खटीमा: राज्य के शराब व्यापारियों की समिति ने राज्य की आबकारी नीति पर सवाल उठाए हैं. साथ ही आबकारी नीति को पूरी तरह से फेल बताया. समिति ने आरोप लगाया कि प्रदेश की आबकारी नीति ने छोटे शराब व्यापारियों को बर्बादी की कगार पर ला दिया है. साथ ही समिति ने सरकार की आबकारी नीति के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
राज्य के शराब व्यवसायियों की समिति आबकारी अनुज्ञापी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने खटीमा में राज्य सरकार की आबकारी नीति को फेल बताते हुए सिंडीकेट को लाभ पहुंचाने और स्थानीय कारोबारियों को नुकसान पहुंचाने वाला बताया.
ये भी पढ़ें: जसोदा राणा ने फिर कब्जायी उत्तरकाशी जिला पंचायत की कुर्सी, Etv भारत को फोन कर बोलीं- मिला न्याय
समिति संरक्षक सुरेंद्र नाहर ने बताया कि राज्य में बीजेपी सरकार आने के बाद सरकार ने स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य नई आबकारी नीति बनाई थी. इस नीति के तहत स्थानीय युवाओं को शराब की दुकानों के ठेके देने में प्रमुखता देने की बात कही गई थी. सरकार पर भरोसा कर स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर राज्य की आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों की बोली लगाकर दुकानें आवंटित करवाईं. इसके बाद शराब की दुकानों के अधिभार काफी बढ़ा देने से नये शराब अनुज्ञापियों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, आबकारी विभाग ने बचे हुए समय के लिए अन्य अनुज्ञापियों को 50 प्रतिशत तक अधिभार कम कर दुकानें आवंटित कर दीं और दुकान छोड़ने वाले अनुज्ञापियों की बाकी 50 प्रतिशत अधिभार की आरसी काट दी. साथ ही आंकड़ों में आबकारी विभाग को भारी मुनाफा दिखा दिया गया.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड: 14000 फीट की ऊंचाई पर ITBP के हिमवीरों ने किया योग
समिति संरक्षक ने बताया कि राज्य के युवा जो भारी मुनाफे की आस मे शराब की दुकानें लिए हुए थे, वो लाखों के कर्जदार हो गए हैं. साथ ही राजस्व विभाग के कर्मचारी आबकारी विभाग की आरसी का पैसा वसूलने के लिए उनके घरों के चक्कर काट रहे हैं. इस साल अभी तक 234 शराब की दुकानें पूरे राज्य में रिक्त पड़ी हैं. वहीं, आबकारी विभाग 35 प्रतिशत अधिभार कम करके आवंटित किये जाने की तैयारी में है.