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अटल आयुष्मान योजना में बड़ा गोलमाल, RTI में सामने आया चौंकाने वाला सच

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि पीएचसी केलाखेड़ा से जिन मरीजों को जनसेवा अस्पताल में रेफर में किया गया है वो सभी काशीपुर के रहने वाले है. जबकि, काशीपुर शहर से पीएचसी केलाखेड़ा की दूरी करीब 25 किमी है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि काशीपुर में राजकीय चिकित्सालय होने के बावजूद इतने मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में इलाज कराने एक साथ कैसे पहुंच गए?

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Published : Jun 15, 2019, 9:08 AM IST

Updated : Jun 15, 2019, 9:27 AM IST

काशीपुर: अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत गलत तरीके से मरीजों को रेफर करने और इलाज दर्शाकर लाखों रुपये हड़पने के मामले में काशीपुर के दो निजी अस्पतालों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन आरटीआई ( सूचना का अधिकार) से मांगी जानकारी में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है.

गरीबों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसको लेकर राज्य सरकार ने अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की थी, जहां मरीजों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल सकें. लेकिन अब ये योजना भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है.

पढ़ें- फोटो खिंचवाने को लेकर केंद्रीय मंत्री के सामने भिड़े विस अध्यक्ष और राज्यमंत्री, गाली-गलौच तक पहुंचा मामला

दरअसल, काशीपुर निवासी अधिवक्ता चौधरी मुनिदेव बिश्नोई ने आरटीआई के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किला खेड़ा से अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत मुरादाबाद रोड स्थित जनसेवा अस्पताल पुराना जसपुर बस अड्डा में रेफर किए गए मरीजों के बारे में सूचना मांगी थी. आरटीआई में चौधरी ने इलाज व उसके भुगतान के बारे भी सूचना मांगी थी.

अटल आयुष्मान योजना में बड़ा गोलमाल

इस बारे में लोक सूचना अधिकारी पूनम चंदेल की और से जो जानकारी उपलब्ध कराई गई उसमें बड़ा घोटाला सामने आए है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पीएचसी केलाखेड़ा से 47 मरीजों को हायर सेंटर के नाम पर जनसेवा अस्पताल में रेफर किया गया.

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि जिन 47 मरीजों का इसमें जिक्र किया गया है. उसमें से अधिकतर की रेफर स्लिप पर मरीजों के पिता और पति का जिक्र ही नहीं है. कई मरीजों की रेफर स्लिप पर तो तारीख भी अंकित नहीं है कि उन्हें किस दिन रेफर किया गया था.

हद तो तब हो गई जब अकीरा नामक की एक महिला की रेफर सिल्प पर अगस्त 2019 की तारीश दर्शाई गई है, जबकि अभी जून चल रहा है. इससे साफ पता चलता है कि यहां अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम पर कितना बड़ा घोटाला किया जा रहा है. इन 47 मरीजों के इलाज के नाम पर 2 लाख 7 हज़ार रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है.

पढ़ें- शनिवार को बीजेपी कार्यालय में 'निशंक' का होगा जोरदार स्वागत, पार्टी नेताओं से भी करेंगे मुलाकात

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि पीएचसी केलाखेड़ा से जिन मरीजों को जनसेवा अस्पताल में रेफर में किया गया है वो सभी काशीपुर के रहने वाले है. जबकि, काशीपुर शहर से पीएचसी केलाखेड़ा की दूरी करीब 25 किमी है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि काशीपुर में राजकीय चिकित्सालय होने के बावजूद इतने मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में इलाज कराने एक साथ कैसे पहुंच गए?

जब इस बारे में सीएमओ डॉ शैलजा भट्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामलों को जांच के उच्च स्तर पर अधिकारियों ने एक टीम गठित की है, जो मामले की जांच कर रही है. जनसेवा और एक निजी हॉस्पिटल का पहले ही सूचीबद्धता निलंबित कर दिया गया है.

काशीपुर: अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत गलत तरीके से मरीजों को रेफर करने और इलाज दर्शाकर लाखों रुपये हड़पने के मामले में काशीपुर के दो निजी अस्पतालों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन आरटीआई ( सूचना का अधिकार) से मांगी जानकारी में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है.

