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काशीपुरः द्रोणासागर और गोविषाण टीले का होगा कायाकल्प, सर्वे कार्य हुआ पूरा

आज 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन स्कीम के तहत पहुंची टीम ने द्रोणासागर में सौंदर्यीकरण के लिए सर्वे किया. इंडियन ऑयल ने पुरातत्व विभाग को एक प्रस्ताव सौंपा है.  इस प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्व विभाग से मंजूरी मिलते ही इस पर कार्य प्रारंभ हो जायेगा.

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द्रोणासागर और गोविषाण टीले
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Published : Nov 28, 2019, 5:21 PM IST

काशीपुरः शहर की ऐतिहासिक धरोहर द्रोणासागर और गोविषाण टीले का जल्द कायाकल्प होगा. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसका बड़े स्तर पर सौंदर्यीकरण होगा. जिले के डीएम डॉ. नीरज खैरवाल ने द्रोणासागर और गोविषाण टीले का सौंदर्यीकरण कर पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा था. यहां 13 डिस्ट्रिक्ट, 13 डेस्टिनेशन स्कीम के तहत सौंदर्यीकरण होगा.

जिसके तहत आज रुद्रपुर से पहुंचे संयुक्त मजिस्ट्रेट विशाल मिश्र की अगुवाई में टीम ने द्रोणासागर का सर्वे किया. यहां टीम ने तीर्थ द्रोणासागर उत्थान समिति के पदाधिकारियों से सौंदर्यीकरण को लेकर जानकारी ली. पदाधिकारियों ने द्रोणासागर ताल में पानी भरने और निकासी की व्यवस्था कराने को भी कहा.

पदाधिकारियों ने कहा कि समिति के पास आय का कोई स्रोत नहीं है. परिसर में सोलर लाइट की व्यवस्था की जाए. कुछ समय पहले नगर निगम से बिजली की व्यवस्था करने को कहा गया था, लेकिन परिसर में बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई. अब टीम अपनी सर्वे रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी.

दरअसल, नगर के ऐतिहासिक और पौराणिक पुरातत्व महत्व को अपने आप में समेटे गोविषाण टीले का कायाकल्प होने जा रहा है. इसके लिए देश की पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल को पीपीपी मोड के तहत गोविषाण टीले को सौंपा जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः चारधाम श्राइन बोर्ड को कैबिनेट में मिली मंजूरी, मुख्यमंत्री होंगे बोर्ड के अध्यक्ष

काशीपुर में द्रोणासागर के नजदीक स्थित गोविषाण टीले का अपना महत्व है. अब इस पुरातात्विक क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से इसमें तमाम सौन्दर्यीकरण की योजना है. इंडियन ऑयल ने पुरातत्व विभाग को एक प्रस्ताव सौंपा है. इस प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्व विभाग से मंजूरी मिलते ही इस पर कार्य प्रारंभ हो जायेगा.

प्रस्ताव में गोविषाण टीले के पुरातात्विक स्वरूप से छेड़छाड़ किये बिना इसको विकसित किया जायेगा, ताकि यहां पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके. पार्क और इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाते हुए ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी. साथ ही इस गोविषाण टीले पर असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोकने के लिए भी एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है.

यहां तैनात पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों को सुरक्षा मुहैया न होने की वजह से असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं हो पाती. ऐतिहासिक महत्व के इस स्थल पर नशेड़ियों का जमघट लगा रहता है. तमाम तरह की घनी झाड़ियों की वजह से यह स्थल ऐसे अराजक तत्वों के लिए स्वर्ग है.

किले के समीप स्थित पेड़ों पर लोगों ने खुरच कर अपने नाम लिख दिये हैं. जिससे उन पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है. यही नहीं अनेक युवक युवतियों ने गोविषाण टीले को शहर का लवर प्वाइंट बना लिया है और यही युगल यहां पेड़ों पर प्रेम के प्रतीक के रूप में अपने नाम के अक्षर लिख देते हैं.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बर्फबारी ने पकड़ी रफ्तार, कई इलाकों में बारिश की भी संभावना

उधर, राज्य सरकार की 13 डिस्ट्रिक 13 डेस्टिनेशन के अंतर्गत द्रोणासागर , गोविषाण टीले व हरिपुर बौर जलाशय को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिये जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल की अध्यक्षता में एक बैठक जिला अधिकारी कैम्प कार्यालय में हुई.

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा जो भी कार्य करें उसके लिये ऊंची सोच रखें, ताकि भविष्य में लोग उस कार्य की प्रंशसा करें. द्रोणासागर व गोविषाण टीले का इतिहास सदियों पुराना है.

