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3 मई को खुलेंगे डोडीताल में स्थित मां अन्नपूर्णा के कपाट, 25 किमी का है पैदल ट्रैक

अन्नपूर्णा माता का मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल में करीब 1 किमी लंबी झील के किनारे पर स्थित है. डोडीताल उत्तरकाशी जिले के अस्सी गंगा केलशु क्षेत्र में बसा हुआ है. हर साल हजारों की संख्या में देश-विदेश से ट्रैकर्स और श्रद्धालु 25 किमी के पैदल ट्रैक कर डोडीताल पहुंचते हैं. यहां की प्रकृति के खूबसूरती का लुफ्त उठाते हैं.

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Published : Apr 9, 2019, 3:06 PM IST

अन्नपूर्णा मंदिर डोडीताल

उत्तरकाशीः प्रसिद्ध डोडीताल में स्थित मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर के कपाट अब 3 मई को खोले जाएंगे. इससे पहले अन्नपूर्णा मंदिर समिति ने इसे 28 अप्रैल को खोलने का निर्णय लिया था, लेकिन बर्फ ज्यादा होने के कारण कपाट खोलने की तारीख को बढ़ाया गया है. तीन 3 मई को डोडीताल में अन्नपूर्णा मां के कपाट छह महीने के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे. हर साल हजारों की संख्या में देश-विदेश से ट्रैकर्स और श्रद्धालु 25 किमी के पैदल ट्रैक कर डोडीताल पहुंचते हैं. यहां की प्रकृति के खूबसूरती का लुफ्त उठाते हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.


बता दें कि अन्नपूर्णा माता का मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल में करीब 1 किमी लंबी झील के किनारे पर स्थित है. डोडीताल उत्तरकाशी जिले के अस्सी गंगा केलशु क्षेत्र में बसा हुआ है. अस्सी गंगा घाटी के सात गांव अगोड़ा, भंकोली, गजोली, नोगांव समेत सेक्कू, नाल्ड के ग्रामीणों ने विश्व प्रसिद्ध डोडीताल में स्थित अन्नपूर्णा माता के कपाट खोलने की तिथि 3 मई निर्धारित की है.


मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी संजय पंवार ने बताया कि इन दिनों डोडीताल में करीब 4 से 5 फीट बर्फ जमा हुई है. साथ ही डोडीताल झील भी पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है. इसे देखते हुए श्रद्धालुओं के कपाट इस बार 28 अप्रैल की जगह 3 मई को खोले जाएंगे. पंवार ने बताया कि अभी पूरा मंदिर भी बर्फ में ढका है.


ये भी पढ़ेंः इस मंदिर में दर्शन के दौरान राजा नरेंद्र शाह को हो गया था अपनी मृत्यु का एहसास, मांगी थी ये खास मन्नत


मां अन्नपूर्णा की पूजा भंकोली गांव के खंडूड़ी ब्राह्मण करते हैं. मां के कपाट खोलने के लिए अगोड़ा, दासड़ा, भंकोली, सेक्कू आदि गांव से नागराजा की डोली भी मां अन्नपूर्णा की डोली के साथ डोडीताल पहुंचते हैं. जहां ग्रामीण मां को कंडे के साथ विदा करते हैं.


डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है. माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा डोडीताल में स्नान के लिए आई थीं. यहीं पर उन्होंने भगवान गणेश को जन्म दिया था और स्नान के लिए गणेश को द्वारपाल बनाकर खड़ा किया था. गणेश जी को किसी को भी अंदर नहीं आने देने का आदेश था. कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव को गणेश ने रोका था.

उत्तरकाशीः प्रसिद्ध डोडीताल में स्थित मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर के कपाट अब 3 मई को खोले जाएंगे. इससे पहले अन्नपूर्णा मंदिर समिति ने इसे 28 अप्रैल को खोलने का निर्णय लिया था, लेकिन बर्फ ज्यादा होने के कारण कपाट खोलने की तारीख को बढ़ाया गया है. तीन 3 मई को डोडीताल में अन्नपूर्णा मां के कपाट छह महीने के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे. हर साल हजारों की संख्या में देश-विदेश से ट्रैकर्स और श्रद्धालु 25 किमी के पैदल ट्रैक कर डोडीताल पहुंचते हैं. यहां की प्रकृति के खूबसूरती का लुफ्त उठाते हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.


बता दें कि अन्नपूर्णा माता का मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल में करीब 1 किमी लंबी झील के किनारे पर स्थित है. डोडीताल उत्तरकाशी जिले के अस्सी गंगा केलशु क्षेत्र में बसा हुआ है. अस्सी गंगा घाटी के सात गांव अगोड़ा, भंकोली, गजोली, नोगांव समेत सेक्कू, नाल्ड के ग्रामीणों ने विश्व प्रसिद्ध डोडीताल में स्थित अन्नपूर्णा माता के कपाट खोलने की तिथि 3 मई निर्धारित की है.


मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी संजय पंवार ने बताया कि इन दिनों डोडीताल में करीब 4 से 5 फीट बर्फ जमा हुई है. साथ ही डोडीताल झील भी पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है. इसे देखते हुए श्रद्धालुओं के कपाट इस बार 28 अप्रैल की जगह 3 मई को खोले जाएंगे. पंवार ने बताया कि अभी पूरा मंदिर भी बर्फ में ढका है.


ये भी पढ़ेंः इस मंदिर में दर्शन के दौरान राजा नरेंद्र शाह को हो गया था अपनी मृत्यु का एहसास, मांगी थी ये खास मन्नत


मां अन्नपूर्णा की पूजा भंकोली गांव के खंडूड़ी ब्राह्मण करते हैं. मां के कपाट खोलने के लिए अगोड़ा, दासड़ा, भंकोली, सेक्कू आदि गांव से नागराजा की डोली भी मां अन्नपूर्णा की डोली के साथ डोडीताल पहुंचते हैं. जहां ग्रामीण मां को कंडे के साथ विदा करते हैं.


डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है. माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा डोडीताल में स्नान के लिए आई थीं. यहीं पर उन्होंने भगवान गणेश को जन्म दिया था और स्नान के लिए गणेश को द्वारपाल बनाकर खड़ा किया था. गणेश जी को किसी को भी अंदर नहीं आने देने का आदेश था. कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिव को गणेश ने रोका था.

Intro:हेडलाइन- 3 मई को खुलेंगे माँ अन्नपूर्णा के कपाट। slug- Uk_uttarkashi_vipin negi_annpurna temple in doditaal_09 april 2019. नोट- इस खबर के अन्य वीडियो मेल से भेजे गए हैं। उत्तरकाशी। विश्व प्रसिद्ध डोडीताल में स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट अब 3 मई को खोले जाएंगे। अन्नपूर्णा मंदिर समिति डोडीताल ने पहले निर्णय लिया था कि 28 अप्रैल को माँ अन्नपूर्णा के कपाट खुलने थे। लेकिन अधिक बर्फ होने के कारण अब समिति ने निर्णय लिया है कि 3 मई को डोडीताल में अन्नपूर्णा माँ के कपाट 6 माह के लिए खोले जाएंगे। अन्नपूर्णा माता का मंदिर 3100 मीटर की ऊंचाई पर डोडीताल की करीब 1 किमी लम्बी झील के किनारे पर स्थित है। डोडीताल में पर्यटक ट्रैकिंग के साथ ही माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद लेते हैं। डोडीताल उत्तरकाशी जनपद के अस्सी गंगा केलशु क्षेत्र में बसा हुआ है।


Body:वीओ-1, अस्सी गंगा घाटी के सात गांव अगोड़ा,भंकोली,गजोली,नोगांव सहित सेक्कू, नाल्ड आदि के ग्रामीणों ने विश्व प्रसिद्ध डोडीताल में स्थित अन्नपूर्णा माता के कपाट खोलने की तिथि 3 मई को निर्धारित की है। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी संजय पंवार ने बताया कि अभी डोडीताल में करीब 4 से 5 फीट बर्फ जमा है। साथ ही डोडीताल झील जो कि करीब 1 किमी लंबी है। पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई है। इसलिए श्रद्धालुओ के कपाट इस बार 28 अप्रैल की जगह 3 मई को खोले जाएंगे। पंवार ने बताया कि अभी पूरा मंदिर भी बर्फ में ढका है। डोडीताल हर वर्ष हजारों की संख्या में देश विदेश से ट्रेकर्स और श्रद्धालु पहुंचते हैं।जो कि 25 किमी के पैदल ट्रैक में प्रकृति के खूबसूरती का लुफ्त उठाते हैं।


Conclusion:वीओ-2, डोडीताल को गणेश भगवान की जन्मस्थली कहा जाता है। कहते हैं कि माँ अन्नपूर्णा ने डोडीताल में ही स्नान के लिए आई थी। यहीं पर उन्होंने भगवान गणेश को जन्म दिया था और स्नान के लिए गणेश को द्वारपाल बनाकर खड़ा किया था। कि किसी को भी अंदर न आने दिया जाए और यहीं पर भगवान शिव को भगवान गणेश ने रोका था। माँ अन्नपूर्णा की पूजा भंकोली गांव के खंडूड़ी जाती के ब्राह्मण करते हैं। माँ के कपाट खोलने के लिए अगोड़ा,दासड़ा,भंकोली,सेक्कू आदि गांव से नागराजा की डोली भी माँ अन्नपूर्णा की डोली के साथ डोडीताल पहुंचते हैं। ग्रामीण माँ को कंडे के साथ विदा करते हैं। बाईट- संजय पंवार,ग्रामीण अगोड़ा।
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