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प्लास्टिक में रखने से गंगाजल की पवित्रता हो जाती है खत्म, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

प्लास्टिक के बर्तन में रखे गए गंगा जल की पवित्रता खत्म हो जाती है. ये दावा पन्तनगर विश्व विद्यालय के कैमेस्ट्री विभाग के प्रोफेसर का है. प्रोफेसर एमजीएच जैदी पिछले 30 सालों से प्लास्टिक पर शोध कर रहे हैं.

प्रोफेसर का दावा प्लास्टिक में रखे गए गंगा जल की पवित्रता हो जाती है खत्म
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Published : Sep 6, 2019, 12:13 PM IST

Updated : Sep 6, 2019, 3:16 PM IST

रुद्रपुर: आप यदि घर में प्लास्टिक की वस्तुओं में गंगा जल रखते हैं तो सावधान हो जाइये. पंतनगर विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर एमजीएच जैदी ने दावा किया है कि, जिस प्लास्टिक के बर्तन में गंगाजल को भरा जाता है वे शुद्ध नहीं होता है. उन्होंने बताया कि, जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल गंगा जल रखने के लिए किया जाता है, वे सेकेंडरी प्लास्टिक होता है. कुछ समय बाद वो प्लास्टिक अपने पदार्थ छोड़ने लगती है, जिससे वो गंगाजल में घुल जाती है. जिसके कारण प्लास्टिक की बोतल में भरा गया गंगा जल शुद्ध नहीं रह जाता है.

पंतनगर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने किया दावा.


बता दें कि हिन्दू धर्म मे गंगा जल को पवित्र माना गया है. इसके अलावा प्लास्टिक के बर्तन में रखे गए गंगा जल की पवित्रता खत्म हो जाती है. ये दावा पन्तनगर विश्व विद्यालय के कैमेस्ट्री विभाग के प्रोफेसर का है. प्रोफेसर एमजीएच जैदी पिछले 30 सालों से प्लास्टिक पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के बर्तनों में रखा गंगा जल रखा जाता है जो कि निर्धारित समय के बाद उस गंगा जल की पवित्रता खत्म हो जाती है.

पढ़ें- जानिये क्या है 'गणपति बप्पा मोरया' जयकारे के पीछे की कहानी

प्रोफेसर एमजीएच जैदी का कहना है कि, जिस प्लास्टिक की बोतल में लोग गंगा जल लाते हैं, वो प्लास्टिक सेकेंड्री होती है, जिसे कचरे के ढेर से उठाने के बाद रिसाइकिल कर यूज किया जाता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि प्लास्टिक की बोतलों में भरे गंगा जल का इस्तेमाल न करें.

रुद्रपुर: आप यदि घर में प्लास्टिक की वस्तुओं में गंगा जल रखते हैं तो सावधान हो जाइये. पंतनगर विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर एमजीएच जैदी ने दावा किया है कि, जिस प्लास्टिक के बर्तन में गंगाजल को भरा जाता है वे शुद्ध नहीं होता है. उन्होंने बताया कि, जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल गंगा जल रखने के लिए किया जाता है, वे सेकेंडरी प्लास्टिक होता है. कुछ समय बाद वो प्लास्टिक अपने पदार्थ छोड़ने लगती है, जिससे वो गंगाजल में घुल जाती है. जिसके कारण प्लास्टिक की बोतल में भरा गया गंगा जल शुद्ध नहीं रह जाता है.

पंतनगर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने किया दावा.


बता दें कि हिन्दू धर्म मे गंगा जल को पवित्र माना गया है. इसके अलावा प्लास्टिक के बर्तन में रखे गए गंगा जल की पवित्रता खत्म हो जाती है. ये दावा पन्तनगर विश्व विद्यालय के कैमेस्ट्री विभाग के प्रोफेसर का है. प्रोफेसर एमजीएच जैदी पिछले 30 सालों से प्लास्टिक पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के बर्तनों में रखा गंगा जल रखा जाता है जो कि निर्धारित समय के बाद उस गंगा जल की पवित्रता खत्म हो जाती है.

