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लोग बोले- विकास का भरोसा देने वाले को देंगे वोट, नहीं आएंगे झांसे में

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Published : Mar 31, 2019, 6:03 PM IST

14 विधानसभा सीटों को मिलकर बनी . इस .वहीं विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं ऐसी हैं जोकि जस की तस बनी हुई है. लोग का कहना है कि उत्तराखंड न्यूज,उधमसिंह नगर न्यूज, जो अपना खास महत्व रखती है. इस सीट पर हमेशा से ही राजशाही परिवार का दबदबा रहा है. लोगों का कहना है कि इस बार प्रत्याशियों के झूठे आश्वासन के जाल में नहीं आने वाले हैं. . भाजपा ने जहां टिहरी राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाली मौजूदा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह को फिर से मैदान में उतारा है, कांग्रेस ने प्रीतम सिंह को सियासी रण में उतारा है.

आर्केडिया गांव की सड़क.

देहरादून: टिहरी लोकसभा उत्तरकाशी व देहरादून जनपद की 14 विधानसभा सीटों को मिलकर बनी है जो अपना खास महत्व रखती है. भाजपा ने जहां टिहरी राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाली मौजूदा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह को फिर से मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने प्रीतम सिंह को सियासी रण में उतारा है. लेकिन इस सीट पर हमेशा से ही राजशाही परिवार का दबदबा रहा है. वहीं विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं ऐसी हैं जोकि जस की तस बनी हुई है. लोग का कहना है कि इस बार प्रत्याशियों के झूठे आश्वासन के जाल में नहीं आने वाले हैं.

लोकसभा चुनाव में मतदान को लेकर जानकारी देते ग्रामीण.

टिहरी लोकसभा सीट के मतदाताओं से ईटीवी भारत से खुलकर बात की और जनता अपने बीच कैसे सांसद को देखना चाहती है? वहीं टिहरी विधानसभा के अंतर्गत सहसपुर क्षेत्र का आर्केडिया गांव सबसे बड़ा ग्रामीण क्षेत्र है. ईटीवी भारत ने यहां के मतदाताओं से टिहरी सीट पर अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए उनकी राय को जाना. लोगों का कहना है कि टिहरी सांसद निधि से उनके आर्केडिया ग्रामीण क्षेत्र में पिछले 5 सालों में बहुत कम विकास हुआ है. टूटी सड़कें,नालियां सिंचाई के लिए पर्याप्त नहर, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं पर कोई कार्य नहीं हुआ. ऐसे में उनका ग्रामीण क्षेत्र लगातार उपेक्षा का शिकार हुआ है. ग्रामीणों का कहना है की विकास का भरोसा देने वाले प्रत्याशी को ही अपना वोट देंगे. वहीं कैंट विधानसभा क्षेत्र में 14 सितंबर 2018 को नेशनल हाईवे एनएच 72 पर अतिक्रमण की जद आई 164 दुकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था.

पढ़ें:हल्द्वानी: सखी बूथ पर कमान संभालेंगी महिला मतदानकर्मी, तैयारियों में निर्वाचन आयोग

यहां के व्यापारी सरकार से पुनर्वास की मांग को लेकर पिछले 6 माह से धरने पर बैठे हैं. दुकानदारों का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में किस प्रत्याशी को वोट दें इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी है. दुकानदारों का कहना है कि वे आजादी के बाद बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए थे. 7 दशक से ज्यादा समय से वे सड़क किनारे अपनी रोजी- रोटी चला रहे थे, लेकिन बीते वर्ष दुकानों के अतिक्रमण की जद में आने से उन्हें अपने परिवार और रोजगार की चिंता सता रही है. मतदान को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि वोट उनका अधिकार है, लेकिन जिस तरह से वह अपनी रोजी- रोटी के लिए जूझ रहे हैं ऐसे में उनको समझ नहीं आ रहा कि वे अपना वोट किस पार्टी को दें.

भारत- पाकिस्तान बंटवारे के वक्त कई लोगों को प्रेम नगर में बसाया गया था. विगत वर्ष अतिक्रमण की जद में दुकानें आने से लोगों का रोजगार छिन गया है. जिसको लेकर व्यापारी कई बार शासन-प्रशासन के अधिकारियों से बात कर चुके हैं. लोगों का कहना है कि उनकी परेशानी को कोई सुनने को तैयार नहीं है.

देहरादून: टिहरी लोकसभा उत्तरकाशी व देहरादून जनपद की 14 विधानसभा सीटों को मिलकर बनी है जो अपना खास महत्व रखती है. भाजपा ने जहां टिहरी राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाली मौजूदा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह को फिर से मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने प्रीतम सिंह को सियासी रण में उतारा है. लेकिन इस सीट पर हमेशा से ही राजशाही परिवार का दबदबा रहा है. वहीं विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं ऐसी हैं जोकि जस की तस बनी हुई है. लोग का कहना है कि इस बार प्रत्याशियों के झूठे आश्वासन के जाल में नहीं आने वाले हैं.

