बाजपुर: ऊधमसिंह नगर जिले के एक गांव में सरकार की फ्री शौचालय योजना फेल है. इक्कीसवीं सदी में भी एक ऐसा गांव है जहां शौचालय नहीं हैं. इस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शौचालय न होने के कारण इस गांव में कोई भी अपनी बेटियों की शादी नहीं करवाना चाहता है.
सरकार ने ऊधमसिंह नगर जनपद को भले ही खुले में शौच मुक्त करार दे दिया हो और अवॉर्ड लेकर वाहवाही लूटी हो लेकिन आज भी यहां एक ऐसा गांव है जहां शौचालय न होने की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सूबे के शिक्षा मंत्री की विधानसभा सीट के केलाखेड़ा का एक गांव बाजावाला है. यहां करीब 1,500 लोगों की आबादी है. लेकिन इस गांव में 10 प्रतिशत भी शौचालय नहीं हैं. गांव के बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और युवतियां सभी को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. बाहर शौच के लिए जाने में जंगली जानवरों का भी डर बना रहता है. वहीं, शौचालय न होने के कारण गांव में रहने वाले युवकों की शादी तक नहीं हो रही है. शौचालय न होने की वजह से कई युवकों की शादी भी टूट चुकी है.
बता दें कि, इस गांव के विधायक अरविंद पांडेय हैं. जो कि उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री हैं. यह गांव वर्षों से बसा हुआ है लेकिन सरकार ने कभी इसकी ओर ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों का कहना है कि जब चुनाव का समय होता है तब सभी नेता वोट मांगने आ जाते हैं. चुनाव खत्म होते ही नेता फिर अगले चुनावों के समय ही गांव आते हैं. इतने सालों में यहां कई ग्राम प्रधान भी बदले लेकिन गांव की कोई भी सुध नहीं ली. इसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार विधायक से की है. लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. इस गांव को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. लेकिन गांव की ओर किसी अधिकारी और न ही किसी जनप्रितिनिधि का ध्यान जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व प्रधान के द्वारा उन्हें शौचालय का पैसा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी. उन्होंने ब्याज पर पैसा लेकर शौचालय बनाने का कार्य शुरू किया, लेकिन पैसे न मिलने से आज भी घरों के शौचालय अधूरे पड़े हैं.
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इस मामले में बाजावाला के ग्राम प्रधान शेर चंद ने बताया कि पूर्व प्रधान और अधिकारियों की मिलीभगत से गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. लेकिन आज भी लोग शौच के लिए जंगल और नदी किनारे जाते हैं. उन्होंने बताया कि पूर्व में उनके द्वारा खुली बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था. लेकिन इसके बावजूद भी ग्रामीणों को शौचालय उपलब्ध नहीं हो पाए हैं.
बता दें कि, प्रधानमंत्री शौचालय योजना शहरी और ग्रामीण लोगों के लिए चलाई गई योजना है. योजना के तहत उन ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाने हैं जहां पर आज भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. लेकिन सरकार की यह योजना इस गांव में विफल नजर आ रही है.