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उत्तरकाशी जिला अस्पताल से डॉक्टर नदारद, ग्रामीण परेशान

उत्तराखंड में पहाड़ों पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के त्रिवेंद्र सरकार के सभी दावे फेल नजर आ रहे हैं. उत्तरकाशी जनपद के जिला अस्पताल में डॉक्टर मौजूद ही नहीं है. जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jan 3, 2020, 6:37 PM IST

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार राज्य के अंतिम छोर के व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने के दावे कर रही है, लेकिन इसकी बानगी बयां कर रहा है सीमांत जनपद उत्तरकाशी का जिला अस्पताल. जिला अस्पताल में डॉक्टर तो हैं, लेकिन नदारद हैं. जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शिकायत सुनने के लिए अस्पताल में सीएमएस तक मौजूद नहीं है. अस्पताल के दफ्तर में खाली पड़ी कुर्सियां इस बात की तस्दीक कर रही हैं.

उत्तरकाशी जिला अस्पताल से डॉक्टर नदारद.

जिला अस्पताल में 12 बजे दोपहर का समय, यह जिला अस्पताल जो कि जनपद के साथ ही टिहरी क्षेत्र के लंबगांव सहित प्रतापनगर क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य कि यहां एक ऑर्थो सर्जन और ईएनटी विशेषज्ञ ही मौजूद है. इसके अलावा महिला अस्पताल में भी मात्र एक ही डॉक्टर मौजूद हैं. लोग अपने बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. लेकिन डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं. अस्पताल में सिर्फ एक फिजीशियन भी अस्पताल में मौजूद नहीं है. मात्र फार्मासिस्ट और अन्य स्टाफ ही अस्पताल में नजर आ रहा है.

पढ़ें- सोमेश्वर के गोल्ज्यू मंदिर में खत्म हुई बलि प्रथा, भंडारे के साथ हुआ बैसी पूजन का समापन

ग्रामीण इस उम्मीद के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी. लेकिन दुर्भाग्य कि डबल इंजन सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं सीमांत क्षेत्रों में लगातार दम तोड़ रही है. इस अस्पताल में सीमा पर तैनात सैनिक भी इलाज करने के लिए पहुंचते हैं. यह कहना अपवाद नहीं होगा कि जिला अस्पताल की यह स्थिति देखते हुए अब जनपदवासियों ने इसे नियति समझ लिया है. जहां पर स्वयं अधिकारी ही अपने कार्यालय में नहीं मिलते, तो अन्य डॉक्टरों की उम्मीद करना बेईमानी होगा.

उत्तरकाशी: प्रदेश सरकार राज्य के अंतिम छोर के व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने के दावे कर रही है, लेकिन इसकी बानगी बयां कर रहा है सीमांत जनपद उत्तरकाशी का जिला अस्पताल. जिला अस्पताल में डॉक्टर तो हैं, लेकिन नदारद हैं. जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शिकायत सुनने के लिए अस्पताल में सीएमएस तक मौजूद नहीं है. अस्पताल के दफ्तर में खाली पड़ी कुर्सियां इस बात की तस्दीक कर रही हैं.

उत्तरकाशी जिला अस्पताल से डॉक्टर नदारद.

जिला अस्पताल में 12 बजे दोपहर का समय, यह जिला अस्पताल जो कि जनपद के साथ ही टिहरी क्षेत्र के लंबगांव सहित प्रतापनगर क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, लेकिन दुर्भाग्य कि यहां एक ऑर्थो सर्जन और ईएनटी विशेषज्ञ ही मौजूद है. इसके अलावा महिला अस्पताल में भी मात्र एक ही डॉक्टर मौजूद हैं. लोग अपने बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. लेकिन डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं. अस्पताल में सिर्फ एक फिजीशियन भी अस्पताल में मौजूद नहीं है. मात्र फार्मासिस्ट और अन्य स्टाफ ही अस्पताल में नजर आ रहा है.

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ग्रामीण इस उम्मीद के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी. लेकिन दुर्भाग्य कि डबल इंजन सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं सीमांत क्षेत्रों में लगातार दम तोड़ रही है. इस अस्पताल में सीमा पर तैनात सैनिक भी इलाज करने के लिए पहुंचते हैं. यह कहना अपवाद नहीं होगा कि जिला अस्पताल की यह स्थिति देखते हुए अब जनपदवासियों ने इसे नियति समझ लिया है. जहां पर स्वयं अधिकारी ही अपने कार्यालय में नहीं मिलते, तो अन्य डॉक्टरों की उम्मीद करना बेईमानी होगा.

Intro:उत्तरकाशी। प्रदेश सरकार राज्य के अंतिम छोर के व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने के दावे कर रही है। लेकिन इसकी बानगी बयां कर रहा है सीमांत जनपद उत्तरकाशी का जिला अस्पताल ,जहां पर मरीजों को डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्रों से पहुंच रहे ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रही है। अस्पताल में न ही डॉक्टर मिल रहे हैं। तो दूसरी और शिकायत सुनने के लिए अस्पताल में कोई स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी नहीं मिल रहे हैं।ऐसी स्थिति में अगर किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति बन जाती है। तो पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बानगी यही बयां करती है कि अस्पताल में एक डॉक्टर मिलना भी मुश्किल है।


Body:वीओ-1, जिला अस्पताल में 12 बजे दोपहर का समय,यह जिला अस्पताल जो कि जनपद के साथ ही टिहरी क्षेत्र के लंबगांव सहित प्रतापनगर क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। लेकिन दुर्भाग्य कि एक ऑर्थो सर्जन और ईएनटी विशेषज्ञ के अलावा महिला अस्पताल में भी मात्र एक डॉक्टर मौजूद हैं। तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों और नगर क्षेत्रों से बच्चों को लेकर लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। लेकिन डॉक्टर नहीं मिल रहा है। यहां तक फिजिशियन भी अस्पताल में मौजूद नहीं है। मात्र फार्मासिस्ट और अन्य स्टाफ ही अस्पताल में नजर आ रहा है।


Conclusion:वीओ-2, ग्रामीण इस उम्मीद के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन दुर्भाग्य कि डबल इंजिन सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं सीमांत क्षेत्रों में लगातार दम तोड़ रही है। जबकि इस अस्पताल में सीमा पर तैनात सैनिक भी इलाज करने के लिए पहुंचते हैं। यह कहना अपवाद नहीं होगा कि जिला अस्पताल की यह स्थिति देखते हुए अब जनपदवासियों ने इसे नियति समझ लिया है। जहां पर स्वयं अधिकारी ही अपने कार्यालय में नहीं मिलते,तो अन्य डॉक्टरों की उम्मीद करना बेईमानी होगा। बाइट- ग्रामीण।
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