देहरादून: टिहरी लोकसभा उत्तरकाशी व देहरादून जनपद की 14 विधानसभा सीटों को मिलकर बनी है जो अपना खास महत्व रखती है. भाजपा ने जहां टिहरी राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाली मौजूदा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह को फिर से मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने प्रीतम सिंह को सियासी रण में उतारा है. लेकिन इस सीट पर हमेशा से ही राजशाही परिवार का दबदबा रहा है. वहीं विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं ऐसी हैं जोकि जस की तस बनी हुई है. लोग का कहना है कि इस बार प्रत्याशियों के झूठे आश्वासन के जाल में नहीं आने वाले हैं.
टिहरी लोकसभा सीट के मतदाताओं से ईटीवी भारत से खुलकर बात की और जनता अपने बीच कैसे सांसद को देखना चाहती है? वहीं टिहरी विधानसभा के अंतर्गत सहसपुर क्षेत्र का आर्केडिया गांव सबसे बड़ा ग्रामीण क्षेत्र है. ईटीवी भारत ने यहां के मतदाताओं से टिहरी सीट पर अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए उनकी राय को जाना. लोगों का कहना है कि टिहरी सांसद निधि से उनके आर्केडिया ग्रामीण क्षेत्र में पिछले 5 सालों में बहुत कम विकास हुआ है. टूटी सड़कें,नालियां सिंचाई के लिए पर्याप्त नहर, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं पर कोई कार्य नहीं हुआ. ऐसे में उनका ग्रामीण क्षेत्र लगातार उपेक्षा का शिकार हुआ है. ग्रामीणों का कहना है की विकास का भरोसा देने वाले प्रत्याशी को ही अपना वोट देंगे. वहीं कैंट विधानसभा क्षेत्र में 14 सितंबर 2018 को नेशनल हाईवे एनएच 72 पर अतिक्रमण की जद आई 164 दुकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था.
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यहां के व्यापारी सरकार से पुनर्वास की मांग को लेकर पिछले 6 माह से धरने पर बैठे हैं. दुकानदारों का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में किस प्रत्याशी को वोट दें इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी है. दुकानदारों का कहना है कि वे आजादी के बाद बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए थे. 7 दशक से ज्यादा समय से वे सड़क किनारे अपनी रोजी- रोटी चला रहे थे, लेकिन बीते वर्ष दुकानों के अतिक्रमण की जद में आने से उन्हें अपने परिवार और रोजगार की चिंता सता रही है. मतदान को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि वोट उनका अधिकार है, लेकिन जिस तरह से वह अपनी रोजी- रोटी के लिए जूझ रहे हैं ऐसे में उनको समझ नहीं आ रहा कि वे अपना वोट किस पार्टी को दें.
भारत- पाकिस्तान बंटवारे के वक्त कई लोगों को प्रेम नगर में बसाया गया था. विगत वर्ष अतिक्रमण की जद में दुकानें आने से लोगों का रोजगार छिन गया है. जिसको लेकर व्यापारी कई बार शासन-प्रशासन के अधिकारियों से बात कर चुके हैं. लोगों का कहना है कि उनकी परेशानी को कोई सुनने को तैयार नहीं है.