गरीबों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसको लेकर राज्य सरकार ने अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की थी, जहां मरीजों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल सकें. लेकिन अब ये योजना भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है.

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दरअसल, काशीपुर निवासी अधिवक्ता चौधरी मुनिदेव बिश्नोई ने आरटीआई के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किला खेड़ा से अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत मुरादाबाद रोड स्थित जनसेवा अस्पताल पुराना जसपुर बस अड्डा में रेफर किए गए मरीजों के बारे में सूचना मांगी थी. आरटीआई में चौधरी ने इलाज व उसके भुगतान के बारे भी सूचना मांगी थी.

अटल आयुष्मान योजना में बड़ा गोलमाल

इस बारे में लोक सूचना अधिकारी पूनम चंदेल की और से जो जानकारी उपलब्ध कराई गई उसमें बड़ा घोटाला सामने आए है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पीएचसी केलाखेड़ा से 47 मरीजों को हायर सेंटर के नाम पर जनसेवा अस्पताल में रेफर किया गया.

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि जिन 47 मरीजों का इसमें जिक्र किया गया है. उसमें से अधिकतर की रेफर स्लिप पर मरीजों के पिता और पति का जिक्र ही नहीं है. कई मरीजों की रेफर स्लिप पर तो तारीख भी अंकित नहीं है कि उन्हें किस दिन रेफर किया गया था.

हद तो तब हो गई जब अकीरा नामक की एक महिला की रेफर सिल्प पर अगस्त 2019 की तारीश दर्शाई गई है, जबकि अभी जून चल रहा है. इससे साफ पता चलता है कि यहां अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम पर कितना बड़ा घोटाला किया जा रहा है. इन 47 मरीजों के इलाज के नाम पर 2 लाख 7 हज़ार रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है.

पढ़ें- शनिवार को बीजेपी कार्यालय में 'निशंक' का होगा जोरदार स्वागत, पार्टी नेताओं से भी करेंगे मुलाकात

सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि पीएचसी केलाखेड़ा से जिन मरीजों को जनसेवा अस्पताल में रेफर में किया गया है वो सभी काशीपुर के रहने वाले है. जबकि, काशीपुर शहर से पीएचसी केलाखेड़ा की दूरी करीब 25 किमी है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि काशीपुर में राजकीय चिकित्सालय होने के बावजूद इतने मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में इलाज कराने एक साथ कैसे पहुंच गए?

जब इस बारे में सीएमओ डॉ शैलजा भट्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामलों को जांच के उच्च स्तर पर अधिकारियों ने एक टीम गठित की है, जो मामले की जांच कर रही है. जनसेवा और एक निजी हॉस्पिटल का पहले ही सूचीबद्धता निलंबित कर दिया गया है.

Intro:Summary- आयुष्मान योजना घोटाले में उच्च स्तर पर बड़ा गड़बड़झाला, सूचना के अधिकार में मांगी गई सूचना के जवाब में हुआ खुलासा।

