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खटीमा: प्रशासन ने कब्जे में ली सीलिंग की जमीन, ये है पूरा मामला

नैनीताल हाई कोर्ट ने खटीमा में उलानी गांव की 122 एकड़ सीलिंग की जमीन राज्य सरकार में निहित कर दी है. जिसके बाद खटीमा एसडीएम की अगुवाई में प्रशासन की टीम फसल काटने पहुंच गई है, जिसका ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया है.

Khatima Hindi News
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Published : Apr 16, 2020, 3:15 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 3:56 PM IST

खटीमा: नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर खटीमा तहसील प्रशासन ने उलानी गांव की 122 एकड़ सीलिंग की जमीन पर कब्जा कर लिया है. जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल काटने पहुंची प्रशासन की टीम का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. ग्रामीणों के भारी विरोध पर कई थानों की पुलिस भी उलानी गांव पहुंच गई. एसडीएम खटीमा की अगुवाई में प्रशासन की टीम 122 एकड़ भूमि पर गेहूं की फसल काटने में जुटी है.

सीलिंग की जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल काटने पहुंची प्रशासन की टीम.

ग्रामीणों का कहना है कि नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के ऑर्डर दिए हैं, क्योंकि 122 एकड़ जमीन पर गेहूं की फसल खड़ी है लेकिन खटीमा प्रशासन ने जबरन 122 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है.

एसडीएम खटीमा निर्मला बिष्ट ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार में निहित हुई उलानी गांव की 122 एकड़ सीलिंग की भूमि स्थानीय प्रशासन ने अपने कब्जे में ले ली थी. क्योंकि गेहूं की फसल पक चुकी है. इसलिए आज स्थानीय प्रशासन की टीम इस फसल को काटने आई है. यह फसल काटकर सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर भेज दी जाएगी. फसल की कीमत का जो भी पैसा मिलेगा वह तहसील में जमा रहेगा.

पढ़ें- कोरोना से दुनियाभर में 1.34 लाख लोगों की मौत, 20 लाख से अधिक संक्रमित

एसडीएम ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश अगर सरकार के पक्ष में होगा तो पैसा सरकार में जमा कर दिया जाएगा और यदि किसानों के पक्ष में आएगा तो किसानों को गेहूं की फसल का पैसा दे दिया जाएगा.

क्या है सीलिंग एक्ट ?

जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद साल 1961 में सीलिंग एक्ट लागू किया गया था. इस कानून के बनने के बाद एक परिवार को 15 एकड़ से ज्यादा सिंचित भूमि रखने का अधिकार नहीं है. असिंचित भूमि के मामले में यह रकबा 18 एकड़ तक बढ़ सकता है.

खटीमा: नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर खटीमा तहसील प्रशासन ने उलानी गांव की 122 एकड़ सीलिंग की जमीन पर कब्जा कर लिया है. जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल काटने पहुंची प्रशासन की टीम का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. ग्रामीणों के भारी विरोध पर कई थानों की पुलिस भी उलानी गांव पहुंच गई. एसडीएम खटीमा की अगुवाई में प्रशासन की टीम 122 एकड़ भूमि पर गेहूं की फसल काटने में जुटी है.

सीलिंग की जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल काटने पहुंची प्रशासन की टीम.

ग्रामीणों का कहना है कि नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के ऑर्डर दिए हैं, क्योंकि 122 एकड़ जमीन पर गेहूं की फसल खड़ी है लेकिन खटीमा प्रशासन ने जबरन 122 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है.

एसडीएम खटीमा निर्मला बिष्ट ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार में निहित हुई उलानी गांव की 122 एकड़ सीलिंग की भूमि स्थानीय प्रशासन ने अपने कब्जे में ले ली थी. क्योंकि गेहूं की फसल पक चुकी है. इसलिए आज स्थानीय प्रशासन की टीम इस फसल को काटने आई है. यह फसल काटकर सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर भेज दी जाएगी. फसल की कीमत का जो भी पैसा मिलेगा वह तहसील में जमा रहेगा.

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एसडीएम ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश अगर सरकार के पक्ष में होगा तो पैसा सरकार में जमा कर दिया जाएगा और यदि किसानों के पक्ष में आएगा तो किसानों को गेहूं की फसल का पैसा दे दिया जाएगा.

क्या है सीलिंग एक्ट ?

जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद साल 1961 में सीलिंग एक्ट लागू किया गया था. इस कानून के बनने के बाद एक परिवार को 15 एकड़ से ज्यादा सिंचित भूमि रखने का अधिकार नहीं है. असिंचित भूमि के मामले में यह रकबा 18 एकड़ तक बढ़ सकता है.

Last Updated : Apr 16, 2020, 3:56 PM IST
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