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काशीपुरः बारिश और ओले ने की मटर की फसल चौपट, किसानों को हुआ नुकसान - बारिश और ओले से मटर की फसल बर्बाद

बारिश के साथ ओले गिरने से मटर की फसल खराब हो गई है. जिससे किसानों को अब रोजी-रोटी की चिंता सता रही है.

मटर की फसल बर्बाद
मटर
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Published : Jan 8, 2020, 2:04 PM IST

काशीपुरः पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी क्षेत्रों में कोहरे ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अब लगातार मौसम की मार मटर की फसल पर पड़ रही है. ओले गिरने से फसल खराब होने से रसोई से अब मटर गायब होती दिखाई दे रही है. बात अगर बदलते मौसम की जाए तो इस बार मौसम किसानों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है.

मटर की फसल बर्बाद

उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में हुई बेमौसमी बारिश ने मटर की खेती को नष्ट कर दी. मौसम के कहर से पहले तो प्याज की फसल नष्ट हो गई थी जिस कारण प्याज के दाम आसमान छूने लगे थे, लेकिन दूसरी ओर बेमौसम हुई बारिश और ओले गिरने से मटर की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

बारिश और ओलों से खेतों में पानी आ जाने के कारण मटर की फसल गलने लगी हैं. ऐसे में बची फसल को बचाने के लिए किसान अपने खेतों में ज्यादा मजदूर लगवाकर मटर की छंटाई करवा रहे हैं.

वहीं किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसम बरसात से मटर की फसल बड़ी मात्रा में खराब हो गई और जिसकी वजह से लागत भी नहीं निकल पा रही है. वहीं मौसम के कहर से किसानों के साथ-साथ खेतों में काम कर रहे मजदूरों का भी बुरा हाल है. उनका कहना है कि बारिश से मटर की फसल बर्बाद और ज्यादा मात्रा में गल चुकी है.

मजदूरों का कहना कि फसल खराब होने से कुछ ही दिन में पूरा काम हो जाएगा यदि फसल अच्छी रहती तो ज्यादा दिनों तक खेतों में काम चलता, जिसकी वजह से उनके सामने रोटी रोजी का संकट गहरा गया है.

यह भी पढ़ेंः काशीपुर: राज्य स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता का आयोजन, 110 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

काशीपुरः पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी क्षेत्रों में कोहरे ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अब लगातार मौसम की मार मटर की फसल पर पड़ रही है. ओले गिरने से फसल खराब होने से रसोई से अब मटर गायब होती दिखाई दे रही है. बात अगर बदलते मौसम की जाए तो इस बार मौसम किसानों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है.

मटर की फसल बर्बाद

उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में हुई बेमौसमी बारिश ने मटर की खेती को नष्ट कर दी. मौसम के कहर से पहले तो प्याज की फसल नष्ट हो गई थी जिस कारण प्याज के दाम आसमान छूने लगे थे, लेकिन दूसरी ओर बेमौसम हुई बारिश और ओले गिरने से मटर की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

बारिश और ओलों से खेतों में पानी आ जाने के कारण मटर की फसल गलने लगी हैं. ऐसे में बची फसल को बचाने के लिए किसान अपने खेतों में ज्यादा मजदूर लगवाकर मटर की छंटाई करवा रहे हैं.

वहीं किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसम बरसात से मटर की फसल बड़ी मात्रा में खराब हो गई और जिसकी वजह से लागत भी नहीं निकल पा रही है. वहीं मौसम के कहर से किसानों के साथ-साथ खेतों में काम कर रहे मजदूरों का भी बुरा हाल है. उनका कहना है कि बारिश से मटर की फसल बर्बाद और ज्यादा मात्रा में गल चुकी है.

मजदूरों का कहना कि फसल खराब होने से कुछ ही दिन में पूरा काम हो जाएगा यदि फसल अच्छी रहती तो ज्यादा दिनों तक खेतों में काम चलता, जिसकी वजह से उनके सामने रोटी रोजी का संकट गहरा गया है.

यह भी पढ़ेंः काशीपुर: राज्य स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता का आयोजन, 110 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

Intro:


Summary- पहाड़ी इलाको में बर्फबारी ओर मैदानी क्षेत्रों में कोहरे ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दीं हैं। अब किसानों की लगातार मौसम की मार मटर की फसल पर पड़ रही हैं। लोगो के रसोई से अब मटर गायब होती दिखाई दे रहा है। बात अगर बदलते मौसम की जाए तो इस बार मौसम किसानों के लिए कहर बनकर आया है।

एंकर :- पहाड़ी इलाको में बर्फबारी ओर मैदानी क्षेत्रों में कोहरे ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दीं हैं। अब किसानों की लगातार मौसम की मार मटर की फसल पर पड़ रही हैं। लोगो के रसोई से अब मटर गायब होती दिखाई दे रहा है। बात अगर बदलते मौसम की जाए तो इस बार मौसम किसानों के लिए कहर बनकर आया है।
Body:वीओ- उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में हुई बेमौसमी बारिश ने मटर की खेती को नष्ट कर दी। हमारी ख़ास ख़बर को देखने से पहले मटर का सेवन करने से होने वाले फायदे के बारे में सुनिए जो इस बार आप तक नही नही पहुंचेंगे। ऐंटी-ऑक्सिडेंट और ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री गुणों से भरपूर होती है। इसमें शरीर के लिए आवश्यक लगभग सभी पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसके अलावा यह विटमिन सी, विटमिन ई, ओमेगा 3, फैट और जिंक के गुणों से भी भरपूर है। यह फाइबर, फ्लेवेनॉएड्स, स्टार्च और प्रोटीन से भी युक्त है। ऐसे में मटर खाने से शरीर की पोषण संबंधी लगभग सारी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं।
वीओ :- मौसम के कहर से पहले तो प्याज की फसल नष्ट हो गई थी जिस कारण प्याज के दाम आसमान छूने लगे थे। लेकिन दूसरी ओर बेमौसम हुई बारिश और ओलों से मटर की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बारिश और ओलों से किसानों के खेतों में पानी आ जाने के कारण मटर की फसल गलने लगी है। तो बची कुची फसल को बचाने के लिए किसान अपने खेतों में ज्यादा मजदूर लगवा कर मटर की छंटाई करवा रहा है वहीं किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसम बरसात से हमारी मटर की फसल बड़ी मात्रा में खराब हो गई और जिसकी वजह से हमें मटर की लगाई की लागत भी नहीं निकल पा रही है।

वीओ:- वही मौसम के कहर से किसानों के साथ साथ खेतों में काम कर रहे मजदूरों का भी बुरा हाल है। उनका कहना है कि बारिश से मटर की फसल बर्बाद और ज्यादा मात्रा में गल चुकी है। जिसकी वजह से अब बची कुची मटर की छटाई एक दिन में ही हो जाती है और बची कुची मटर खराब ना हो। जिसके चलते किसान ज्यादा मात्रा में मजदूर लगाकर खेतों में काम करा रहे हैं जिसकी वजह से हमारे घरों में रोटी रोजी का संकट है इसी कारण हम अपने घरों के छोटे-छोटे बच्चों से भी खेतों में मटर की छटाई कर रहे हैं ताकि ज्यादा पैसा मिल सके और लंबे समय तक घर का खर्चा चल सके।

बाइट:- मलकीत सिंह, किसान
बाइट :- अमरजीत सिंह, किसान
बाइट :- रामवती, खेतों में काम करने वाली मजदूर
बाइट:- प्रेमवती, खेतों में काम करने वाली मजदूरConclusion:
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