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मॉनसून से निपटने के लिए प्रशासन तैयार, थल-जल और नभ से होगा रेस्क्यू - मानसून की तैयारी

आपदा की संभावना को देखते हुए 52 गांवों को अतिसंवेदनशील और 68 गांवों को संवेदनशील बनाया गया है. इसके अलावा 157 स्थानों पर आपदा के दौरान रुकने की व्यवस्था की गई है. जिसमें 53 हजार लोगों शरण ले सकते हैं.

मॉनसून से निपटने के लिए प्रशासन तैयार
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Published : Jun 4, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Jun 4, 2019, 7:02 PM IST

रुद्रपुर: अगले एक महीने में प्रदेश में मानसून शुरू होने वाला है. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ संबंधी आपदा से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. उधम सिंह नगर जिले के 52 गांवों को अतिसंवेदनशील और 68 गांवों को संवेदनशील बनाया गया है. इसके अलावा 157 स्थानों पर आपदा के दौरान 53 हजार लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है.
जिला आपदा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सितारगंज और खटीमा तहसीलों को अतिसंवेदनशील घोषित किया गया है. जहां पर बहने वाली आधा दर्जन नदियों का तांडव रहता है. इसके अलावा जिले के 120 गांव ऐसे हैं, जहां पर नदी और नालों के बढ़ने के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है.

इन परिस्थितियों को देखते हुए 52 गांवों को अतिसंवेदनशील और 68 गांवों को संवेदनशील बनाया गया है. इसके अलावा 157 स्थानों पर आपदा के दौरान रुकने की व्यवस्था की गई है. जिसमें 53 हजार लोगों शरण ले सकते हैं.

आपदा की स्थिति में 43 हेलीपैड्स को भी चिन्हित किया जा चुका है. इसके अलावा सितारगंज, नानकमत्ता और गूलरभोज में 3 राफ्ट की व्यवस्था भी की जा चुकी है. आपदा से निपटने के लिए 53 जेसीबी की व्यवस्था की गई है, जिससे जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके. इसके साथ ही 10 फीसदी खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, डीजल और मिट्टी का तेल भी रिजर्व में रखा गया है.

एडीएम उत्तम सिंह चौहान ने बताया कि आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने जिले में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जिस पर लगातार शासन स्तर से मॉनिटरिंग भी की जा रही है.

रुद्रपुर: अगले एक महीने में प्रदेश में मानसून शुरू होने वाला है. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ संबंधी आपदा से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. उधम सिंह नगर जिले के 52 गांवों को अतिसंवेदनशील और 68 गांवों को संवेदनशील बनाया गया है. इसके अलावा 157 स्थानों पर आपदा के दौरान 53 हजार लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है.
जिला आपदा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सितारगंज और खटीमा तहसीलों को अतिसंवेदनशील घोषित किया गया है. जहां पर बहने वाली आधा दर्जन नदियों का तांडव रहता है. इसके अलावा जिले के 120 गांव ऐसे हैं, जहां पर नदी और नालों के बढ़ने के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है.

इन परिस्थितियों को देखते हुए 52 गांवों को अतिसंवेदनशील और 68 गांवों को संवेदनशील बनाया गया है. इसके अलावा 157 स्थानों पर आपदा के दौरान रुकने की व्यवस्था की गई है. जिसमें 53 हजार लोगों शरण ले सकते हैं.

आपदा की स्थिति में 43 हेलीपैड्स को भी चिन्हित किया जा चुका है. इसके अलावा सितारगंज, नानकमत्ता और गूलरभोज में 3 राफ्ट की व्यवस्था भी की जा चुकी है. आपदा से निपटने के लिए 53 जेसीबी की व्यवस्था की गई है, जिससे जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके. इसके साथ ही 10 फीसदी खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, डीजल और मिट्टी का तेल भी रिजर्व में रखा गया है.

एडीएम उत्तम सिंह चौहान ने बताया कि आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने जिले में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जिस पर लगातार शासन स्तर से मॉनिटरिंग भी की जा रही है.

Intro:एंकर - मानसून सत्र सर पर है ऐसे में उधम सिंह नगर जिला आपदा प्रबन्ध द्वारा सभी तैयारी पुरी कर ली गयी है। जिले में आधा दर्जन नदियों का तांडव रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए 33 बढ़ चौकियों को चिह्नित किया गया है। इसके साथ साथ 10 फीसदी तेल, राशन रिजर्व पर रखा गया है। 15 जून के बाद सभी बाढ़ चौकियों को एक्टिव कर दिया जाएगा।


Body:वीओ - मानसून सुरु होने में भले ही अभी कुछ वक्त बाकी हो लेकिन प्रशासन द्वारा आपदा से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गयी है। उधम सिंह नगर जिले में भी जिला प्रशासन द्वारा सभी तैयारियां कर ली गयी है। जिले में ऐसे 33 स्थानों को चिह्नित किया जा चूका है जहाँ पर 15 जून के बाद बाढ़ चौकियों को शुरू किया जाएगा। जिला आपदा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सितारगंज व खटीमा दो तहसील को अतिसंवेदन शील घोषित किया गया है। जहा पर बहने वाली आधा दर्जन नदियों का तांडव रहता है। इसके अलावा जिले के 120 ग्राम ऐसे है जहाँ पर नदी और नाले हर साल उफान पर रहते है। जिसमे से 52 ग्रामो को अति संवेदनशील जबकि 68 ग्रामो को सवेंदनशील बनाया गया है। 78 गावो में जल भराव की स्थिति उतपन्न हो सकती है। इसके अलावा 157 स्थानों पर आपदा के दौरान रुकने की व्यवस्था की जा सकती है जिसमे 53 हजार लोगों को रखा जा सकता है। 43 हेलीपेड को भी चिह्नित किया जा चूका है। इसके अलावा सितारगंज, नानकमत्ता ओर गूलरभोज में 3 राफ्ट की व्यवस्था भी की जा चुकी है। आपदा से निपटने के लिए 53 जेसीबी, क्रेन की व्यवस्था की जा चुकी है। ताकि जरूरत पड़ने पर स्तेमाल की जा सके। यही नही 10 फीसदी खाद्यय पदार्थ व पेट्रोल डीजल व मिट्टी का तेल भी रिजर्व में रखा जा चुका है।

वही एडीएम उत्तम सिंह चौहान ने बताया कि आपदा से निपटने के जिले सभी तैयारी हो चूकी है लगातार शासन स्तर से मोनिटरिंग भी की जा रही है।

बाइट - उत्तम सिंह चौहान, एडीएम।


Conclusion:
Last Updated : Jun 4, 2019, 7:02 PM IST
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