काशीपुरः गन्ना अनुसंधान केंद्र की बिल्डिंग को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) ने अपने भवन तैयार होने के बावजूद हैंडओवर नहीं किया है. जिससे गन्ने से संबंधित शोध कार्य प्रभावित हो रहे हैं. इतना ही नहीं नई प्रजाति के कीट आदि की जांच के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय की लैब का सहारा लेना पड़ रहा है. उधर, आईआईएम के गन्ना अनुसंधान केंद्र की बिल्डिंग पर काबिज होने के चलते गन्ना केंद्र में बने लैब के उपकरण कई साल से धूल फांक रहे हैं. वहीं, केंद्र के वैज्ञानिकों का आईआईएम के खिलाफ रोष दिखाई दे रहा है.
गौर हो कि तराई में किसान भारी स्तर पर गन्ने की खेती करते हैं. इसी को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश के समय से ही काशीपुर में गन्ना अनुसंधान केंद्र स्थापित है. जहां पर गन्ने की नई प्रजातियों की खोज कीट और बीमारियों पर अंकुश लगाने को लेकर शोध किया जाता है. अनुसंधान केंद्र में प्रशासनिक भवन भी बनाया गया. जिसमें विज्ञान लैब, गन्ना रोग, कीट विज्ञान लैब, गन्ना प्रजनन अनुभाग लैब स्थापित की गई.
उधर, काशीपुर में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) की स्वीकृति मिली, लेकिन उनके पास भवन नहीं थे. ऐसे में गन्ना अनुसंधान केंद्र के प्रशासनिक भवन और गन्ना आयुक्त के भवन को छात्रावास और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में इस संस्थान को शुरू किया गया. साल 2010 में मौखिक रूप से प्रशासनिक भवन आईआईएम को दिया गया और लैब के उपकरण फार्म हाउस में ही रख दिए गए.
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बीते जनवरी 2013 में तीन साल के लिए लिखित में दिया गया कि आईआईएम का जब तक कुंडेश्वरी के एस्कॉर्ट फॉर में निर्माण शुरू नहीं होता है, तब तक वो इस भवन में अस्थाई तौर पर आईआईएम का संचालन करेंगे. बीते दो साल पहले कुंडेश्वरी के एस्कॉर्ट में आईआईएम बनकर तैयार हो चुका है. कक्षाएं भी संचालित की जा रही हैं. गन्ना अनुसंधान केंद्र के प्रशासनिक भवन से आईआईएम ने अपना सारा सामान ले लिया है, लेकिन भवन को गन्ना अनुसंधान केंद्र को हैंडओवर नहीं किया गया है.
वहीं, गन्ना अनुसंधान केंद्र के गन्ना वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि आईआईएम ने गन्ना अनुसंधान केंद्र के बिल्डिंग को हैंडओवर नहीं किया है. ऐसे में गन्ने से संबंधित शोध पंतनगर विश्वविद्यालय की लैब में किये जा रहे हैं. जहां पर जांच के लिए आने-जाने में समय के साथ काफी खर्च भी आता है. इससे पहले यहां पर 8 गन्ना वैज्ञानिक थे, लेकिन तीन वैज्ञानिक पंतनगर विश्वविद्यालय चले गए हैं. जिससे शोध कार्य प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि मामले को लेकर पत्राचार करने के बावजूद भी आईआईएम ने गन्ना अनुसंधान केंद्र के बिल्डिंग को हैंडओवर नहीं कर रहा है. हालांकि उन्होंने भवन को खाली तो कर दिया है, लेकिन अभी भी उसपर कब्जा किया है. जिसे लेकर केंद्र के वैज्ञानिकों में भारी रोष है.