देहरादून/जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर जिले के माता का थान थाना क्षेत्र से एक हफ्ते पहले गायब हुई दो संगी बहनों के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया (Rape Accused Arrested from Bhopal) है. दोनों बहनों के गायब होने एक शातिर अपराधी का हाथ (Uttarakhand crook Hitendra Pal) था, जिसे पुलिस ने मध्य प्रदेश के भोपाल से गिरफ्तार किया (Rajasthan police arrested Uttarakhand crook) है. दोनों बहनें आरोपी के पास से ही मिली है(sisters kidnapping case). आरोपी ने दोनों के साथ दुष्कर्म भी किया है. आरोपी मूल रूप से उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर का रहने वाला है.
डीसीपी ईस्ट डॉक्टर अमृता दुहन ने बताया कि आरोपी की पहचान उत्तराखंड के काशीपुरा निवासी (Police Arrested Hardcore Criminal of Uttarakhand) हितेंद्र पाल गड़रिया के रूप में हुई है, जो कुख्यात अपराधी है. उसके खिलाफ हत्या के 4 मामले सहित कुल 17 मुकदमें दर्ज हैं. अभी भी वह कई मामलों में वांछित चल रहा है.
डीसीपी ने बताया कि माता का थान थाना क्षेत्र में आरोपी ने एक युवक से एक पार्टी ऐप के मार्फत दोस्ती की थी. इसके बाद उसके घर आकर 25 दिन तक रुका. उसके बाद उसकी एक नाबालिग और दूसरी 21 वर्षीय बहन को लेकर 16 नवंबर को भाग गया था. जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में आई.
पुलिस ने मामले की पड़ताल की और उसके बाद मामले को अपहरण की धारा में दर्ज किया और आरोपी के पीछे टीमें लगाई. आरोपी दोनों युवतियों को जोधपुर से टैक्सी से किशनगढ़ लेकर गया. रास्ते में उसने ड्राइवर से कहा कि वह किशनगढ़ से फ्लाइट लेगा, लेकिन किशनगढ़ उतरने के बाद वापस बस से अजमेर आया और 2 दिन रुकने के बाद ट्रेन से भोपाल गया.
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इधर जोधपुर से टीमें उसकी तलाश में निकलीं. उन्हें पता चला कि वह भोपाल में है. इस पर भोपाल पुलिस से संपर्क किया गया. इस दौरान जोधपुर पुलिस की टीम भोपाल पहुंची और आरोपी व अपहृत युवतियों को जोधपुर लेकर आई. एडीसीपी नाजिम अली और एसीपी राजेंद्र दिवाकर के निर्देशन में उससे पूछताछ चला रही है.
नाम और पहचान बदलकर रहता है आरोपी: पुलिस ने बताया कि आरोपी हितेंद्र पाल आला दर्जे का शातिर बदमाश है. 2017 में वह जेल से बाहर निकला और उसके बाद से वह लगातार नाम और पहचान बदलकर घूमता रहता है. पार्टी ऐप पर खुद को अंश बताकर जोधपुर के युवक से दोस्ती की थी. उसके बाद में उनके घर आ गया. उसने अपने दोस्त को इस बात का झांसा दिया कि उसके पास बहुत ज्यादा काम है और वह उसे रोजगार दे देगा.
इस दौरान आरोपी उसकी दोनों बहनों को बहला-फुसलाकर शादी का झांसा देकर यहां से ले गया. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि जब वह जोधपुर आया तो उसने अपना नाम विवेक कुमार प्रजापत बताया था. वह दिल्ली, आसाम, बिहार, पुणे, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों की लड़कियों से दोस्ती करता है और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाता है. इसमें वह यह ध्यान रखता है कि महिला या युवती कमजोर वर्ग से हो, जिससे उसके लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं हो.
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महिलाओं के नाम से सिम और खाते: जितेंद्र पाल ने पुलिस को यह भी बताया कि वह जिन लड़कियों या महिलाओं से दोस्ती करता है उनके ही नाम के खाता और मोबाइल सिम लेकर चलाता है. उनसे ही रुपए लेकर अपना खर्च चलाता है. जिनको भगा कर लेकर जाता है, उनके नाम और पहचान भी बदल देता है. जोधपुर से दोनों युवतियों को भोपाल ले जाने से पहले ही उनके नाम और पहचान उसने बदल दी और उनके नए पहचान पत्र बना दिए जो पुलिस ने बरामद किए हैं.
संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड में की थी फायरिंग: पूछताछ में 41 वर्षीय हितेंद्र पाल ने पुलिस को बताया है कि उसके खिलाफ हत्या के 4 मामले दर्ज है. उत्तर प्रदेश के चर्चित संत ज्ञानेश्वर हत्याकांड जो 2005 में हुआ था, उसमें भी उसने ही एके-47 से फायरिंग की थी, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त में आने से बच गया था. इसके बाद उसने उत्तराखंड में अपनी गैंग बना ली और अपने प्रतिद्वंदी गैंग के लीडर के भाई की हत्या कर दी. इसके बाद अन्य शहरों में भी उसने कई हत्या की, जिनमें गिरफ्तार हुआ. हाल ही में वह फरीदाबाद में भी एक हत्याकांड में वांछित है.
पेट में लगी है गोली: आरोपी कितना कुख्यात है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस कस्टडी में उसको दूसरी गैंग के लोगों ने गोली मारी थी, लेकिन वह बच गया. उसका पूरा पेट फाड़ कर उसका ऑपरेशन किया गया था, जिसके निशान उसके शरीर पर हैं. उत्तराखंड के अलग-अलग थानों में ही 10 मामले उसके खिलाफ दर्ज हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
दिन रात एक पुलिस ने दबोचा: इस मामले में पीड़ित युवतियों के पिता बहुत साधारण परिवार से हैं. वह बड़ी मुश्किल से (Case of Jodhpur Missing Real Sisters) अपना परिवार चलाते हैं. उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर रविदत्त गौड़ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए. इसके बाद थाना प्रभारी राजूराम बामणिया, स्पेशल टीम के प्रभारी दिनेश डांगी, साइबर सेल के एएसआई राकेश सिंह सहित 22 लोगों की टीम बनी. इसमें अलग-अलग तरीके से इस मामले की पड़ताल की और आरोपी तक पहुंचे.