाश में निचले इलाकों में आ रहे हैं. क्योंकि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी भी बर्फ पूरी तरह पिघली नहीं है. मार्च और अप्रैल माह में ऊपरी गोमुख, तपोवन और उससे ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई है. इस कारण भरल के झुंडों को भोजन की तलाश में कनखू बैरियर के आसपास आना पड़ रहा है.

गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट एक अप्रैल को खुल चुके हैं. पर्यटक और ट्रेकर्स गोमुख ट्रैक पर जा रहे हैं. वहां पर पर्यटकों के लिए भरल की चहलकदमी देखना एक अलग अनुभव होगा. गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार का कहना है कि जिस प्रकार से पार्क के अंतर्गत भरल अच्छी संख्या में दिख रहे हैं, यह उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारि‌स्थतिकीय तंत्र के लिए सकारात्मक लक्षण हैं.
ये भी पढ़ें: पर्यटकों और पर्वतारोहियों का इंतजार खत्म, 6 महीनों के लिए खुले गंगोत्री नेशनल पार्क के द्वार

भरल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उत्तराखंड, नेपाल, भूटान, कश्मीर, तिब्बत में 3000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुलर्भ प्रजाति है. यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों के राजा कहे जाने वाले स्नो लेपर्ड का सबसे पसंदीदा व मुख्य भोजन होता है. यह कहना अपवाद न होगा कि अगर भरल न हो तो स्नो लेपर्ड की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. भरल 3 से 5 फीट लंबा होता है. वहीं इसकी उम्र 15 वर्ष तक होती है. इसका वजन 35 से 75 किलो तक होता है.

Last Updated : Apr 17, 2023, 5:26 PM IST
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