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यूक्रेन से छात्रों के लौटने का सिलसिला जारी, बच्चों को देख परिजनों के छलके आंसू

यूक्रेन से भारतीय छात्रों का उत्तराखंड लौटने का सिलसिला जारी है. आज भी उधम सिंह नगर जनपद के 3 छात्र और हल्द्वानी का एक छात्र रुद्रपुर पहुंचा. इस मौके पर अपने बच्चों की सकुशल वापसी पर परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू आ गए.

4 students reached Rudrapur from Ukraine
यूक्रेन से 4 छात्र पहुंचे रुद्रपुर
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Published : Mar 3, 2022, 7:04 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 7:50 PM IST

रुद्रपुर: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों और लोगों को मोदी सरकार लगातार स्वदेश लाने में जुटी है. इसी के तहत यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के छात्रों को भी स्वदेश लाया जा रहा है. आज भी उधम सिंह नगर जनपद के 3 छात्र, रुड़की और हल्द्वानी का भी एक-एक छात्र घर लौटे. मौत के मुंह वापस लौटे बच्चों को देख परिजनों के आंखों से आंसू बहने लगे. यूक्रेन के तीन शहरो से लौटे छात्रों ने अपनी आपबीती सुनाई.

यूक्रेन से रुड़की के शाहपुर गांव निवासी छात्र मोहम्मद अहमद गौड़ अपने घर लौटा. वहीं, अपने बच्चे की सकुशल घर वापसी पर परिजनों ने खुशी जाहिर की है. गौड़ ने कहा कि यूक्रेन में खौफनाक माहौल के बीच अभी भी छात्र वहां फंसे हैं. यूक्रेन के हालात बहुत खराब है. वहां से लोग अपने-अपने वतन लौट रहे हैं. मोहम्मद भी तीन दिन के सफर के बाद इंडिया पहुंचा.

यूक्रेन से छात्रों के लौटने का सिलसिला जारी

वहीं, दिल्ली एयरपोर्ट से प्रीत विहार निवासी अर्श मलिक, जावेद अंसारी भी रुद्रपुर पहुंचे. इस दौरान उनके साथ हल्द्वानी निवासी वैभव यादव और काशीपुर निवासी रितिक राजपूत भी मौजूद थे. मौत के मुंह से वापस लौटे बच्चों को देख परिजन फूट-फूटकर रोने लगे. इस दौरान बच्चों की सकुशल वापसी को लेकर मिठाई भी बांटी. वहीं, वतन वापसी को लेकर परिजनों और छात्रों ने भारत सरकार का धन्यवाद किया.

ये भी पढ़ें: कपाट खुलने से पहले तुंगनाथ धाम पहुंचे पर्यटक, स्थानीय लोगों में आक्रोश

हल्द्वानी निवासी वैभव ने बताया की वह यूक्रेन के ओडेसा शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. सबसे पहले उनके शहर में बमबारी हुई थी, उनकी नींद भी बम, गोलियों और शायरनों की आवाज से खुलती थी. यूक्रेन के हालात बहुत खराब है. प्रीत विहार रुद्रपुर निवासी जावेद ने बताया की वह ट्रानोफिल शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. ट्रानोफिल शहर में भी लगातार बमबारी और गोलीबारी हो रही हैं. शहर से निकलने से पूर्व वहां के हालात इस तरह हो गए थे की सायरन बजते ही खाना छोड़ कर बंकर की शरण लेनी पड़ती थी.

जावेद ने कहा शहर से निकलने के लिए विश्वविद्यालय ने उनकी काफी मदद की. ट्रानोफिल शहर से वह 100 किलोमीटर तक कार से निकले, जिसके बाद 60 किलोमीटर पैदल चल कर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे. यूक्रेन से निकलने के बाद पोलैंड बॉर्डर सहित अन्य बॉर्डर में उन्हें काफी सहयोग मिला. उन्होंने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए अन्य बच्चों को भी सकुशल भारत लाने का आग्रह किया.

रुद्रपुर: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों और लोगों को मोदी सरकार लगातार स्वदेश लाने में जुटी है. इसी के तहत यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के छात्रों को भी स्वदेश लाया जा रहा है. आज भी उधम सिंह नगर जनपद के 3 छात्र, रुड़की और हल्द्वानी का भी एक-एक छात्र घर लौटे. मौत के मुंह वापस लौटे बच्चों को देख परिजनों के आंखों से आंसू बहने लगे. यूक्रेन के तीन शहरो से लौटे छात्रों ने अपनी आपबीती सुनाई.

यूक्रेन से रुड़की के शाहपुर गांव निवासी छात्र मोहम्मद अहमद गौड़ अपने घर लौटा. वहीं, अपने बच्चे की सकुशल घर वापसी पर परिजनों ने खुशी जाहिर की है. गौड़ ने कहा कि यूक्रेन में खौफनाक माहौल के बीच अभी भी छात्र वहां फंसे हैं. यूक्रेन के हालात बहुत खराब है. वहां से लोग अपने-अपने वतन लौट रहे हैं. मोहम्मद भी तीन दिन के सफर के बाद इंडिया पहुंचा.

यूक्रेन से छात्रों के लौटने का सिलसिला जारी

वहीं, दिल्ली एयरपोर्ट से प्रीत विहार निवासी अर्श मलिक, जावेद अंसारी भी रुद्रपुर पहुंचे. इस दौरान उनके साथ हल्द्वानी निवासी वैभव यादव और काशीपुर निवासी रितिक राजपूत भी मौजूद थे. मौत के मुंह से वापस लौटे बच्चों को देख परिजन फूट-फूटकर रोने लगे. इस दौरान बच्चों की सकुशल वापसी को लेकर मिठाई भी बांटी. वहीं, वतन वापसी को लेकर परिजनों और छात्रों ने भारत सरकार का धन्यवाद किया.

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हल्द्वानी निवासी वैभव ने बताया की वह यूक्रेन के ओडेसा शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. सबसे पहले उनके शहर में बमबारी हुई थी, उनकी नींद भी बम, गोलियों और शायरनों की आवाज से खुलती थी. यूक्रेन के हालात बहुत खराब है. प्रीत विहार रुद्रपुर निवासी जावेद ने बताया की वह ट्रानोफिल शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. ट्रानोफिल शहर में भी लगातार बमबारी और गोलीबारी हो रही हैं. शहर से निकलने से पूर्व वहां के हालात इस तरह हो गए थे की सायरन बजते ही खाना छोड़ कर बंकर की शरण लेनी पड़ती थी.

जावेद ने कहा शहर से निकलने के लिए विश्वविद्यालय ने उनकी काफी मदद की. ट्रानोफिल शहर से वह 100 किलोमीटर तक कार से निकले, जिसके बाद 60 किलोमीटर पैदल चल कर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे. यूक्रेन से निकलने के बाद पोलैंड बॉर्डर सहित अन्य बॉर्डर में उन्हें काफी सहयोग मिला. उन्होंने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए अन्य बच्चों को भी सकुशल भारत लाने का आग्रह किया.

Last Updated : Mar 3, 2022, 7:50 PM IST
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