काशीपुर: उधम सिंह नगर जनपद के काशीपुर की तीन बेटियों ने दृष्टिहीनों को नई रोशनी देने का निर्णय लिया है. तीनों सहेलियों ने मरणोपरांत नेत्रदान करने का फैसला लिया है. खास बात यह है कि दृष्टिहीनों की ज्योति बनने का यह संकल्प जन्मदिन पर उपहार के रूप में लिया गया.
बता दें, चामुंडा मंदिर के पास रहने वाली 28 वर्षीय रजनी ने अपने जन्मदिन पर यह संकल्प पत्र भरा. पेशे से ब्यूटी पार्लर चलाने वाली रजनी ने तय किया था कि जन्मदिन के उपहार के रूप में वह यही संकल्प लेंगी. रजनी की दो सहेलियों ज्योति रावत (26) व प्रतिभा (30) ने उनका संकल्प पूरा किया.
तीनों सहेलियां ने एक निजी अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कनिका अग्रवाल से मुलाकात की. इस मौके पर उन्होंने केक काटा और संबंधित फार्म भी भरा. उनके इस कदम पर यहां हर कोई प्रशंसा कर रहा है. रजनी की मां सरोज देवी और पिता मोहन सिंह रावत भी अपनी बिटिया के संकल्प में साथ देंगे. कोविड गाइडलाइन के चलते बुजुर्ग होने के कारण वे जन्मदिन के अवसर पर सहभागी नहीं बन सके.
रजनी बताती हैं कि वह एक दिन घर में छोटे बच्चों के साथ आंखों पर पट्टी बांधकर खेल रही थीं. इस दौरान खेलते-खेलते वह दो बार दीवार से टकरा गईं. तब उन्हें दृष्टिहीनों के कष्ट का अहसास हुआ. उसी दिन उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया.
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वहीं, तीनों सहेलियों ने कहा कि नेत्रदान का फार्म भरकर वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. मृत्यु के बाद शरीर के उपयोगी अंगों को जरूरतमंदों को देने को लेकर भी रजनी लोगों को प्रेरित कर रही हैं. वह कहती हैं कि ऐसा करने से किसी जरूरतमंद को स्वस्थ जीवन मिल सकता है. हर स्वस्थ नागरिक को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए.
नेत्रदान के लिए उम्र की बाध्यता नहीं
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कनिका अग्रवाल ने कहा कि नेत्रदान के लिए फार्म भरने के लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है. लोगों को इसे लेकर और भी जागरूक होने की आवश्यकता है. नेत्रदान से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है.