इस धरोहर को संजोकर रखना व इसे विकसित करना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा इसको अमली जामा पहनाने के लिये अधिकारियों को जो दायित्व दिये हैं उसे एक मिशन के रूप में लें, ताकि आने वाले समय में इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक पर्यटक आकर इन्हें देख सकें.

काशीपुरः शहर की ऐतिहासिक धरोहर द्रोणासागर और गोविषाण टीले का जल्द कायाकल्प होगा. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसका बड़े स्तर पर सौंदर्यीकरण होगा. जिले के डीएम डॉ. नीरज खैरवाल ने द्रोणासागर और गोविषाण टीले का सौंदर्यीकरण कर पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा था. यहां 13 डिस्ट्रिक्ट, 13 डेस्टिनेशन स्कीम के तहत सौंदर्यीकरण होगा.

जिसके तहत आज रुद्रपुर से पहुंचे संयुक्त मजिस्ट्रेट विशाल मिश्र की अगुवाई में टीम ने द्रोणासागर का सर्वे किया. यहां टीम ने तीर्थ द्रोणासागर उत्थान समिति के पदाधिकारियों से सौंदर्यीकरण को लेकर जानकारी ली. पदाधिकारियों ने द्रोणासागर ताल में पानी भरने और निकासी की व्यवस्था कराने को भी कहा.

पदाधिकारियों ने कहा कि समिति के पास आय का कोई स्रोत नहीं है. परिसर में सोलर लाइट की व्यवस्था की जाए. कुछ समय पहले नगर निगम से बिजली की व्यवस्था करने को कहा गया था, लेकिन परिसर में बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई. अब टीम अपनी सर्वे रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी.

दरअसल, नगर के ऐतिहासिक और पौराणिक पुरातत्व महत्व को अपने आप में समेटे गोविषाण टीले का कायाकल्प होने जा रहा है. इसके लिए देश की पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल को पीपीपी मोड के तहत गोविषाण टीले को सौंपा जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः चारधाम श्राइन बोर्ड को कैबिनेट में मिली मंजूरी, मुख्यमंत्री होंगे बोर्ड के अध्यक्ष

काशीपुर में द्रोणासागर के नजदीक स्थित गोविषाण टीले का अपना महत्व है. अब इस पुरातात्विक क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से इसमें तमाम सौन्दर्यीकरण की योजना है. इंडियन ऑयल ने पुरातत्व विभाग को एक प्रस्ताव सौंपा है. इस प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्व विभाग से मंजूरी मिलते ही इस पर कार्य प्रारंभ हो जायेगा.

प्रस्ताव में गोविषाण टीले के पुरातात्विक स्वरूप से छेड़छाड़ किये बिना इसको विकसित किया जायेगा, ताकि यहां पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके. पार्क और इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाते हुए ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी. साथ ही इस गोविषाण टीले पर असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोकने के लिए भी एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है.

यहां तैनात पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों को सुरक्षा मुहैया न होने की वजह से असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं हो पाती. ऐतिहासिक महत्व के इस स्थल पर नशेड़ियों का जमघट लगा रहता है. तमाम तरह की घनी झाड़ियों की वजह से यह स्थल ऐसे अराजक तत्वों के लिए स्वर्ग है.

किले के समीप स्थित पेड़ों पर लोगों ने खुरच कर अपने नाम लिख दिये हैं. जिससे उन पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है. यही नहीं अनेक युवक युवतियों ने गोविषाण टीले को शहर का लवर प्वाइंट बना लिया है और यही युगल यहां पेड़ों पर प्रेम के प्रतीक के रूप में अपने नाम के अक्षर लिख देते हैं.

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उधर, राज्य सरकार की 13 डिस्ट्रिक 13 डेस्टिनेशन के अंतर्गत द्रोणासागर , गोविषाण टीले व हरिपुर बौर जलाशय को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिये जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल की अध्यक्षता में एक बैठक जिला अधिकारी कैम्प कार्यालय में हुई.

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा जो भी कार्य करें उसके लिये ऊंची सोच रखें, ताकि भविष्य में लोग उस कार्य की प्रंशसा करें. द्रोणासागर व गोविषाण टीले का इतिहास सदियों पुराना है.

इस धरोहर को संजोकर रखना व इसे विकसित करना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा इसको अमली जामा पहनाने के लिये अधिकारियों को जो दायित्व दिये हैं उसे एक मिशन के रूप में लें, ताकि आने वाले समय में इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक पर्यटक आकर इन्हें देख सकें.

