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GB पंत विश्वविद्यालय के कुलपति का कृषि कानूनों पर बयान, कहा- 12 हिमालयी राज्यों के लिए साबित होगा वरदान - पंतनगर कृषि विश्विद्यालय रुद्रपुर

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि पूर्व में पहाड़ों के किसानों के साथ यह समस्या देखी गई है कि अगर कोई किसान खेती कर रहा है और वह उस जमीन में लंबे समय से काबिज है तो वह उस पर कब्जा कर लेता था. अब इस कानून से पहाड़ी जनपदों के किसानों की जमीन पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकेगा.

रुद्रपुर
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Published : Jan 3, 2021, 1:33 PM IST

रुद्रपुर: नए कृषि कानूनों को लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि देश के हिमालयी राज्यों के लिए ये कानून वरदान साबित होंगे. पहाड़ी जनपदों के किसानों को कृषि कानूनों का फायदा मिलेगा. उन्होंने एमएसपी को लेकर कहा कि पहाड़ी जनपदों के किसानों को घबराने की जरूरत नहीं हैं. पहाड़ी जनपदों के किसान धान और गेंहू का अधिक उत्पादन नहीं करते हैं. इस लिहाज से पहाड़ी जनपदों के किसानों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है.



पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने कहा कि, देश के 12 हिमालयी राज्यों को तीनों कृषि कानूनों से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं है. इन तीनों कानूनों से पहाड़ी जनपदों के किसानों को फायदा होने वाला है. कृषि कानून में दो बिलों से पहाड़ी जनपदों के किसानों को फायदा मिलेगा. पहाड़ी राज्यों के किसान कैश क्रॉप की फसलें ज्यादातर उगाते हैं. इसको बेचने के लिए किसानों को मंडी शुल्क देना होता था. अब किसानों के आगे मंडी और अन्य जगह दोनों विकल्प खुले हैं. किसान बिना मंडी शुल्क दिए अपनी फसल बेच सकता हैं.

पढ़ें- हरिद्वार: अखाड़ा परिषद कुंभ को लेकर सीएम त्रिवेंद्र से करेगा मुलाकात

इसके अलावा कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग भी छोटे जोत के किसानों के लिए फायदा पहुचांएगी. उन्होंने कहा कि पूर्व में पहाड़ों के किसानों के साथ यह समस्या देखी गई है कि अगर कोई किसान खेती कर रहा है और वह उस जमीन में लंबे समय से काबिज है तो वह उस पर कब्जा कर लेता था. अब इस कानून से पहाड़ी राज्यों के किसानों को फायदा मिलेगा. अब पहाड़ी जनपदों के किसानों की जमीन पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकेगा.

रुद्रपुर: नए कृषि कानूनों को लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि देश के हिमालयी राज्यों के लिए ये कानून वरदान साबित होंगे. पहाड़ी जनपदों के किसानों को कृषि कानूनों का फायदा मिलेगा. उन्होंने एमएसपी को लेकर कहा कि पहाड़ी जनपदों के किसानों को घबराने की जरूरत नहीं हैं. पहाड़ी जनपदों के किसान धान और गेंहू का अधिक उत्पादन नहीं करते हैं. इस लिहाज से पहाड़ी जनपदों के किसानों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है.



पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने कहा कि, देश के 12 हिमालयी राज्यों को तीनों कृषि कानूनों से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं है. इन तीनों कानूनों से पहाड़ी जनपदों के किसानों को फायदा होने वाला है. कृषि कानून में दो बिलों से पहाड़ी जनपदों के किसानों को फायदा मिलेगा. पहाड़ी राज्यों के किसान कैश क्रॉप की फसलें ज्यादातर उगाते हैं. इसको बेचने के लिए किसानों को मंडी शुल्क देना होता था. अब किसानों के आगे मंडी और अन्य जगह दोनों विकल्प खुले हैं. किसान बिना मंडी शुल्क दिए अपनी फसल बेच सकता हैं.

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इसके अलावा कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग भी छोटे जोत के किसानों के लिए फायदा पहुचांएगी. उन्होंने कहा कि पूर्व में पहाड़ों के किसानों के साथ यह समस्या देखी गई है कि अगर कोई किसान खेती कर रहा है और वह उस जमीन में लंबे समय से काबिज है तो वह उस पर कब्जा कर लेता था. अब इस कानून से पहाड़ी राज्यों के किसानों को फायदा मिलेगा. अब पहाड़ी जनपदों के किसानों की जमीन पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकेगा.

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