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51 शक्ति पीठों में से एक है मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर, औरंगजेब भी करता था यहां पूजा

उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मेला कहा जाने वाला चैती मेला सैकड़ों वर्षों से काशीपुर में लगता चला रहा है, इसका इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है.

मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर
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Published : Apr 15, 2019, 11:35 PM IST

Updated : Apr 15, 2019, 11:48 PM IST

काशीपुर: देश में यूं तो अनेकों शक्ति पीठ हैं, जिनका अपना अलग-अलग महत्व है. 51 शक्ति पीठों में एक शक्ति पीठ काशीपुर में भी स्थित है, जिनका नाम है मां बाल सुंदरी देवी. इनको चैती मंदिर भी कहा जाता है. इसीलिए हर साल चैत्र मास में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है. जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं.

मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर

पढ़ें- पुलवामा हमला एक साजिश, मोदी जिम्मेदार: अजीज कुरैशी

उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मेला कहा जाने वाला चैती मेला सैकड़ों वर्षों से काशीपुर में लगता चला रहा है, इसका इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि मां भगवती की बाईं भुजा चैती में आकर गिरी थी, इसलिए इसको 51 शक्ति पीठों में एक माना जाता है. मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और माता काली की पूजा की जाती है. यहां पूजा-अर्चना करने वाले सभी श्रद्धालुओं को मनाकामनाएं पूरी होती हैं.

मंदिर के पुजारी प्रधान पंडित विकास अग्निहोत्री ने बताया कि मैया का डोला सप्तमी की मध्यरात्रि में काशीपुर के स्थानीय मंदिर से चल कर चैती मंदिर में पहुंचता है. जहां मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित होने के बाद श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है.

मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर से मुगल शासक औरंगजेब की भी कहानी जुड़ी है. किदवंती है कि जब मुगल शासक औरंगजेब का साम्राज्य स्थापित हुआ तो मुगल सम्राट ने देश के सभी मंदिरों को तुड़वा दिया था. मंदिर को तुड़वाते ही औरंगजेब की बहन जहांआरा की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. जिसके बाद औरंगजेब अपनी बहन के लिए कई मौलवियों और मजारों पर जाकर स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रहे थे, लेकिन औरंगजेब की बहन जहांआरा की तबीयत सुधरने का नाम नहीं ले रही थी.

औरंगजेब के जानकार ने उनको चैती मंदिर की जीर्णोद्धार करने की बात कही. मां बाल सुंदरी देवी ने औरंगजेब की मनोकामना को तुरंत पूरा किया और कुछ ही दिन में उसकी बहन स्वस्थ हो गई. जिसके बाद मुगल सम्राट औरंगजेब ने ढोल-नगाड़ों के साथ काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर की जीर्णोद्धार किया और उनको नमन भी किया.

एक मान्यता और है कि मां काली की पूजा कर रहे पंडित की पूजा में विघ्न पड़ा तो पंडित ने जैसे ही आंख खुली एक वृक्ष जल कर सूख गया, जिसके बाद राजा ने मंदिर के पुजारी को उस वृक्ष को फिर से हरा भरा करने की बात कही. जैसे ही पुजारी ने कुछ जल की बूंदें पेड़ पर डालीं तो वह वृक्ष फिर से हरा-भरा हो गया.

काशीपुर: देश में यूं तो अनेकों शक्ति पीठ हैं, जिनका अपना अलग-अलग महत्व है. 51 शक्ति पीठों में एक शक्ति पीठ काशीपुर में भी स्थित है, जिनका नाम है मां बाल सुंदरी देवी. इनको चैती मंदिर भी कहा जाता है. इसीलिए हर साल चैत्र मास में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है. जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं.

मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर

पढ़ें- पुलवामा हमला एक साजिश, मोदी जिम्मेदार: अजीज कुरैशी

उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मेला कहा जाने वाला चैती मेला सैकड़ों वर्षों से काशीपुर में लगता चला रहा है, इसका इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि मां भगवती की बाईं भुजा चैती में आकर गिरी थी, इसलिए इसको 51 शक्ति पीठों में एक माना जाता है. मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और माता काली की पूजा की जाती है. यहां पूजा-अर्चना करने वाले सभी श्रद्धालुओं को मनाकामनाएं पूरी होती हैं.

मंदिर के पुजारी प्रधान पंडित विकास अग्निहोत्री ने बताया कि मैया का डोला सप्तमी की मध्यरात्रि में काशीपुर के स्थानीय मंदिर से चल कर चैती मंदिर में पहुंचता है. जहां मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित होने के बाद श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है.

मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर से मुगल शासक औरंगजेब की भी कहानी जुड़ी है. किदवंती है कि जब मुगल शासक औरंगजेब का साम्राज्य स्थापित हुआ तो मुगल सम्राट ने देश के सभी मंदिरों को तुड़वा दिया था. मंदिर को तुड़वाते ही औरंगजेब की बहन जहांआरा की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. जिसके बाद औरंगजेब अपनी बहन के लिए कई मौलवियों और मजारों पर जाकर स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रहे थे, लेकिन औरंगजेब की बहन जहांआरा की तबीयत सुधरने का नाम नहीं ले रही थी.

औरंगजेब के जानकार ने उनको चैती मंदिर की जीर्णोद्धार करने की बात कही. मां बाल सुंदरी देवी ने औरंगजेब की मनोकामना को तुरंत पूरा किया और कुछ ही दिन में उसकी बहन स्वस्थ हो गई. जिसके बाद मुगल सम्राट औरंगजेब ने ढोल-नगाड़ों के साथ काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर की जीर्णोद्धार किया और उनको नमन भी किया.

एक मान्यता और है कि मां काली की पूजा कर रहे पंडित की पूजा में विघ्न पड़ा तो पंडित ने जैसे ही आंख खुली एक वृक्ष जल कर सूख गया, जिसके बाद राजा ने मंदिर के पुजारी को उस वृक्ष को फिर से हरा भरा करने की बात कही. जैसे ही पुजारी ने कुछ जल की बूंदें पेड़ पर डालीं तो वह वृक्ष फिर से हरा-भरा हो गया.

Intro:देश में यूं तो अनेको शक्ति पीठ मंदिर स्थित हैं जिनका अपना अलग अलग महत्व है। ऐसा ही 51 शक्तिपीठों में एक मंदिर काशीपुर में भी स्थित है जिसकी मान्यता के चर्चे पूरे देश में है। काशीपुर का मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर जिसे चैती मंदिर भी कहा जाता है। मां बाल सुंदरी देवी का मंदिर मैं हर वर्ष चैत्र मास में मेले का आयोजन किया जाता है। जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर माता के दर्शन करते हैं और मनु कामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। 





Body:वीओ 1 : उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मेला कहां जाने वाला चैती मेला सैकड़ों वर्षो से काशीपुर में लगता चला रहा है। जिस का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। बता दें कि चैत्र मास में काशीपुर स्तिथ मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है। जहाँ देश के कोने कोने से श्रद्धालु आकर माता के दर्शन करते है और अपने आप को धन्य मानते है। माना जाता है कि मां भगवती की बाईं भुजा चैती प्रांगण में आकर गिरी थी। जिसके बाद से काशीपुर के मंदिर को मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर से जाना जाता है। यही नहीं मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर में माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और माता काली की पूजा अर्चना की जाती है। यही नहीं कि बनती है कि मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर में मानी गई सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर के पुजारी प्रधान पंडित विकास अग्निहोत्री ने बताया कि मैया का डोला सप्तमी की मध्यरात्रि में काशीपुर के स्थानीय मंदिर से चल कर चैती मंदिर में पहुंचता है। जहां मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित होने के बाद श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करते हैं।


बाइट : विकास अग्निहोत्री .............. मुख्य पंडा - 1


वीओ 2 : मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर से मुगल शासक औरंगजेब की भी कहानी जुड़ी हुई है। किदवंती है कि जब मुगल शासक औरंगजेब का साम्राज्य स्थापित हुआ था तो मुगल सम्राट ने देश के सभी मंदिरों को तुड़वा दिया था। मंदिर को तुड़वाते ही औरंगजेब की बहन जहांआरा की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। जिसके बाद औरंगजेब ने अपनी बहन को स्वस्थ कराने के लिए कई मौलवियों और मजारों पर जाकर स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रहे थे लेकिन औरंगजेब की बहन जहांआरा की तबीयत सुधरने का नाम नहीं ले रही थी। मुगल सम्राट औरंगजेब के जानकार ने उनको चैती मंदिर की जीर्णोद्धार करने की बात कही। मां बाल सुंदरी देवी ने औरंगजेब की मनोकामना को तुरंत पूरा किया और कुछ ही दिन में उसकी बहन स्वस्थ हो गई। जिसके बाद मुगल सम्राट औरंगजेब ने ढोल नगाड़ों के साथ काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर की जीर्णोद्धार किया और उनको नमन भी किया। वही मां काली की पूजा कर रहे पंडित की पूजा में विघ्न पड़ा तो पंडित ने जैसे ही आंख खुली तो पुजारी के सामने दिखा एक वृक्ष जल कर सूख गया। जिसके बाद राजा ने मंदिर के पुजारी को उस वृक्ष को पुनः हरा भरा करने की बात कही। जैसे ही पुजारी ने कुछ बूंदें जल की पेड़ पर डाली तो वह वृक्ष पुनः से हरा भरा हो गया। लेकिन वृक्ष आज भी अंदर से पूरा खुला है। जिसे लोग माँँ का चमत्कार मानते है।




Conclusion:
Last Updated : Apr 15, 2019, 11:48 PM IST
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