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वाह हेडमास्टर जी ! कोरोना संक्रमित शवों का कर रहे दाह संस्कार

राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीपुर में हेडमास्टर पद पर कार्यरत अरुण चुग इन दिनों कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कर मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं.

कोरोना संक्रमित शवों का किया दाह संस्कार
कोरोना संक्रमित शवों का किया दाह संस्कार
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Published : Apr 29, 2021, 1:53 PM IST

रुद्रपुर: पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है. हर दिन जहां लाखों लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं वहीं, रोज हजारों की संख्या में मरीज दम तोड़ रहे हैं. दहशत के इस माहौल में जहां अपने भी कोरोना संक्रमितों का साथ देने से कतरा रहे हैं वहीं, रुद्रपुर में एक ऐसा शख्स है, जो कोरोना महामारी के बीच मानवता की मिसाल पेश कर रहा है.

अरूण चुघ ने पेश की मिसाल
हेडमास्टर अरुण चुग पेश कर रहे मिसाल.

रुद्रपुर के सिटी वन कॉलोनी निवासी अरुण चुग राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीपुर में हेडमास्टर हैं. वो कोरोना काल में स्कूल बंद होने के बाद से ही समाजसेवा में दिन-रात जुटे हुए हैं. इस महामारी में बिना घबराए वह अपनी टीम के साथ कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार करने में लगे हुए हैं.

अरूण चुघ ने कोरोना संक्रमित शवों का किया संस्कार
अरुण चुग कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं.

अरुण चुग ने स्कूल बंद होने के बाद सामाजिक कार्य करने का बीड़ा उठाया है. शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ मिलकर वह कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं. अब तक वह अपनी टीम के साथ रुद्रपुर-किच्छा रोड स्थित शमशान घाट में 23 संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें: अपने दिखे बेबस तो पुलिस ने की मदद, कोरोना संक्रमित का कराया अंतिम संस्कार

अरुण चुग ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें सामाजिक कार्य करने की ललक थी. स्कूल बंद हो जाने के बाद उन्होंने इस महामारी में लोगों की सेवा करने का मन बनाया. इस दौरान उन्हें लगा कि जब सभी कोरोना संक्रमित शवों से दूर रहेंगे तो उनका दाह संस्कार कौन करेगा. जिसके बाद उन्होंने कोविड अस्पताल से शवों को लाकर उनके दाह संस्कार करने का बीड़ा उठाया.

वह पिछले 16 दिन से कोरोना संक्रमित शवों का किच्छा स्थित श्मशान घाट में दाह संस्कार कर रहे हैं. सुबह से लेकर शाम तक वह इसी कार्य में जुटे हुए हैं. अब तक वह 23 शवों का दाह संस्कार अपनी टीम के साथ मिलकर कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि रोजना कोरोना संक्रमण से कई लोगों की मौत हो रही है. आलम यह है कि कभी-कभी टीम के सदस्य और नगर निगम टीम के सदस्य व्यवस्था करने के लिए कम पड़ जाते हैं. शुरुआत में उनकी पत्नी उन्हें टोका करती थी. धीरे-धीरे उन्होंने पत्नी को समझा लिया. वह पिछले 16 दिन से अपने बच्चों ओर पत्नी से अलग दूसरे कमरे में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक सेवा करते रहेंगे.

रुद्रपुर: पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है. हर दिन जहां लाखों लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं वहीं, रोज हजारों की संख्या में मरीज दम तोड़ रहे हैं. दहशत के इस माहौल में जहां अपने भी कोरोना संक्रमितों का साथ देने से कतरा रहे हैं वहीं, रुद्रपुर में एक ऐसा शख्स है, जो कोरोना महामारी के बीच मानवता की मिसाल पेश कर रहा है.

अरूण चुघ ने पेश की मिसाल
हेडमास्टर अरुण चुग पेश कर रहे मिसाल.

रुद्रपुर के सिटी वन कॉलोनी निवासी अरुण चुग राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीपुर में हेडमास्टर हैं. वो कोरोना काल में स्कूल बंद होने के बाद से ही समाजसेवा में दिन-रात जुटे हुए हैं. इस महामारी में बिना घबराए वह अपनी टीम के साथ कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार करने में लगे हुए हैं.

अरूण चुघ ने कोरोना संक्रमित शवों का किया संस्कार
अरुण चुग कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं.

अरुण चुग ने स्कूल बंद होने के बाद सामाजिक कार्य करने का बीड़ा उठाया है. शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ मिलकर वह कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं. अब तक वह अपनी टीम के साथ रुद्रपुर-किच्छा रोड स्थित शमशान घाट में 23 संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं.

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अरुण चुग ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें सामाजिक कार्य करने की ललक थी. स्कूल बंद हो जाने के बाद उन्होंने इस महामारी में लोगों की सेवा करने का मन बनाया. इस दौरान उन्हें लगा कि जब सभी कोरोना संक्रमित शवों से दूर रहेंगे तो उनका दाह संस्कार कौन करेगा. जिसके बाद उन्होंने कोविड अस्पताल से शवों को लाकर उनके दाह संस्कार करने का बीड़ा उठाया.

वह पिछले 16 दिन से कोरोना संक्रमित शवों का किच्छा स्थित श्मशान घाट में दाह संस्कार कर रहे हैं. सुबह से लेकर शाम तक वह इसी कार्य में जुटे हुए हैं. अब तक वह 23 शवों का दाह संस्कार अपनी टीम के साथ मिलकर कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि रोजना कोरोना संक्रमण से कई लोगों की मौत हो रही है. आलम यह है कि कभी-कभी टीम के सदस्य और नगर निगम टीम के सदस्य व्यवस्था करने के लिए कम पड़ जाते हैं. शुरुआत में उनकी पत्नी उन्हें टोका करती थी. धीरे-धीरे उन्होंने पत्नी को समझा लिया. वह पिछले 16 दिन से अपने बच्चों ओर पत्नी से अलग दूसरे कमरे में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक सेवा करते रहेंगे.

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