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आसन बैराज के पुलों से भारी वाहनों की आवाजाही केस, HC ने CS और सचिव PWD को पेश होने का दिया आदेश - NAINITAL HIGH COURT

आसन बैराज के पुलों पर भारी वाहनों की आवाजाही का मामला पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और सचिव PWD को पेश होने का कहा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 7, 2025, 3:45 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट में देहरादून के आसन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर बने कई पुलों पर भारी वाहन चलाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले को अति संवेदनशील पाते हुए मुख्य सचिव और सचिव लोक निर्माण विभाग से कल 8 जनवरी को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है. मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी.

आज मंगलवार सात जनवरी को सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि इन पुलों में भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है. लिहाजा सरकार के पास कोई अतिरिक्त मार्ग नहीं होने की वजह से इस रोक को हटाया जाए. क्योंकि भारी वाहन स्वामियों को नुकसान हो रहा है. उधर याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारी वाहन चलाने के लिए राज्य सरकार के पास एक अतिरिक्त विकल्प है, जो 15- 16 किलोमीटर दूर से है. लेकिन बड़े वाहन स्वामी फ्यूल बचाने की वजह से उस मार्ग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. न ही राज्य सरकार इन पुलों की मरम्मत कर रही है और न ही नए पुलों का निर्माण.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन पुलों की औसतन आयु समाप्त हो चुकी है. ऐसे में ये पुल कभी भी धराशाई हो सकते हैं. इसीलिए इन पर माल से लदे भारी वाहनों को चलाने की अनुमति न दी जाये. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चीफ सेकेट्री व सेकेट्री लोक निर्माण को कल स्थिति से अवगत कराने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए.

बता दें कि देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि देहरादून के आसन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आवाजाही हेतु कई पुलों का निर्माण किया था. जिनकी भार क्षमता भी नियमित की गई थी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा खनन की अनुमति देने के बाद इन पुलों में भारी वाहन चलने लगे. पुलों की भार वहन करने की क्षमता कम होने के कारण यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

इसलिए पुलों के ऊपर भारी वाहन व ट्रैफिक पर रोक लगाई जाये और इनकी मरम्मत की जाये. जांच एजेंसियों ने भी इनका सर्वे किया, उसमें भी भारी वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी गई. वैसे भी इनकी भार वहन करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है.

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देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट में देहरादून के आसन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर बने कई पुलों पर भारी वाहन चलाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले को अति संवेदनशील पाते हुए मुख्य सचिव और सचिव लोक निर्माण विभाग से कल 8 जनवरी को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है. मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी.

आज मंगलवार सात जनवरी को सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि इन पुलों में भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है. लिहाजा सरकार के पास कोई अतिरिक्त मार्ग नहीं होने की वजह से इस रोक को हटाया जाए. क्योंकि भारी वाहन स्वामियों को नुकसान हो रहा है. उधर याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारी वाहन चलाने के लिए राज्य सरकार के पास एक अतिरिक्त विकल्प है, जो 15- 16 किलोमीटर दूर से है. लेकिन बड़े वाहन स्वामी फ्यूल बचाने की वजह से उस मार्ग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. न ही राज्य सरकार इन पुलों की मरम्मत कर रही है और न ही नए पुलों का निर्माण.

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन पुलों की औसतन आयु समाप्त हो चुकी है. ऐसे में ये पुल कभी भी धराशाई हो सकते हैं. इसीलिए इन पर माल से लदे भारी वाहनों को चलाने की अनुमति न दी जाये. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चीफ सेकेट्री व सेकेट्री लोक निर्माण को कल स्थिति से अवगत कराने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए.

बता दें कि देहरादून के सामाजिक कार्यकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि देहरादून के आसन बैराज से निकलने वाली नहरों के ऊपर 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आवाजाही हेतु कई पुलों का निर्माण किया था. जिनकी भार क्षमता भी नियमित की गई थी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा खनन की अनुमति देने के बाद इन पुलों में भारी वाहन चलने लगे. पुलों की भार वहन करने की क्षमता कम होने के कारण यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

इसलिए पुलों के ऊपर भारी वाहन व ट्रैफिक पर रोक लगाई जाये और इनकी मरम्मत की जाये. जांच एजेंसियों ने भी इनका सर्वे किया, उसमें भी भारी वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी गई. वैसे भी इनकी भार वहन करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है.

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