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सुशीला तिवारी अस्पताल को एम्स का दर्जा देने की मांग तेज, राज्य आंदोलनकारियों ने तानी मुट्ठी - स्वास्थय सेवा बदहाल

सुशीला तिवारी अस्पताल को एम्स का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलनकारी मुखर हैं. उन्होंने कहा कि जल्द मांगें पूरी नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे.

khatima
धरने पर राज्य आंदोलनकारी
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Published : Feb 6, 2020, 8:45 AM IST

Updated : Feb 6, 2020, 10:03 AM IST

खटीमा: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में कुमाऊं के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने धरना-प्रदर्शन किया. वहीं गुस्साए आंदोलनकारियों ने कहा कि सुशीला तिवारी अस्पताल को जल्द एम्स का दर्जा दिया जाए. जिससे लोगों को इलाज के लिए दूसरे शहरों का रुख न करना पड़े.

सुशीला तिवारी अस्पताल को एम्स का दर्जा देने की मांग तेज.

वहीं, इस मुहिम के संयोजक राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश गठन के बाद से ही प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बदहाल बनी हुई है. उन्होंने कहा कि कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल को जल्द एम्स का दर्जा दिया जाना चाहिए. जिससे मैदानी क्षेत्रों और पर्वतीय अंचलों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकें.

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मोहन पाठक ने आगे कहा कि इस मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए कुमाऊं के सभी विधानसभाओं में धरना- प्रदर्शन किया जा रहा है. वहीं, खटीमा में राज्य आंदोलनकारियों के धरने को ग्यारह दिन हो चुके हैं. प्रदर्शकारी चाहते हैं कि कुमाऊं की स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो, जिसका लाभ लोगों को मिल सके. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों पर गौर नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन को विवश होंगे.

खटीमा: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में कुमाऊं के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने धरना-प्रदर्शन किया. वहीं गुस्साए आंदोलनकारियों ने कहा कि सुशीला तिवारी अस्पताल को जल्द एम्स का दर्जा दिया जाए. जिससे लोगों को इलाज के लिए दूसरे शहरों का रुख न करना पड़े.

सुशीला तिवारी अस्पताल को एम्स का दर्जा देने की मांग तेज.

वहीं, इस मुहिम के संयोजक राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश गठन के बाद से ही प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बदहाल बनी हुई है. उन्होंने कहा कि कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल को जल्द एम्स का दर्जा दिया जाना चाहिए. जिससे मैदानी क्षेत्रों और पर्वतीय अंचलों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकें.

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मोहन पाठक ने आगे कहा कि इस मुहिम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए कुमाऊं के सभी विधानसभाओं में धरना- प्रदर्शन किया जा रहा है. वहीं, खटीमा में राज्य आंदोलनकारियों के धरने को ग्यारह दिन हो चुके हैं. प्रदर्शकारी चाहते हैं कि कुमाऊं की स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो, जिसका लाभ लोगों को मिल सके. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों पर गौर नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन को विवश होंगे.

Intro:Summary- कुमाऊ के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने खटीमा सरकारी अस्पताल में दिया एक दिवसीय धरना। ( रेडी टू पैकेज )

एंकर- उत्तराखंड में स्वाद व्यवस्था काफी बदहाल स्थिति में है। कुमाऊ के सरकारी अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने एक दिवसीय धरना दिया।
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वीओ- कुमाऊं में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था व हल्द्वानी शुशीला तिवारी हल्द्वानी को ऐम्स हां अस्पताल बनाने की मांग को लेकर आज खटीमा सरकारी अस्पताल के सामने राज्य आंदोलनकारियों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। राज्य आंदोलनकारियों की इस मुहिम के संयोजक मोहन पाठक ने हल्द्वानी से आकर खटीमा में राज्य आंदोलनकारियों सँग धरना दे जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर मोहन पाठक ने मीडिया को बताया कि राज्य आंदोलन कारियो ने कुमाऊं भर में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी में लाने व पूरे कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल हल्द्वानी के सुशील तिवारी को एम्स अस्पताल का दर्जा दिखाने को लेकर आंदोलन की शुरुवात की है। वह राज्य आंदोलनकारियों के साथ इस मुहिम को लेकर कुमाऊं की सभी विधानसभाओं में धरना प्रदर्शन कर सरकार से मांग कर रहे है। आज खटीमा में राज्य आंदोलनकारियों का ग्यारहवा धरना प्रदर्शन था।राज्य आंदोलनकारी चाहते है कि कुमाऊं भर में जंहा स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर बदले वही हल्द्वानी के शुशीला तिवारी अस्पताल को सरकार ऐम्स अस्पताल बमाये। ताकि कुमाऊं भर के आमजन को इसका लाभ मिल सके। वही खटीमा के बाद अन्य विधानसभाओं में भी राज्य आंदोलनकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी में लाने को अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।

बाइट 1- मोहन पाठक, प्रमुख राज्य आंदोलनकारी।Conclusion:
Last Updated : Feb 6, 2020, 10:03 AM IST
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