लोकसभा चुनाव में मतदान को लेकर जानकारी देते ग्रामीण.

टिहरी लोकसभा सीट के मतदाताओं से ईटीवी भारत से खुलकर बात की और जनता अपने बीच कैसे सांसद को देखना चाहती है? वहीं टिहरी विधानसभा के अंतर्गत सहसपुर क्षेत्र का आर्केडिया गांव सबसे बड़ा ग्रामीण क्षेत्र है. ईटीवी भारत ने यहां के मतदाताओं से टिहरी सीट पर अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए उनकी राय को जाना. लोगों का कहना है कि टिहरी सांसद निधि से उनके आर्केडिया ग्रामीण क्षेत्र में पिछले 5 सालों में बहुत कम विकास हुआ है. टूटी सड़कें,नालियां सिंचाई के लिए पर्याप्त नहर, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं पर कोई कार्य नहीं हुआ. ऐसे में उनका ग्रामीण क्षेत्र लगातार उपेक्षा का शिकार हुआ है. ग्रामीणों का कहना है की विकास का भरोसा देने वाले प्रत्याशी को ही अपना वोट देंगे. वहीं कैंट विधानसभा क्षेत्र में 14 सितंबर 2018 को नेशनल हाईवे एनएच 72 पर अतिक्रमण की जद आई 164 दुकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था.

पढ़ें:हल्द्वानी: सखी बूथ पर कमान संभालेंगी महिला मतदानकर्मी, तैयारियों में निर्वाचन आयोग

यहां के व्यापारी सरकार से पुनर्वास की मांग को लेकर पिछले 6 माह से धरने पर बैठे हैं. दुकानदारों का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में किस प्रत्याशी को वोट दें इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी है. दुकानदारों का कहना है कि वे आजादी के बाद बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए थे. 7 दशक से ज्यादा समय से वे सड़क किनारे अपनी रोजी- रोटी चला रहे थे, लेकिन बीते वर्ष दुकानों के अतिक्रमण की जद में आने से उन्हें अपने परिवार और रोजगार की चिंता सता रही है. मतदान को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि वोट उनका अधिकार है, लेकिन जिस तरह से वह अपनी रोजी- रोटी के लिए जूझ रहे हैं ऐसे में उनको समझ नहीं आ रहा कि वे अपना वोट किस पार्टी को दें.

भारत- पाकिस्तान बंटवारे के वक्त कई लोगों को प्रेम नगर में बसाया गया था. विगत वर्ष अतिक्रमण की जद में दुकानें आने से लोगों का रोजगार छिन गया है. जिसको लेकर व्यापारी कई बार शासन-प्रशासन के अधिकारियों से बात कर चुके हैं. लोगों का कहना है कि उनकी परेशानी को कोई सुनने को तैयार नहीं है.

Intro:देहरादून -उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीट में से टिहरी लोकसभा सीट अपनेआप में महत्त्वपूर्ण मानी जाती रही हैं।पिछले एक दशक के साथ -साथ इस संसदीय सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के रूप में लंबे समय टिहरी राजघराने दबदबा रहा हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में राज घराने की बहू माला राज्य लक्ष्मी शाह इस सीट पर काबिज है । इस चुनाव में भी बीजेपी ने राज्यलक्ष्मी को अपना उम्मीदवार बनाकर तीसरी बार मैदान में उतारा है। इस लोकसभा सीट का क्षेत्र टिहरी गढ़वाल से शुरू होकर देहरादून के अंतिम छोर हिमाचल से सटे जौनसार-बाबर तक फैला हैं। इस बार बीजेपी को फिर से कड़ा संघर्ष देने के लिए चकराता जौनसार बावर के ही कद्दावर कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह मैदान पर है। ऐसे में टिहरी लोकसभा सीट के मतदाता अपने किन मुद्दों को लेकर तेरी सांसद को चुनेंगे इस बारे में इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सहसपुर विधानसभा और कैंट विधानसभा लोगों ने अपनी रायशुमारी सामने रखी।

