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माता पूर्णागिरि धाम में पहुंचे श्रद्धालु, सुरक्षा में मुस्तैद रहे पुलिस और SSB के जवान

चंपावत जिले के टनकपुर से 14 किलोमीटर दूर पूर्णागिरि धाम में शारदीय नवरात्र के 9वें दिन हजारों भक्तों ने माता के दर्शन किए. साथ ही सुरक्षा को देखते हुए पुलिस और एसएसबी के जवान मौके पर मौजूद रहे.

माता पूर्णागिरि धाम में पहुंचे हजारों श्रद्धालु.
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Published : Oct 7, 2019, 10:44 PM IST

खटीमा: रामनवमी के दिन पूर्णागिरी धाम में माता के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने शारदा नदी में स्नान कर विधि-विधान से माता पूर्णागिरि के दर्शन किए. माता से सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेकर मनोकामना पूरी होने की कामना की. चंपावत जिले के टनकपुर से 14 किलोमीटर दूर पूर्णागिरि धाम में शारदीय नवरात्रि के 9वें दिन हजारों भक्तों ने माता के दर्शन किए.

माता पूर्णागिरि धाम में पहुंचे हजारों श्रद्धालु.

मान्यता के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पति महादेव के अपमान के विरोध में दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. इसके बाद भगवान विष्णु ने महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए सती माता के शरीर को चक्र से 51 टुकड़ों में बांट दिया था. जहां-जहां सती के शरीर के हिस्से गिरे. वहां एक शक्ति पीठ स्थापित हुआ. इसी क्रम में पूर्णागिरि शक्ति स्थल पर माता सती की नाभि गिरी थी. भक्तों द्वारा माता सती के नाभि स्थल को मां पूर्णागिरी के रूप में पूजा जाता है.

ये भी पढ़ें: हरीश रावत ने ककड़ी पार्टी का किया आयोजन, शामिल हुए कई दिग्गज नेता

शारदीय नवरात्रों में 9 दिनों तक चलने वाले मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही चैत्र माह में शुरू होने वाले नवरात्रों के समय भव्य मेले का आयोजन भी होता है, जो लगातार 60 से 90 दिनों तक चलता है. मान्यता है कि माता के दर्शन कर जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं, वो पूरी हो जाती हैं.

पूर्णागिरि धाम की भौगोलिक स्थिति नेपाल सीमा से लगी होने कारण और देश में आतंकी हमले के चलते सुरक्षा में स्थानीय पुलिस और नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी जवान मौजूद रहे. सुरक्षा जांच में होने वाली दिक्कतों के बावजूद भक्तों के जोश में कोई कमी नहीं दिखी.

खटीमा: रामनवमी के दिन पूर्णागिरी धाम में माता के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने शारदा नदी में स्नान कर विधि-विधान से माता पूर्णागिरि के दर्शन किए. माता से सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेकर मनोकामना पूरी होने की कामना की. चंपावत जिले के टनकपुर से 14 किलोमीटर दूर पूर्णागिरि धाम में शारदीय नवरात्रि के 9वें दिन हजारों भक्तों ने माता के दर्शन किए.

माता पूर्णागिरि धाम में पहुंचे हजारों श्रद्धालु.

मान्यता के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पति महादेव के अपमान के विरोध में दक्ष प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. इसके बाद भगवान विष्णु ने महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए सती माता के शरीर को चक्र से 51 टुकड़ों में बांट दिया था. जहां-जहां सती के शरीर के हिस्से गिरे. वहां एक शक्ति पीठ स्थापित हुआ. इसी क्रम में पूर्णागिरि शक्ति स्थल पर माता सती की नाभि गिरी थी. भक्तों द्वारा माता सती के नाभि स्थल को मां पूर्णागिरी के रूप में पूजा जाता है.

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शारदीय नवरात्रों में 9 दिनों तक चलने वाले मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही चैत्र माह में शुरू होने वाले नवरात्रों के समय भव्य मेले का आयोजन भी होता है, जो लगातार 60 से 90 दिनों तक चलता है. मान्यता है कि माता के दर्शन कर जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं, वो पूरी हो जाती हैं.

पूर्णागिरि धाम की भौगोलिक स्थिति नेपाल सीमा से लगी होने कारण और देश में आतंकी हमले के चलते सुरक्षा में स्थानीय पुलिस और नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी जवान मौजूद रहे. सुरक्षा जांच में होने वाली दिक्कतों के बावजूद भक्तों के जोश में कोई कमी नहीं दिखी.

Intro:summary- उत्तर भारत के प्रसिद्ध माता पूर्णागिरि धाम में माता के दर्शनों को शारदीय नवरात्रि में रोज पहुंच रहे हैं हजारों श्रद्धालु।

नोट-खबर मेल में है।

एंकर- शारदीय नवरात्रि के 9 दिन रामनवमी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूर्णा पर्वत पर स्थित माता पूर्णागिरि धाम में माता के दर्शनों को पहुंचे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने शारदा नदी में स्नान कर विधि-विधान से माता पूर्णागिरि के किए दर्शन। माता से सुख समृद्धि का लिया आशीर्वाद।


Body:वीओ- उत्तराखंड के चंपावत जिले के श्रीमान नगर टनकपुर से 14 किलोमीटर दूर पूर्णागिरि धाम में शारदीय नवरात्रों के नवे दिन रामनवमी पर हजारों भक्तों ने माता के दर्शन किये। मान्यता के अनुसार दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पति महादेव के अपमान के विरोध में दक्ष प्रजापति प्रजापति द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने महादेव के शोक को शांत करने के लिए जब महादेव द्वारा सती माता के शरीर को कैलाश की ओर ले जाते अपने चक्र से सती के शरीर को 51टुकड़ों में बांट दिया था। तब जहां-जहां सती के शरीर के हिस्से गिरे। वहां - वहां एक शक्ति पीठ स्थापित हुआ। इसी क्रम में पूर्णागिरि शक्ति स्थल पर माता सती की नाभि गिरी थी भक्तों द्वारा माता सती के नाभि स्थल के रूप में मां पूर्णागिरी की पूजा की जाती है।

वीओ- मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ में हर्ष हर्ष हर वर्ष शारदीय नवरात्रों में 9 दिनों तक चलने वाले मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्तों मां के दर्शन करने आते हैं। साथ ही चैत्र माह में शुरू होने वाले नवरात्रों के समय भव्य मेले का आयोजन भी होता है। जो लगातार 60 से 90 दिनों तक चलता है। मान्यता है कि माता के दर्शन कर वक्त जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं वह जरूर पूरी होती है।

वीओ 3- पूर्णागिरि धाम की भौगोलिक स्थिति नेपाल सीमा से लगी होने कारण एवं देश में आतंकी हमले के चलते मेले में आने वाले भक्तों की सुरक्षा हेतु मेले की सुरक्षा में स्थानीय पुलिस तथा नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों की संयुक्त टीमें करती हैं। जो मेले में आने जाने वाले हर वाहन व व्यक्ति की सघन तलाशी लेती हैं। सुरक्षा जांच में होने वाली दिक्कतों के बावजूद भक्तों के जोश में कोई कमी नहीं दिख रही है। रोज हजारों की संख्या में भक्त माता के दर्शन करने पूर्णागिरि धाम पहुंच रहे हैं।

बाइट-नेहा दर्शन करने आई भक्त

बाइट-मनोज भक्त

बाइट-राज भक्त


Conclusion:
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