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RTI में खुलासा: सीएम ऑफिस से नहीं हुई UCC की घोषणा, दिल्ली से ऑपरेट होगी कमेटी

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के लिए बनाई गई कमेटी दिल्ली से काम करेगी. सूचना के तहत मिली जानकारी में पता चला है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए गठित समिति का कार्यालय दिल्ली में बनाया गया है. इतना ही नहीं, इस समिति के सभी खर्चे उत्तराखंड का पुलिस मुख्यालय उठाएगा. वहीं, ये भी बताया गया है कि समान नागरिक संहिता संबंधी कोई घोषणा मुख्यमंत्री ऑफिस से हुई है.

Big disclosure about Uttarakhand Uniform Civil Code Committee in RTI
उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी को लेकर RTI में खुलासा
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Published : Jun 24, 2022, 5:55 PM IST

Updated : Jun 24, 2022, 6:56 PM IST

काशीपुर: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पिछले कई महीनों से चर्चाओं का विषय रहा है. इसे लेकर प्रदेश सरकार ने पांच सदस्यीय समिति भी गठित कर दी है. अब इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर तैयार की गई ये कमेटी दिल्ली से काम करेगी. इसका सारा खर्च उत्तराखंड का पुलिस मुख्यालय उठाएगा. सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन को ये जानकारियां गृह विभाग ने उपलब्ध कराई हैं.

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की घोषणा को मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी घोषणाओं में माना जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने सूचना में स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता संबंधी कोई घोषणा मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी नहीं हुई है. हालांकि, गृह विभाग द्वारा उपलब्ध सूचना के अनुसार इस संबंध में दो शासनादेश- 27 मई 2022 और 10 जून 2022 को गृह विभाग ने जारी किये हैं. ये भी बताया गया है कि, इस बारे में ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति मुख्य रूप से कैंप कार्यालय दिल्ली से कार्य करेगी. इसका खर्च पुलिस मुख्यालय द्वारा वहन किया जायेगा.
पढे़ं- Uniform Civil Code: सरकार ने 5 सदस्यीय ड्राफ्ट कमेटी का किया गठन, पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

बता दें, काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड में समान नगारिक संहिता पर कार्यवाही के संबंध में सूचनाएं मांगी थी. इसके उत्तर में मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के अभिलेखानुसार 'समान नगारिक संहिता' संबंधी कोई घोषणा जारी नहीं की गयी है. इस संबंध में गृह विभाग स्तर से कार्यवाही की संभावना के चलते इस सूचना प्रार्थना पत्र को गृह विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया है.
पढे़ं- यूनिफॉर्म सिविल कोड पर फिर बोले CM धामी, 'पहला राज्य होगा उत्तराखंड, ऐसे करेंगे लागू'

वहीं, गृह विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने सूचना देने की तिथि तक कार्यवाही का विवरण व संबंधित शासनादेशों की प्रतियां उपलब्ध कराई हैं. नदीमउद्दीन को उपलब्ध सूचना के अनुसार 4 पूर्व न्यायाधीशों सहित 9 नामों पर विचार के बाद 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. नदीमउद्दीन को उपलब्ध शासनादेश में विशेषज्ञ समिति के उत्तरादायित्व कार्यालय व अध्यक्ष व सदस्यों की वेतन भत्ते, मानदेय, सुविधाओं और खर्च वहन को स्पष्ट किया गया है. जानकारी के अनुसार, समिति का कार्यकाल 6 महीने का होगा. 6 महीने के भीतर कमेटी को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को पेश करनी होगी. समिति का एक कार्यालय देहरादून और दूसरा कार्यालय नई दिल्ली/नोएडा में स्थापित किया जाएगा.
पढे़ं- धामी सरकार का 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' लागू करने की दिशा में पहला कदम

पहली कैबिनेट में ही हुआ था कमेटी बनाने का फैसला: गौर हो कि सरकार बनने के बाद 24 मार्च 2022 को हुई धामी 2.0 की पहली कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि प्रदेश सरकार इस कानून को लागू करने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी, जो प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर ड्राफ्ट तैयार करेगी. राज्य मंत्रिमंडल ने इस निर्णय पर सर्वसम्मति से अपनी सहमति दर्ज कराई थी. मंत्रिमंडल की इस पहली बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उनकी सरकार ने संकल्प लिया था कि उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे.

