रुद्रपुर: देहरादून एसआईटी और रुद्रपुर कोतवाली पुलिस ने एलटी की परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर परीक्षा पास करने के मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि चार आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं. गिरफ्तार आरोपियों को एसआईटी की टीम देहरादून ले गई है.
एलटी की परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर कुछ अभ्यथियों द्वारा परीक्षा पास करने के मामले में देहरादून एसआईटी और रुद्रपुर कोतवाली पुलिस ने दो मास्टरमाइंड सहित नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार आरोपियों में से एक आरोपी हल्द्वानी जेल में तैनात था. जबकि एक आरोपी फायरमैन बिलासपुर में तैनात था. यही नहीं मामले में दो शिक्षकों को भी गिरफ्तार किया गया है.
बता दें कि साल 2018 में उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग द्वारा एलटी की परीक्षा करायी गई थी. जिसके बाद ओएमआर शीट के चेकिंग के दौरान पूरा मामला प्रकाश में आया था. इसके बाद आयोग के अनुसचिव द्वारा मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था. जिसके बाद मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया. जांच के दौरान आयोग द्वारा 21 लोगों द्वारा परीक्षा के दौरान भरे गए फार्म पर एक ही ई-मेल का प्रयोग करना पाया गया. साथ ही एक नाम से दो अलग-अलग लोगों द्वारा परीक्षाएं दी गयी थी.
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जांच के दौरान एसआईटी ने मामले में 13 लोगों को चिह्नित किया. जिसके बाद टीम ने 20 फरवरी 2020 को एसआईटी ने रुद्रपुर कोतवाली की मदद से गोपालपुर जूनियर हाईस्कूल में तैनात शिक्षक सुरेश निवासी मुरादाबाद को गिरफ्तार किया. पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने सर्वेश यादव निवासी मुरादाबाद के कहने पर परीक्षा दी थी. सर्वेश की गिरफ्तारी के बाद मामले का मास्टरमाइंड फायरमैन देवेंद्र का नाम प्रकाश में आया. जिसके बाद टीम ने फायरमैन देवेंद्र को बिलासपुर से गिरफ्तार किया. देवेंद्र से पूछताछ के आधार पर अवतार सिंह, अनिल कुमार, अंचल कुमार, सोनू सिंह, धर्मेंद्र व अंकित को जसपुर और काशीपुर से गिरफ्तार किया. जबकि विजयवीर, मीना राम, रिंकू कुमार और मो. जावेदुल्लाह फरार चल रहे हैं.
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मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी ने बताया कि आरोपियों द्वारा एक ही नाम के दो लोगों द्वारा परीक्षा के फार्म भर कर परीक्षा दी जाती थी. जिसमें ओरिजनल अभ्यर्थी द्वारा ओएमआर शीट पर फर्जी अभ्यर्थी का रोल नम्बर लिखकर परीक्षा दी जाती थी. जबकि फर्जी अभ्यर्थी द्वारा ऑरिजनल अभ्यर्थी का रोल नम्बर अंकित कर परीक्षा दी जाती थी. इसकी एवज में ऑरिजिनल अभ्यर्थी से दो से 3 लाख रुपए लिए जाते थे. उन्होंने बताया कि एसआईटी ने मामले की जांच करते हुए 9 लोगों को गिरफ्तार किया है.