काशीपुर: अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत गलत तरीके से मरीजों को रेफर करने और इलाज दर्शाकर लाखों रुपये हड़पने के मामले में काशीपुर के दो निजी अस्पतालों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन आरटीआई ( सूचना का अधिकार) से मांगी जानकारी में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है.
गरीबों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसको लेकर राज्य सरकार ने अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की थी, जहां मरीजों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल सकें. लेकिन अब ये योजना भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है.
दरअसल, काशीपुर निवासी अधिवक्ता चौधरी मुनिदेव बिश्नोई ने आरटीआई के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किला खेड़ा से अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत मुरादाबाद रोड स्थित जनसेवा अस्पताल पुराना जसपुर बस अड्डा में रेफर किए गए मरीजों के बारे में सूचना मांगी थी. आरटीआई में चौधरी ने इलाज व उसके भुगतान के बारे भी सूचना मांगी थी.
इस बारे में लोक सूचना अधिकारी पूनम चंदेल की और से जो जानकारी उपलब्ध कराई गई उसमें बड़ा घोटाला सामने आए है. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पीएचसी केलाखेड़ा से 47 मरीजों को हायर सेंटर के नाम पर जनसेवा अस्पताल में रेफर किया गया.
सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि जिन 47 मरीजों का इसमें जिक्र किया गया है. उसमें से अधिकतर की रेफर स्लिप पर मरीजों के पिता और पति का जिक्र ही नहीं है. कई मरीजों की रेफर स्लिप पर तो तारीख भी अंकित नहीं है कि उन्हें किस दिन रेफर किया गया था.
हद तो तब हो गई जब अकीरा नामक की एक महिला की रेफर सिल्प पर अगस्त 2019 की तारीश दर्शाई गई है, जबकि अभी जून चल रहा है. इससे साफ पता चलता है कि यहां अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम पर कितना बड़ा घोटाला किया जा रहा है. इन 47 मरीजों के इलाज के नाम पर 2 लाख 7 हज़ार रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है.
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सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि पीएचसी केलाखेड़ा से जिन मरीजों को जनसेवा अस्पताल में रेफर में किया गया है वो सभी काशीपुर के रहने वाले है. जबकि, काशीपुर शहर से पीएचसी केलाखेड़ा की दूरी करीब 25 किमी है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि काशीपुर में राजकीय चिकित्सालय होने के बावजूद इतने मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में इलाज कराने एक साथ कैसे पहुंच गए?
जब इस बारे में सीएमओ डॉ शैलजा भट्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामलों को जांच के उच्च स्तर पर अधिकारियों ने एक टीम गठित की है, जो मामले की जांच कर रही है. जनसेवा और एक निजी हॉस्पिटल का पहले ही सूचीबद्धता निलंबित कर दिया गया है.