विकास कार्य पर भरोसा देने वाले प्रत्याशी को वोट जाएगा: मतदाता

टिहरी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले देहरादून जिले के कैंट व सहसपुर विधानसभा के मतदाताओं से ईटीवी भारत यह जानने का प्रयास किया कि वह इस बार किन मुद्दों पर अपने सांसद को चुनेंगे सबसे पहले सहसपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े ग्रामीण क्षेत्र आर्केडिया गांव के वोटरों से जब इस बार अपने केंद्रीय प्रतिनिधि को चुनने के बारे में उनकी रायशुमारी जानी गई तो उनका साफ तौर पर कहना था कि टिहरी सांसद निधि से उनके आर्केडिया गग्रामीण क्षेत्र में बहुत कम कार्य पिछले 5 सालों के दौरान देखने को मिला है। टूटी सड़कें , नालियां सिंचाई के लिए पर्याप्त नहर, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं बहाल करने में पिछले पांच वर्षों टिहरी सांसद क्यों आगे नहीं आये यह हैरान करने का विषय हैं। ऐसे में इस बार उनका ग्रामीण क्षेत्र जो लगातार विकास की उपेक्षा का शिकार हुआ है उसको देखते हुए विकास का भरोसा देने वाले को ही उनका वोट जाएगा।


tik tek वोटर्स


Body:कैंट विधानसभा के प्रेम नगर व्यापारी लोकसभा चुनाव में किसी को भी वोट देने में असमंजस की स्थिति में।

उधर टिहरी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले देहरादून कैंट विधानसभा क्षेत्र प्रेमनगर शहरी इलाका जो मतदाताओं के हिसाब से कांग्रेस और बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है । यहां पिछले दिनों अतिक्रमण की इज्जत से दर्जनों दुकाने दस्त होने के कारण रोजी रोटी का संकट इस कदर हो गया है कि यहां के लोग इस लोकसभा चुनाव में वोट दे या ना दे इस असमंजस की स्थिति में आ गए हैं। कैंट विधानसभा क्षेत्र का प्रेमनगर बाजार का यह इलाका हैं जहाँ पिछले 14 सितंबर 2018 को नेशनल हाईवे एनएच 72 अतिक्रमण की जद आने वाले 164 दुकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था। ऐसे में यहां के व्यापारी सरकार से पुनर्स्थापना की मांग को लेकर पिछले 6 माह से धरने पर बैठे हैं । दुकानदारों का कहना है कि हम इस लोकसभा चुनाव में आखिर वोट करें तो किसको करें और कैसे करें हम खुद इस असमंजस की स्थिति में है। क्योंकि मौजूदा भाजपा सरकार वह विपक्ष सहित किसी भी पार्टी ने उनके रोजी रोटी संकट के मामले को नहीं उठाया है। पिछले 6 महीने अपने पुनः स्थापना की मांग को लेकर धरने पर बैठे रिफ्यूजी दुकानदारों का कहना है कि देश आजादी के बाद पाकिस्तान से सब उजड़ जाने के बाद हिंदुस्तान में उन्हें बंटवारे के दौरान आना पड़ा। वर्ष 1947 से वह किसी तरह से प्रेमनगर में निवास कर सड़क किनारे पिछले 7 दशक से ज्यादा समय से अपनी रोजी रोटी चला रहे थे लेकिन पिछले वर्ष 2018 में ऐसा संकट आया कि आज उनके बच्चों की अच्छी परवरिश पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं।
सरदार लखबीर सिंह का कहना है कि वह पिछले 40 साल से वाहनों की रिपेयरिंग कर अपना परिवार का गुजर बसर कर रहे थे दुकान गुजर जाने के बाद आज संकट कितना गहरा गया है कि किसी तरह से सब्जी बेचकर परिवार का पेट भरना पड़ रहा है बच्चों की फीस समय पर ना चुकाने के चलते स्कूल से परीक्षा के परिणाम तक रोक दिए गए हैं।

ईटीवी भारत ने टिहरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस कैंट विधानसभा प्रेमनगर वासियों से इस लोकसभा चुनाव में सांसद को चुनने के बारे में जब सवाल किए तो उनका साफ तौर पर कहना था वोट उनका अधिकार है लेकिन जिस तरह से वह अपनी रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में उनको समझ नहीं आता कि वह अपना वोट किस पार्टी संगठन को दें यह एक बड़ी विडंबना सामने है।

tik tek वोटर्स






Conclusion:जानकारी के मुताबिक देश आजादी के बाद 1947 में भारत पाकिस्तान अलग होने के दौरान पाकिस्तान से आय रिफ्यूजी लोगो को प्रेम नगर में बसाया गया और उसके बाद यहां सड़क किनारे उस समय लोगों ने अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए दुकाने बनाई पिछले वर्ष इन दुकानों को अतिक्रमण की जद में आने के कारण आखिरकार ध्वस्त कर दी गया उसके बाद से यहां दर्जनों व्यापारी अपनी रोजी रोटी का संकट का दंश खेलते हुए पिछले 6 महीने से धरने पर बैठे हैं व्यापारियों के मुताबिक इस दौरान शासन-प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री केंद्र तक उन्होंने अपने पुनर्स्थापना की मांग को लेकर गुहार लगाई है लेकिन अभी तक उनके मांग पर किसी तरह की कोई कारवाई देखने को नहीं मिली है।

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