सरकार के द्वारा गरीबों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने की नियत से शुरू की गई अटल आयुष्मान योजना में रोजाना एक नया फर्जीवाड़ा निकल कर सामने आ रहा है। जहां पहले सरकार की सख्ती के चलते काशीपुर के आस्था हॉस्पिटल तथा एक अन्य अस्पताल पर आयुष्मान योजना में गड़बड़ी का आरोप लगने पर उनका आयुष्मान योजना से अनुबंध समाप्त कर दिया गया था तथा काशीपुर के राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत आस्था हॉस्पिटल के संचालक डॉ राजीव गुप्ता को तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त कर दिया गया था। अभी इस पूरे मामले की जांच ही चल रही थी कि आयुष्मान योजना के अंतर्गत सूचना के अधिकार में एक बड़ा खुलासा सामने आया है जिसके तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा से रेफर किए गए मरीजों का ब्यौरा जब मांगा गया तो प्राप्त सूचना ने उच्च स्तर पर बैठे योजना से संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़ा कर दिया है क्या है पूरा मामला जानते हैं इस रिपोर्ट में।
Body:वीओ- सरकार की मंशा अटल आयुष्मान योजना में मरीजों का ₹500000 तक निशुल्क इलाज कराने की है मगर फर्जीवाड़ा खेल इस योजना पर लगातार भारी पड़ रहा है हैरानी की बात यह है कि यह फर्जीवाड़ा निचले स्तर पर ना होकर उच्च स्तर पर भी सूचना के अधिकार के अंतर्गत मांगी गई सूचना के जवाब मे सामने आया है। हैरानी यह है कि जन सेवा अस्पताल में तो मरीजों के नाम से लेकर इलाज तक में फर्जीवाड़ा पाया गया। जबकि 1 मरीज़ का इलाज तो 2019 अगस्त में कराया दिखाया गया है जबकि अभी जून का महीना चल रहा है यह तथ्य सूचना के अधिकार में सामने आए हैं इससे योजना पर नजर रखने वाले अफसरों में हड़कंप मच गया है।
वीओ- दरअसल काशीपुर निवासी अधिवक्ता चौधरी मुनिदेव बिश्नोई ने सूचना का अधिकार में मुरादाबाद रोड स्थित जनसेवा अस्पताल पुराना जसपुर बस अड्डा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किला खेड़ा से रेफरल मरीजों के इलाज व भुगतान के संबंध में सूचना मांगी थी। योजना के प्रशासनिक अधिकारी व लोक सूचना अधिकारी पूनम चंदेल की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना के मुताबिक पीएचसी केलाखेड़ा से 47 मरीजों को हायर सेंटर के नाम से जनसेवा अस्पताल में रेफर किया गया। जिन 47 मरीजों का इसमें जिक्र किया गया है उनमें से अधिकतर मरीजों के रेफरल स्लिप पर मरीजों के पिता व पति का जिक्र ही नहीं है तो वही काफी मरीजों के रेफरल स्लिप पर मरीजों की बीमारी का नाम ही अंकित नहीं है। इसमें अनेक मरीज ऐसे भी हैं जिनके रेफरल स्लिप पर रेफर करने की तारीख भी अंकित नहीं है। और खास बात यह है कि जनसेवा अस्पताल को अब तक इन 47 मरीजों के इलाज के नाम पर 2 लाख 7 हज़ार रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है।
वीओ- और तो और हद तो तब हो गई जब अकीरा नामक महिला की रेफरल स्लिप पर रेफर करने की तारीख अगस्त 2019 दर्शाई गई है जबकि अभी जून का महीना चल रहा है। रेफर करने वाले केलाखेड़ा के कर्मचारियों को रेफर करने से पहले माह का पता भी नहीं है। इसमें ज्यादातर मरीज काशीपुर के हैं जबकि केलाखेड़ा यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर है। अब सवाल यह उठता है कि काशीपुर में राजकीय चिकित्सालय होने के बावजूद इतने मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में इलाज कराने एक साथ कैसे पहुंच गए। इस खेल में शामिल सरकारी अस्पताल के कर्मचारी वा जनसेवा सुताल के चिकित्सक को यह नहीं पता था कि जांच इतनी जल्दी हो जाएगी और उनकी गर्दन फंस जाएगी।
वीओ- आपको बताते चलें कि 3 दिन पहले जनसेवा अस्पताल व देवकीनंदन अस्पताल को इलाज में गड़बड़ी करने पर योजना की साइट से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले काशीपुर के अली नर्सिंग होम, सहोता अस्पताल, आस्था व रुद्रपुर के कृष्णा अस्पताल को निलंबित किया जा चुका है।
बाइट- मुनिदेव विश्नोई, सूचना मांगने वालेConclusion:आयुष्मान योजना घोटाले में छोटी मछलियां ही पूरे मामले में फंसती नजर आ रही हैं जबकि सूचना के अधिकार के जबाव में प्राप्त सूचना ने उच्च स्तर पर बैठे जांचकर्ताओं की पकार्यप्रणाली की पोल खोलकर रख दी है। अब देखना यह होगा कि छोटी मछलियों के बाद अब बड़ी मछलियां और मगरमच्छ कब निशाने पर आते हैं।
Last Updated : Jun 15, 2019, 9:27 AM IST
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