खटीमाः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सूरई वन रेंज के बीचों-बीच स्थित बाबा भारामल शक्ति स्थल के सौंदर्यीकरण की घोषणा की थी. जिसे पूरा करने के लिए खटीमा तहसील में एसडीएम की अगुवाई में राजस्व, वन विभाग और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई. यहां पर करीब 52 लाख की लागत से बाबा की समाधि स्थल का सौंदर्यीकरण किया जाना है. साथ ही श्रद्धालुओं के लिए विश्राम गृह बनाया जाना है.
कोरोना काल से पहले सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी की मांग पर बाबा भारामल शक्ति स्थल की 52 लाख की लागत से सौंदर्यीकरण करने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सौंदर्यीकरण करने के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता है, उस भूमि को डिफॉरेस्ट घोषित किया जाना जरूरी है. जिसे लेकर खटीमा तहसील में एसडीएम निर्मला बिष्ट ने राजस्व, वन, पुरातत्व विभाग और सौंदर्यीकरण करने वाली कार्यदायी संस्था के अधिकारियों की मीटिंग आयोजित की गई.
ये भी पढ़ेंः जोशियाड़ा पुल पर चढ़ा युवक, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के उड़े होश
एसडीएम निर्मला बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा करने के लिए जिस भूमि पर सौंदर्यीकरण होना है, उस वन भूमि के अधिग्रहण के लिए बैठक आयोजित की गई. बैठक में सभी विभागों के अधिकारियों की ओर प्रस्ताव पारित कर दिया गया है. पारित हुए प्रस्ताव को अग्रिम कार्रवाई के लिए शासन में भेजा जाएगा.
दुर्गा भक्त बाबा भारामल भटके लोगों को दिखाते थे रास्ता
बता दें कि खटीमा में यूपी सीमा से लगे सुरई वन रेंज के बीचोंबीच वन भूमि पर स्थित बाबा भारामल शक्ति स्थल है. बताया जाता है कि अंग्रेजों के जमाने में यहां पर माता दुर्गा के अनन्य भक्त बाबा भारामल जंगलों के बीचोंबीच निवास करते थे और जंगल में भटके लोगों को रास्ता दिखाते थे. जिसके चलते खटीमा और उसके आसपास के क्षेत्र में बाबा की काफी प्रसिद्धि थी. बाबा की मौत के बाद भक्तों ने उनकी कुटिया के स्थान पर उनकी समाधि बनाकर उसकी पूजा की जाने लगी. हर साल बाबा की समाधि पर लाखों भक्त माथा टेक कर मनोकामना मांगते हैं. माना जाता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.