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बैंकों के निजीकरण के खिलाफ कर्मियों की हड़ताल, शनिवार को खुलेंगे बैंक, निपटा लें जरूरी काम

बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल का असर उत्तराखंड में भी देखने को मिला. दो दिन तक प्रदेश के बैंक बंद रहे. अब शनिवार को बैंक खुलेंगे. बताया जा रहा है कि सोमवार से बैंक कर्मी फिर से आंदोलन को लेकर रणनीति बना सकते हैं.

(bank employees strike against privatisation
बैंकों के निजीकरण के खिलाफ कर्मियों की हड़ताल
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Published : Dec 17, 2021, 6:09 PM IST

Updated : Dec 17, 2021, 6:42 PM IST

ऋषिकेश/काशीपुरः बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल (bank employees strike against privatisation) आज भी जारी रही. दो दिन की हड़ताल के बाद शनिवार को देश के सभी बैंक खुलने जा रहे हैं. यदि आपका कोई भी बैंकिंग से संबंधित काम है तो शनिवार को बैंक जाकर निपटा लें. क्योंकि, रविवार को साप्ताहिक अवकाश की वजह से बैंक बंद रहेंगे. जबकि, सोमवार को बैंक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अपनी आगामी रणनीति बनाएंगे. ऐसे में हो सकता है कि बैंक कर्मचारी अपनी चेतावनी के अनुसार मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले जाएं.

बता दें कि बैंकों के निजीकरण के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे. इस दौरान ऋषिकेश सेंटर के अंतर्गत करीब 250 करोड़ का ट्रांजेक्शन प्रभावित हुआ. शनिवार को बैंक कर्मचारियों की हड़ताल की समय सीमा खत्म हो रही है. ऐसे में शनिवार का दिन बैंकिंग सेक्टर के लिए काफी अहम रहेगा. सुबह से शाम तक बैंकों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है.

बैंकों के निजीकरण के खिलाफ कर्मियों की हड़ताल.

ये भी पढ़ेंः बैंक कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, बैंकों के निजीकरण का कर रहे हैं विरोध

बताया जा रहा है कि सोमवार को बैंक खुलने के बाद बैंक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अग्रिम रणनीति बनाएंगे. जानकारी है कि अभी तक बैंक कर्मचारियों की मांग पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में बैंक कर्मचारियों की ओर से दी गई अनिश्चितकाल हड़ताल की चेतावनी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.

शनिवार को खुलेंगे बैंक.

काशीपुर में बैंक कर्मियों ने तानी मुट्ठी: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले (United Forum of Bank Unions) सभी बैंकों की चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. इस दौरान काशीपुर में अन्य जगहों की तरह सभी बैंकों के कर्मी (bankers protest in Kashipur) एक बार फिर पंजाब नेशनल बैंक पर एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की.

हड़ताल के दूसरे दिन काशीपुर में माता मंदिर रोड पर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, सेंट्रल बैंक, नैनीताल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कुर्मांचल बैंक समेत काशीपुर के विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों ने हड़ताल में (strike of bank employees against privatisation) प्रतिभाग किया.

ये भी पढ़ेंः सरकारी बैंक कर्मचारियों के दो दिन की हड़ताल से देश भर में बैंक सेवाएं प्रभावित

उत्तरांचल बैंक एंप्लाइज यूनियन (Uttaranchal Bank Employees Union) के महामंत्री सतपाल शर्मा ने बताया कि देश की करोड़ों जनता ने जिन भावनाओं के साथ बीजेपी को देश की सत्ता की कमान सौंपी थी, उस पर विफल साबित हो रही है. दूसरे राउंड में बीजेपी की सरकार ने अपना पुराने एजेंडे के तहत देश के उपक्रमों को बेचने का और उनके निजीकरण का सिलसिला जारी रखा है.

उन्होंने कहा कि बैंकों की इस दो दिवसीय हड़ताल का मुख्य उद्देश्य बैंकों का निजीकरण बंद करने, बैंकों को बेचने से रोकने और देश के युवा बेरोजगारों को रोजगार देते हुए बैंकों में काफी लंबे समय से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती करना है. क्योंकि, अधिकतर सरकारी योजनाओं को सरकार बैंकों के माध्यम लागू करना चाहती है. जिससे बैंक कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है.