बता दें कि, इस ड्रॉफ्ट कमेटी की पांच सदस्यीय टीम में सुप्रीम की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को चेयरमैन बनाया गया है. ड्राफ्ट कमेटी के अन्य सदस्यों में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव IAS शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल और टैक्स पेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं. इस यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत विवाह-तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों.

काशीपुर: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पिछले कई महीनों से चर्चाओं का विषय रहा है. इसे लेकर प्रदेश सरकार ने पांच सदस्यीय समिति भी गठित कर दी है. अब इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर तैयार की गई ये कमेटी दिल्ली से काम करेगी. इसका सारा खर्च उत्तराखंड का पुलिस मुख्यालय उठाएगा. सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन को ये जानकारियां गृह विभाग ने उपलब्ध कराई हैं.

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की घोषणा को मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी घोषणाओं में माना जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने सूचना में स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता संबंधी कोई घोषणा मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी नहीं हुई है. हालांकि, गृह विभाग द्वारा उपलब्ध सूचना के अनुसार इस संबंध में दो शासनादेश- 27 मई 2022 और 10 जून 2022 को गृह विभाग ने जारी किये हैं. ये भी बताया गया है कि, इस बारे में ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति मुख्य रूप से कैंप कार्यालय दिल्ली से कार्य करेगी. इसका खर्च पुलिस मुख्यालय द्वारा वहन किया जायेगा.
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बता दें, काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड में समान नगारिक संहिता पर कार्यवाही के संबंध में सूचनाएं मांगी थी. इसके उत्तर में मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के अभिलेखानुसार 'समान नगारिक संहिता' संबंधी कोई घोषणा जारी नहीं की गयी है. इस संबंध में गृह विभाग स्तर से कार्यवाही की संभावना के चलते इस सूचना प्रार्थना पत्र को गृह विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया है.
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वहीं, गृह विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने सूचना देने की तिथि तक कार्यवाही का विवरण व संबंधित शासनादेशों की प्रतियां उपलब्ध कराई हैं. नदीमउद्दीन को उपलब्ध सूचना के अनुसार 4 पूर्व न्यायाधीशों सहित 9 नामों पर विचार के बाद 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. नदीमउद्दीन को उपलब्ध शासनादेश में विशेषज्ञ समिति के उत्तरादायित्व कार्यालय व अध्यक्ष व सदस्यों की वेतन भत्ते, मानदेय, सुविधाओं और खर्च वहन को स्पष्ट किया गया है. जानकारी के अनुसार, समिति का कार्यकाल 6 महीने का होगा. 6 महीने के भीतर कमेटी को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को पेश करनी होगी. समिति का एक कार्यालय देहरादून और दूसरा कार्यालय नई दिल्ली/नोएडा में स्थापित किया जाएगा.
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पहली कैबिनेट में ही हुआ था कमेटी बनाने का फैसला: गौर हो कि सरकार बनने के बाद 24 मार्च 2022 को हुई धामी 2.0 की पहली कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि प्रदेश सरकार इस कानून को लागू करने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी, जो प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर ड्राफ्ट तैयार करेगी. राज्य मंत्रिमंडल ने इस निर्णय पर सर्वसम्मति से अपनी सहमति दर्ज कराई थी. मंत्रिमंडल की इस पहली बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उनकी सरकार ने संकल्प लिया था कि उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड लाएंगे.

बता दें कि, इस ड्रॉफ्ट कमेटी की पांच सदस्यीय टीम में सुप्रीम की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को चेयरमैन बनाया गया है. ड्राफ्ट कमेटी के अन्य सदस्यों में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव IAS शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल और टैक्स पेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं. इस यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत विवाह-तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों.

Last Updated : Jun 24, 2022, 6:56 PM IST
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