देहरादूनः उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. लेकिन विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच प्रकृति ने राज्य को कई अनमोल तौहफे भी दिए हैं. जिसके जरिए उत्तराखंड अपने सीमित संसाधनों को बढ़ा सकता है. इसी क्रम में उत्तराखंड के तमाम हिस्सों में करीब 40 जियोथर्मल स्प्रिंग्स मौजूद हैं. जिनका बेहतर इस्तेमाल कर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है. इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार जियोथर्मल एनर्जी पर जोर दे रही है. जिसके तहत अगले 6 महीने के भीतर तपोवन में मौजूद जियोथर्मल स्प्रिंग पर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट कराया जाएगा. ताकि जियोथर्मल एनर्जी की संभावनाओं को तलाशा जा सके.
दरअसल, उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी की संभावनाओं को तलाशने के लिए राज्य सरकार ने आइसलैंड सरकार के साथ एमओयू (MoU) साइन किया है. जिसके तहत आइसलैंड की एक कंपनी वर्किस तपोवन स्थित जियोथर्मल स्प्रिंग पर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट करेगी. जिसमें आने वाला सारा खर्च आइसलैंड सरकार उठाएगी. हालांकि, उत्तराखंड और आइसलैंड सरकार के बीच हुए MoU के तहत 3 महीने के भीतर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट कराया जाना है. लेकिन उत्तराखंड सरकार ने आइसलैंड सरकार को 6 महीने का समय दिया है. ताकि 6 महीने के भीतर तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग पर प्री फिजिबिलिटी का काम विधिवत रूप से करा लिया जाए.
एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग के लिए दो करोड़ की जरूरत: फिलहाल सरकार की उम्मीद प्री फिजिबिलिटी टेस्ट पर टिकी हुई है. क्योंकि इस टेस्ट के बाद ही इस बात की इस जानकारी मिल सकेगी कि तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग से जियोथर्मल एनर्जी उत्पादन की वास्तविक संभावनाएं क्या है. ऐसे में अगर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट में तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग पास हो जाता है तो फिर इसके बाद दूसरे स्टेप के तहत तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग पर एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग करवाई जाएगी. लेकिन इसमें एक लंबा वक्त लग सकता है. क्योंकि, एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग के लिए लगभग दो करोड़ रुपए की जरूरत होगी. जिसको देखते हुए ऊर्जा विभाग, जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी तैयार कर रहा है. जिस पॉलिसी के तैयार होने के बाद एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग के लिए सरकार से पैसा जुटाएगा.
![GEOTHERMAL ENERGY PLANT](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-02-2025/23550030_uk-deh-01-geothermal-spring-vis-7211404_15022025143757_1502f_1739610477_116.jpg)
प्री फिजिबिलिटी टेस्ट के सफल होने पर बढ़ेगी कार्रवाई: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि आइसलैंड की कंसल्टिंग कंपनी वर्किस, एक जियोथर्मल स्प्रिंग पर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट करेगी. जिसके लिए आइसलैंड सरकार फंडिंग कर रही है. इसमें उत्तराखंड सरकार को कोई फंडिंग नहीं करनी है. आइसलैंड और उत्तराखंड सरकार के बीच जो एमओयू साइन किया गया है उसके तहत तपोवन स्थित जियोथर्मल स्प्रिंग पर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट वर्किस कंपनी करेगी. इस टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग की जाएगी. ताकि ये पता लगाया जा सके कि स्प्रिंग के कितने डेप्थ में कितना तापमान मौजूद है.
तैयार की जा रही जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी: साथ ही कहा कि तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग पर प्री फिजिबिलिटी टेस्ट कराए जाने को लेकर 3 महीने का समय रखा गया था. लेकिन आइसलैंड की वर्किस कंपनी को 6 महीने का वक्त दिया गया है. ऐसे में प्री फिजिबिलिटी टेस्ट कराए जाने के बाद अगर लगता है कि तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग्स पर जियोथर्मल पावर प्लांट लगाया जा सकता है तो फिर यूजीवीएनएल से एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग करवाई जाएगी. फिलहाल ऊर्जा विभाग, जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी तैयार कर रहा है जो अभी परामर्श विभाग में अध्ययन चल रहा है.
![GEOTHERMAL ENERGY PLANT](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-02-2025/23550030_uk-deh-01-geothermal-spring-vis-7211404_15022025143757_1502f_1739610477_996.jpg)
केंद्रीय मंत्रालय से किया जाएगा अनुरोध: इस पॉलिसी के बनने के बाद एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग के लिए फंडिंग की व्यवस्था राज्य सरकार से करवाई जाएगी. एक्सप्लोरेट्री ड्रिलिंग के बाद अगर ऊर्जा उत्पादन का बेहतर रिस्पांस मिलता है तो भारत सरकार की नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से अनुरोध किया जाएगा कि जियोथर्मल पावर प्लांट के लिए फंडिंग करें.
ये भी पढ़ेंः जियोथर्मल एनर्जी से बिजली बनाने की दिशा में उत्तराखंड ने बढ़ाया कदम, आइसलैंड की कंपनी के साथ किया MoU साइन
ये भी पढ़ेंः जियोथर्मल स्प्रिंग्स से बिजली उत्पादन पर साइंटिस्ट को संदेह! इधर जल्द होने वाला है MoU, जानें पूरा मामला