ये भी पढ़ेंः 75 सालों बाद इस क्षेत्र में खुलने जा रही है बैंक की शाखा, 40 ग्राम सभाओं को होगा फायदा

सरकार तमाम सरकारी योजनाओं को बैंकों के माध्यम से लागू कर बैंक कर्मियों पर बोझ बढ़ाना चाहती है तो वहीं सरकारी बैंकों का निजीकरण (Bank Privatisation) करना चाहती है. सभी बैंक कर्मी इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इसी के मद्देनजर दो दिवसीय हड़ताल पर हैं. जहां बैंकों की हड़ताल से आम जनमानस को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं बैंकों को 98 लाख हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

ऋषिकेश/काशीपुरः बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों की देशव्यापी हड़ताल (bank employees strike against privatisation) आज भी जारी रही. दो दिन की हड़ताल के बाद शनिवार को देश के सभी बैंक खुलने जा रहे हैं. यदि आपका कोई भी बैंकिंग से संबंधित काम है तो शनिवार को बैंक जाकर निपटा लें. क्योंकि, रविवार को साप्ताहिक अवकाश की वजह से बैंक बंद रहेंगे. जबकि, सोमवार को बैंक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अपनी आगामी रणनीति बनाएंगे. ऐसे में हो सकता है कि बैंक कर्मचारी अपनी चेतावनी के अनुसार मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले जाएं.

बता दें कि बैंकों के निजीकरण के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे. इस दौरान ऋषिकेश सेंटर के अंतर्गत करीब 250 करोड़ का ट्रांजेक्शन प्रभावित हुआ. शनिवार को बैंक कर्मचारियों की हड़ताल की समय सीमा खत्म हो रही है. ऐसे में शनिवार का दिन बैंकिंग सेक्टर के लिए काफी अहम रहेगा. सुबह से शाम तक बैंकों में ग्राहकों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है.

बैंकों के निजीकरण के खिलाफ कर्मियों की हड़ताल.

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बताया जा रहा है कि सोमवार को बैंक खुलने के बाद बैंक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अग्रिम रणनीति बनाएंगे. जानकारी है कि अभी तक बैंक कर्मचारियों की मांग पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में बैंक कर्मचारियों की ओर से दी गई अनिश्चितकाल हड़ताल की चेतावनी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.

शनिवार को खुलेंगे बैंक.

काशीपुर में बैंक कर्मियों ने तानी मुट्ठी: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले (United Forum of Bank Unions) सभी बैंकों की चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. इस दौरान काशीपुर में अन्य जगहों की तरह सभी बैंकों के कर्मी (bankers protest in Kashipur) एक बार फिर पंजाब नेशनल बैंक पर एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की.

हड़ताल के दूसरे दिन काशीपुर में माता मंदिर रोड पर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, सेंट्रल बैंक, नैनीताल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कुर्मांचल बैंक समेत काशीपुर के विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों ने हड़ताल में (strike of bank employees against privatisation) प्रतिभाग किया.

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उत्तरांचल बैंक एंप्लाइज यूनियन (Uttaranchal Bank Employees Union) के महामंत्री सतपाल शर्मा ने बताया कि देश की करोड़ों जनता ने जिन भावनाओं के साथ बीजेपी को देश की सत्ता की कमान सौंपी थी, उस पर विफल साबित हो रही है. दूसरे राउंड में बीजेपी की सरकार ने अपना पुराने एजेंडे के तहत देश के उपक्रमों को बेचने का और उनके निजीकरण का सिलसिला जारी रखा है.

उन्होंने कहा कि बैंकों की इस दो दिवसीय हड़ताल का मुख्य उद्देश्य बैंकों का निजीकरण बंद करने, बैंकों को बेचने से रोकने और देश के युवा बेरोजगारों को रोजगार देते हुए बैंकों में काफी लंबे समय से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती करना है. क्योंकि, अधिकतर सरकारी योजनाओं को सरकार बैंकों के माध्यम लागू करना चाहती है. जिससे बैंक कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है.

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सरकार तमाम सरकारी योजनाओं को बैंकों के माध्यम से लागू कर बैंक कर्मियों पर बोझ बढ़ाना चाहती है तो वहीं सरकारी बैंकों का निजीकरण (Bank Privatisation) करना चाहती है. सभी बैंक कर्मी इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इसी के मद्देनजर दो दिवसीय हड़ताल पर हैं. जहां बैंकों की हड़ताल से आम जनमानस को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं बैंकों को 98 लाख हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

Last Updated : Dec 17, 2021, 6:42 PM IST
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