खटीमा: रामनवमी के दिन पूर्णागिरी धाम में माता के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने शारदा नदी में स्नान कर विधि-विधान से माता पूर्णागिरि के दर्शन किए. माता से सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेकर मनोकामना पूरी होने की कामना की. चंपावत जिले के टनकपुर से 14 किलोमीटर दूर पूर्णागिरि धाम में शारदीय नवरात्रि के 9वें दिन हजारों भक्तों ने माता के दर्शन किए.
मान्यता के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पति महादेव के अपमान के विरोध में दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. इसके बाद भगवान विष्णु ने महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए सती माता के शरीर को चक्र से 51 टुकड़ों में बांट दिया था. जहां-जहां सती के शरीर के हिस्से गिरे. वहां एक शक्ति पीठ स्थापित हुआ. इसी क्रम में पूर्णागिरि शक्ति स्थल पर माता सती की नाभि गिरी थी. भक्तों द्वारा माता सती के नाभि स्थल को मां पूर्णागिरी के रूप में पूजा जाता है.
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शारदीय नवरात्रों में 9 दिनों तक चलने वाले मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही चैत्र माह में शुरू होने वाले नवरात्रों के समय भव्य मेले का आयोजन भी होता है, जो लगातार 60 से 90 दिनों तक चलता है. मान्यता है कि माता के दर्शन कर जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं, वो पूरी हो जाती हैं.
पूर्णागिरि धाम की भौगोलिक स्थिति नेपाल सीमा से लगी होने कारण और देश में आतंकी हमले के चलते सुरक्षा में स्थानीय पुलिस और नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी जवान मौजूद रहे. सुरक्षा जांच में होने वाली दिक्कतों के बावजूद भक्तों के जोश में कोई कमी नहीं दिखी.