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BJP विधायक ने अपनी ही सरकार की पॉलिसी पर उठाए सवाल, सीएम दरबार में पहुंचाया नजूल भूमि का मामला

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Published : Dec 24, 2022, 10:26 AM IST

Updated : Dec 24, 2022, 12:13 PM IST

नजूल भूमि नीति पर रुद्रपुर के भाजपा विधायक शिव अरोरा ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि एक साल में जिले में मात्र एक व्यक्ति ही अपनी नजूल की भूमि पर मालिकाना हक पाया है. पॉलिसी जटिल है, जिस कारण लोगों को मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है.

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BJP विधायक ने अपनी ही सरकार की पॉलिसी पर उठाए सवाल.

रुद्रपुरः उधमसिंह नगर के भाजपा विधायक शिव अरोरा (Rudrapur MLA Shiv Arora) ने अपनी ही सरकार की योजना को कटघरे में कर खड़ा कर दिया है. विधायक शिव अरोरा ने नजूल भूमि पर मालिकाना हक देने की पॉलिसी (Policy to give ownership rights on Nazul land) पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि पिछले एक साल में जिले में मात्र एक व्यक्ति ही अपनी नजूल की भूमि पर मालिकाना हक पाया है. पॉलिसी जटिल है, जिस कारण लोगों को मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है.

पिछले निकाय चुनाव में नजूल को मुद्दा बनाकर उधमसिंह नगर के दो नगर निगम (रुद्रपुर और काशीपुर) में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. पिछले साल सरकार द्वारा नजूल में मालिकाना हक देने के लिए एक पॉलिसी भी बनाई गई. लेकिन पॉलिसी के नॉर्म्स को पूरा करने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं. जिले में एक साल में सिर्फ 4 लोगों ने ही फ्री होल्ड करने के लिए आवेदन किया है. जिसमें से सिर्फ एक ही शख्स फ्री होल्ड हो पाया. यही कारण है कि विधायक शिव अरोरा ने एक बार फिर नजूल का मुद्दा उठाकर सरकार की पॉलिसी को कटघरे में खड़ा किया है.
ये भी पढ़ेंः नमामि गंगे प्रोजेक्टः गंगोत्री से गंगासागर तक के कामों की PM करेंगे समीक्षा, उत्तराखंड में महामंथन शुरू

उनका कहना है कि दिसंबर 2021 को सरकार द्वारा नई नजूल पॉलिसी लाई गई, जो 2022 दिसंबर को एक्सपायर हो गई. इससे स्पष्ट है कि पिछली दिसंबर में आई पॉलिसी जटिल थी. इस कारण गरीब जनता को इसका फायदा नहीं मिल पाया. विधायक ने बताया मार्च 2009 में आई पुरानी पॉलिसी जिसमें 2,559 परिवारों ने आवेदन किया था. जिनके सर्किल रेट के 25% जमा थे. उसमें 1256 परिवार ही उसका लाभ ले पाए और उनको मालिकाना हक मिला.

विधायक शिव अरोरा ने कहा कि 50 वर्ग मीटर तक निवासरत गरीब परिवारों को फ्री मालिकाना हक मिलना था. मगर वह इससे वंचित रहे. इसके पीछे पॉलिसी का जटिल होना कारण रहा. इसके लिए उन्होंने पूर्व विधायक (भाजपा के राजकुमार ठुकराल) को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री को इस बारे में अवगत करा चुके हैं.

क्या है नजूल भूमिः सरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. जानकारी के मुताबिक, देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजूल भूमि है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 3,92,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर करीब 2 लाख से ज्यादा लोग काबिज हैं.

BJP विधायक ने अपनी ही सरकार की पॉलिसी पर उठाए सवाल.

रुद्रपुरः उधमसिंह नगर के भाजपा विधायक शिव अरोरा (Rudrapur MLA Shiv Arora) ने अपनी ही सरकार की योजना को कटघरे में कर खड़ा कर दिया है. विधायक शिव अरोरा ने नजूल भूमि पर मालिकाना हक देने की पॉलिसी (Policy to give ownership rights on Nazul land) पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि पिछले एक साल में जिले में मात्र एक व्यक्ति ही अपनी नजूल की भूमि पर मालिकाना हक पाया है. पॉलिसी जटिल है, जिस कारण लोगों को मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है.

पिछले निकाय चुनाव में नजूल को मुद्दा बनाकर उधमसिंह नगर के दो नगर निगम (रुद्रपुर और काशीपुर) में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. पिछले साल सरकार द्वारा नजूल में मालिकाना हक देने के लिए एक पॉलिसी भी बनाई गई. लेकिन पॉलिसी के नॉर्म्स को पूरा करने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं. जिले में एक साल में सिर्फ 4 लोगों ने ही फ्री होल्ड करने के लिए आवेदन किया है. जिसमें से सिर्फ एक ही शख्स फ्री होल्ड हो पाया. यही कारण है कि विधायक शिव अरोरा ने एक बार फिर नजूल का मुद्दा उठाकर सरकार की पॉलिसी को कटघरे में खड़ा किया है.
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उनका कहना है कि दिसंबर 2021 को सरकार द्वारा नई नजूल पॉलिसी लाई गई, जो 2022 दिसंबर को एक्सपायर हो गई. इससे स्पष्ट है कि पिछली दिसंबर में आई पॉलिसी जटिल थी. इस कारण गरीब जनता को इसका फायदा नहीं मिल पाया. विधायक ने बताया मार्च 2009 में आई पुरानी पॉलिसी जिसमें 2,559 परिवारों ने आवेदन किया था. जिनके सर्किल रेट के 25% जमा थे. उसमें 1256 परिवार ही उसका लाभ ले पाए और उनको मालिकाना हक मिला.

विधायक शिव अरोरा ने कहा कि 50 वर्ग मीटर तक निवासरत गरीब परिवारों को फ्री मालिकाना हक मिलना था. मगर वह इससे वंचित रहे. इसके पीछे पॉलिसी का जटिल होना कारण रहा. इसके लिए उन्होंने पूर्व विधायक (भाजपा के राजकुमार ठुकराल) को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री को इस बारे में अवगत करा चुके हैं.

क्या है नजूल भूमिः सरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. जानकारी के मुताबिक, देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजूल भूमि है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 3,92,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर करीब 2 लाख से ज्यादा लोग काबिज हैं.

Last Updated : Dec 24, 2022, 12:13 PM IST
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