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आजादी के 74 साल, उत्तराखंड को हुए 21 साल, इस इलाके को अब मिली एंबुलेंस - arakot Ambulance

उत्तरकाशी के आराकोट-बंगाण क्षेत्र को राज्य बनने के 21 साल बाद एंबुलेंस सेवा मिल पाई है. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा के लिए शिमला या देहरादून जाना पड़ता है.

arakot ambulance service
आराकोट एंबुलेंस
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Published : Jun 17, 2021, 3:46 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 10:50 PM IST

उत्तरकाशी: प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर अभी तक नहीं सुधर पाया है. उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के आराकोट-बंगाण क्षेत्र को आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद एंबुलेंस सेवा 108 उपलब्ध हो पाई है. आराकोट-बंगाण क्षेत्र के लोगों को आज भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के रोहडू या देहरादून पर निर्भर रहना पड़ता है.

आराकोट बंगाण को मिली एंबुलेंस की सुविधा..

उत्तरकाशी जिले के सबसे दूरस्थ क्षेत्र आराकोट-बंगाण के लिए अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आराकोट के डॉ. मयंक जुवांठा और 108 प्रभारी नरेंद्र बडोनी ने 108 एंबुलेंस सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. स्थानीय लोगों का कहना है कि एंबुलेंस 39 दिन पहले राज्य मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद ने पुरोला से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था, जो 39 दिन बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आराकोट को अब मिल पाई है.

ये भी पढ़ेंः 25 दिन में 120KM नहीं पहुंच पाई एंबुलेंस, ग्रामीणों में रोष

बता दें कि आराकोट-बंगाण क्षेत्र में कई सालों से एंबुलेंस की मांग चल रही थी, जो अब कोरोना काल में पूरी हुई है. अब ग्रामीणों को एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. स्थानीय निवासी मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि आराकोट बंगाण क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के रोहडू, शिमला के अस्पतालों पर निर्भर हैं.

उन्होंने कहा कि गांवों में बीमार लोगों को आराकोट से 30 किमी दूर रोहडू ले जाया जाता है या फिर देहरादून ले जाना पड़ता है. लंबी संघर्षों और आजादी के सात दशक व राज्य बनने के 21 साल बाद क्षेत्र को एक एंबुलेंस नसीब हो पाई है, लेकिन बेहतर इलाज के लिए अभी भी देहरादून और शिमला का रुख करना पड़ता है.

उत्तरकाशी: प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर अभी तक नहीं सुधर पाया है. उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के आराकोट-बंगाण क्षेत्र को आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद एंबुलेंस सेवा 108 उपलब्ध हो पाई है. आराकोट-बंगाण क्षेत्र के लोगों को आज भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के रोहडू या देहरादून पर निर्भर रहना पड़ता है.

आराकोट बंगाण को मिली एंबुलेंस की सुविधा..

उत्तरकाशी जिले के सबसे दूरस्थ क्षेत्र आराकोट-बंगाण के लिए अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आराकोट के डॉ. मयंक जुवांठा और 108 प्रभारी नरेंद्र बडोनी ने 108 एंबुलेंस सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. स्थानीय लोगों का कहना है कि एंबुलेंस 39 दिन पहले राज्य मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद ने पुरोला से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था, जो 39 दिन बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आराकोट को अब मिल पाई है.

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बता दें कि आराकोट-बंगाण क्षेत्र में कई सालों से एंबुलेंस की मांग चल रही थी, जो अब कोरोना काल में पूरी हुई है. अब ग्रामीणों को एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. स्थानीय निवासी मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि आराकोट बंगाण क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के रोहडू, शिमला के अस्पतालों पर निर्भर हैं.

उन्होंने कहा कि गांवों में बीमार लोगों को आराकोट से 30 किमी दूर रोहडू ले जाया जाता है या फिर देहरादून ले जाना पड़ता है. लंबी संघर्षों और आजादी के सात दशक व राज्य बनने के 21 साल बाद क्षेत्र को एक एंबुलेंस नसीब हो पाई है, लेकिन बेहतर इलाज के लिए अभी भी देहरादून और शिमला का रुख करना पड़ता है.

Last Updated : Jun 17, 2021, 10:50 PM IST
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