पढ़ें- जानिये क्या है 'गणपति बप्पा मोरया' जयकारे के पीछे की कहानी

प्रोफेसर एमजीएच जैदी का कहना है कि, जिस प्लास्टिक की बोतल में लोग गंगा जल लाते हैं, वो प्लास्टिक सेकेंड्री होती है, जिसे कचरे के ढेर से उठाने के बाद रिसाइकिल कर यूज किया जाता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि प्लास्टिक की बोतलों में भरे गंगा जल का इस्तेमाल न करें.

Intro:summry - पंतनगर विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर ने बड़ा दावा किया है उन्होंने दावा करते हुए कहा कि प्लास्टिक के बर्तन में गंगाजल जैसा पवित्र जल भी शुद्ध नहीं रहता।

एंकर - पंतनगर विश्वविद्यालय की केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर
एमजीएच जैदी ने प्लास्टिक के बर्तन में रखे गंगाजल को अशुद्ध होने का दावा किया है। दावे में उन्होंने बताया कि जिस प्लास्टिक का स्तेमाल किया जाता है। उसे सेकेंडरी प्लास्टिक कहा जता है जिसे कूड़े के ढेर से उठा कर रिसाइकिल कर डिब्बे बनाये जाते है। कुछ समय बाद वह प्लास्टिक अपने पदार्थों को छोड़ने लगता है और वह गंगाजल में मिश्रित हो जाता है। जिसकारण प्लास्टिक के बर्तन में गंगा जल शुद्ध नही रह पाता।


Body:वीओ - हिन्दू धर्म मे गंगा जल को पवित्र माना गया है। लेकिन क्या आप जानते है। प्लास्टिक के बर्तन में गंगा जल की पवित्रता खत्म हो जाती है। ये दावा हम नही बल्कि पन्तनगर विश्व विद्यालय के कैमेस्ट्री विभाग के वैज्ञानिक का है। पिछले 30 सालों से प्लास्टिक में शोध कार्यो को कर रहे वैज्ञानिक एमजीएच जैदी ने दावा करते हुए कहा कि घरों में प्लास्टिक के बर्तनों में रखा गंगा जल एक समय के बाद अशुद्ध हो जाता है। उन्होंने बताया कि जिस प्लास्टिक के बर्तन में हिन्दू समाज गंगा जल को ले कर आता है। वह प्लास्टि सेकेंड कैटेगिरी का होता है जिसे यूज प्लास्टि व कचरे के ढेर से उठाये प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाता है और उसके बाद उसे डिब्बे का आकार देते हुए उसे बाज़रो में उतारा जाता है। जिसमे बड़ी संख्या में लोगो पतित पावन गंगा जल को रख घर लाते है। उन्होंने दावा किया है कि कुछ समय बाद धीरे धीरे प्लास्टिक से निकलने वाले विषाक्त पदार्थ गंगा जल में मिश्रित हो जाते है ओर वह जल अशुद्ध हो जाता है। उन्होंने श्रद्धालुओ से अपील करते हुए कहा प्लास्टिक के बर्तनों में गंगा जल को रख कर ना लाये।
वही वैज्ञानिक एमजीएच जैदी ने बताया कि जिस बर्तन पर गंगाजल को रखकर श्रद्धालु अपने घरों को लाते हैं वह प्लास्टिक सेकेंडरी होता है। ऐसे प्लास्टिक से निर्मित डिब्बे प्रयोग किये हुए प्लास्टिको से तैयार किया जाता है। जो कि कूड़े के ढेर, सड़क किनारे पड़े प्लास्टिक व मानव द्वारा प्रयोग किये गए प्लास्टिको को रिसाइकिल कर तैयार किया जाता है। जो एक समय बाद विषाक्त पदार्थों को छोड़ने लगते है और वह डिब्बो के अंदर रखे गंगा जल में मिश्रित हो जाता है और वह जल अशुद्ध हो जाता है।

बाइट - एमजीएच जैदी, वैज्ञानिक।


Conclusion:
Last Updated : Sep 6, 2019, 3:16 PM IST
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