काशीपुर: रेलवे विभाग द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के मकसद से एक नई योजना शुरू की गई है. जिसके तहत अब स्थानीय लोग रेलवे स्टेशनों पर भी अपने उत्पाद बेच सकेंगे. इसके लिए रेलवे प्रशासन ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक स्टेशन एक उत्पाद योजना शुरू की है. इससे स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार मिलने के साथ ही विभाग के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी.
दरअसल रेलवे बोर्ड के निर्देश पर रेलवे स्टेशनों पर स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए 'एक स्टेशन एक उत्पाद' योजना शुरू की गई है. पहले चरण में काशीपुर और रामनगर रेलवे स्टेशन पर प्रसिद्ध बाल मिठाई की बिक्री की गई. इसके लिए रेलवे ने विक्रेता से एक हजार रुपये मासिक शुल्क लिया है. इस योजना के तहत हर उत्पादक का स्टॉल 15 दिन के लिए ट्रायल तौर पर खोला गया है. सफलता मिलने पर विक्रेता से अनुबंध हो सकेगा.
इस योजना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही क्षेत्र की प्रसिद्ध वस्तुओं, हस्तशिल्प, हथकरघा, पारंपरिक शिल्प आदि को बढ़ावा मिलेगा. वहीं, रेलवे के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी. रेलवे के मुताबिक देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, वीरभद्र, रुड़की, नजीबाबाद, मुरादाबाद, हरदोई सहित कई स्टेशनों पर स्टॉल लगाए गए हैं.
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रेलवे स्टेशन के मुख्य वाणिज्य निरीक्षक अजय चौधरी ने कहा कि काशीपुर-रामनगर में बाल मिठाई, मुरादाबाद में पीतल के बने उत्पाद, मथुरा में पेड़ा, आगरा में पेठा, बरेली में सुरमा, हरदोई स्टेशन पर खादी एवं हैंडलूम उत्पाद, सफीपुर स्टेशन पर मिट्टी के खिलौने, देहरादून में उत्तराखंडी टोपी (ब्रह्मकमल टोपी), हरिद्वार स्टेशन पर हैंडीक्राफ्ट, वूलन उत्पाद और शहद की बिक्री की शुरुआत की गई है.
काशीपुर और रामनगर रेलवे स्टेशनों पर बाल मिठाई की बिक्री कम की वजह से दोनों ही स्थानों के रेलवे स्टेशनों पर छोले आदि की ठेली लगाई गई हैं. योजना का उद्देश्य क्षेत्र की प्रसिद्ध वस्तुओं, हस्तशिल्प कलाकृतियों, पारंपरिक शिल्प एवं लघु उद्योग को बढ़ावा देना और रोजगार के अवसर सृजित करना है. 15 दिनों तक उत्पाद की बिक्री का आकलन किया जाएगा. बिक्री ठीक होने पर विक्रेता से लंबे समय के लिए अनुबंध किया जा सकेगा. स्टॉल शुरू करने के लिए विक्रेता को मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र देना होगा.
मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर पीतल उत्पादों की बिक्री करने वाले इलियास साबरी ने भारत सरकार तथा भारतीय रेलवे को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा रेलवे की वजह से दूरदराज क्षेत्रों के ट्रेनों से आवागमन करने वाले लोग उनकी कला को पसंद कर रहे हैं. उनके पास ₹100 से लेकर 750 रुपये तक पीतल के सामान है. भारतीय रेलवे और भारत सरकार इस योजना के माध्यम से कलाकारों की कला को उभारने का काम करेंगे.