Intro:

Summary- काशीपुर में आज 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन स्कीम के तहत पहुंची टीम ने द्रोणासागर में सौंदर्यीकरण के लिए सर्वे किया। इस दौरान टीम ने समिति पदाधिकारियों से भी द्रोणासागर जानकारी ली।

एंकर- काशीपुर में आज 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन स्कीम के तहत पहुंची टीम ने द्रोणासागर में सौंदर्यीकरण के लिए सर्वे किया। इस दौरान टीम ने समिति पदाधिकारियों से भी द्रोणासागर जानकारी ली।
Body:वीओ- ऊधम सिंह नगर ज़िले के डीएम डॉ.नीरज खैरवाल ने द्रोणासागर और गोवीषाण टीले का सौंदर्यीकरण कर पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा था। जिसके तहत आज रुद्रपुर से पहुंचे संयुक्त मजिस्ट्रेट विशाल मिश्र की अगुवाई में टीम ने द्रोणासागर का सर्वे किया। यहां टीम ने तीर्थ द्रोणासागर उत्थान समिति के पदाधिकारियों से सौंदर्यीकरण को लेकर जानकारी ली। पदाधिकारियों ने द्रोणासागर ताल में पानी भरने और निकासी की व्यवस्था कराने को भी कहा। पदाधिकारियों ने कहा कि समिति के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिए परिसर में सोलर लाइट की व्यवस्था की जाए। कुछ समय पहले नगर निगम से बिजली की व्यवस्था करने को कहा गया था, लेकिन परिसर में बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई। अब टीम अपनी सर्वे रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी।
वीओ- दरअसल नगर के ऐतिहासिक और पौराणिक पुरातत्व महत्व को अपने आप में समेटे गोविषाण टीले का कायाकल्प होने जा रहा है। इसके लिए देश की पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनी इंडियन आयल को पीपीपी मोड के तहत गोविषाण टीले को सौंपा जा रहा है। काशीपुर में द्रोणासागर के नजदीक स्थित गोविषाण टीले का अपना महत्व है। अब इस पुरातात्विक क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से इसमें तमाम सौन्दर्यीकरण की योजना है। इंडियन आयल ने पुरातत्व विभाग को एक प्रस्ताव सौंपा है। इस प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्व विभाग से मंजूरी मिलते ही इस पर कार्य प्रारंभ हो जायेगा। प्रस्ताव में गोविषाण टीले के पुरातात्विक स्वरूप से छेड़छाड़ किये बिना इसको विकसित किया जायेगा। ताकि यहाँ पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। पार्क और इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाते हुए ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल के बारे में लोगों को जानकारी दी जायेगी।साथ ही इस गोविषाण टीले पर असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोकने के लिए भी एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है। यहां तैनात पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों को सुरक्षा मुहैया न होने की वजह से असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं हो पाती। ऐतिहासिक महत्व के इस स्थल पर नशेड़ीयो का जमघट लगा रहता है। तमाम तरह की घनी झाड़ियों की वजह से यह स्थल ऐसे अराजक तत्वों के लिए स्वर्ग है। किले के समीप स्थित पेड़ों पर लोगों ने खुरच कर अपने नाम लिख दिये हैं। जिससे उन पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है। यही नहीं अनेक युवक युवतियों ने गोविषाण टीले को शहर का लवर पाइंट बना लिया है। और यही युगल यहाँ पेड़ों पर प्रेम के प्रतीक के रूप में अपने नाम के अक्षर लिख देते हैं।
वीओ- उधर राज्य सरकार की 13 डिस्ट्रिक 13 डेस्टिनेशन के अन्तर्गत द्रोणासागर , गोविषाण टीले व हरिपुर बौर जलाशय को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिये जिलाधिकारी डा0 नीरज खैरवाल की अध्यक्षता में एक बैठक जिला अधिकारी कैम्प कार्यालय में आयोजित की गई। उन्होने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा जो भी कार्य करें उसके लिये ऊंची सोच रखें ताकि भविष्य में लोग उस कार्य की प्रंशसा करें। द्रोण सागर व गोविषाण टीले का इतिहास सदियों पुराना है। इस धरोहर को संजोकर रखना व इसे विकसित करना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। उन्होने कहा इसको अमली जामा पहनाने के लिये अधिकारियों को जो दायित्व दिये है उसे एक मिशन के रूप में लें ताकि आने वाले समय में इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक पर्यटक आकर इन्हें देख सकें। जिलाधिकारी द्वारा आज द्रोण सागर व गोविषाण टीले की विस्तृत सर्वे कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु संयुक्त मजिस्ट्रेट विशाल मिश्र की देख-रेख में एक टीम को काशीपुर भेजा उन्होने कहा यह टीम संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।Conclusion:
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