उत्तरकाशीः पुराणों में कहा गया है कि गंगा हर प्रकार के पाप धुल जाते हैं. वहीं कलयुग में गंगा अपने मायके से शहर की गंदगियों को अपने में समेट निरन्तर बह रही है. यही हाल है उत्तरकाशी का जहां वर्षों पुराने कूड़े का निस्तारण नहीं हो पाया तो अब वह तेखला गदेरे से सीधा भागीरथी नदी में जा रहा है. जिससे जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगा नदी दूषित हो रही है.
वहीं अब कूड़े का निस्तारण गंगा का तेज बहाव से किया जा रहा है, लेकिन उसके बाद भी गंगा की स्वच्छ्ता के नाम पर लाखों करोड़ों की योजना बनने के बाद भी इस एक छोटी समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. नगर पालिका बाड़ाहाट का कहना है कि जितना हम से हो सकता था, निस्तारण किया. वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन भी मूकदर्शक बनकर गंगा की स्वच्छ्ता के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहा है.
तेखला में वर्षों से नगर पालिका बाड़ाहाट का कूड़ा डम्प होता था. विगत पांच वर्षों से स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद तेखला में कूड़ा डंपिंग जोन बन्द हो गया. कूड़ा डंपिंग तो बन्द हो गया, लेकिन उस कूड़े के बारे में किसी ने नहीं सोचा जो कि कई वर्षों से कई टन के हिसाब से तेखला गदेरे में जमा था.
यह भी पढ़ेंः कांवड़ियों से भरी गाड़ी पर गिरा बोल्डर, 4 की मौके पर ही मौत
नगर पालिका बाड़ाहाट के कूड़े को उसके हाल पर छोड़ दिया. जिस कारण अब बरसात में कूड़े का निस्तारण सीधा अब गंगा नदी के तेज प्रवाह में हो रहा है. क्योंकि बरसात में तेखला गदेरा भी उफान पर रहता है और गदेरे में डम्प कूड़ा बहकर सीधा नदी में जा रहा है जो कि गंगा की धार्मिक छवि और स्वच्छ्ता पर सीधा सवाल खड़ा करता है.
गंगोत्री हाइवे से कुछ दूरी पर तेखला गदेरे से कूड़े के बड़े-बड़े ढेर सीधा गंगा में जा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को गंगा में जा रही गंदगी नहीं दिख रही है, जो कि इसी गंगा की स्वच्छता के नाम पर कई प्रकार की नीतियां और योजनाएं तैयार करते हैं.
वहीं दूसरी ओर नगर पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल का कहना है कि तेखला में पड़े पुराने कूड़े के निस्तारण के लिए कूड़ा छांटकर निस्तारण के लिए भेजा गया है. उसके बाद भी वहां पर कूड़ा एकत्रित है तो उसे जल्द ही हटवाया जाएगा.