काशीपुर: प्रतिवर्ष मां भगवती बाल सुंदरी देवी के मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक चैती मेले में लगने वाला नखासा बाजार की रौनक देखते ही बन रही है. यह बाजार मेले के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि इस मेले में एक समय पर चंबल के डाकू भी घोड़ा खरीदने आते थे. घोड़ों के इस अनूठे नखासा बाजार को करीब 150 वर्ष पूर्व बड़े व्यापारी हुसैन बख्श ने शुरू किया था. मेले में इस बार हजारों रुपये से लेकर लाखों रुपये की कीमत तक के घोड़े बिक्री के लिए पहुंचे हैं. हालांकि इस बार घोड़ा बाजार में कम संख्या में घोड़ा व्यापारी आये हैं.
चैती मेले का इतिहास: इस बाजार में एक से एक अच्छी नस्ल के घोड़े आते थे. 45 साल पहले तक कई नस्लों के घोड़े बिक्री के लिए आते थे लेकिन अब कुछ नस्लें ही बाजार में आती हैं. इनमें सिंधी, पंजाबी और काठियावाड़ी शामिल हैं. यह बाजार चैती मेले के शुरू होने के दिन से सातवें दिन मां बाल सुंदरी के मन्दिर में डोला आने तक लगता है. इस घोड़ा बाजार को लगते हुये लगभग 150 साल हो गए हैं. यह घोड़ा बाजार दादा हुसैन बख्श के द्वारा शुरू किया गया था. उनके बाद उनके परिवार की अगली पीढ़ी ने भी यह परंपरा जारी रखी. यह घोड़ा बाजार पूरे भारत में अपना विशेष महत्व रखता था. भारत के अलग अलग हिस्सों से व्यापारी आते थे. उस समय बेहतर नस्ल के घोड़े 100-150 रुपए में मिल जाते थे.
सुल्ताना डाकू भी आता था इस मेले में: काशीपुर में लगने वाले इस चैती मेले में लगने वाले नखासा बाजार की प्रसिद्धि का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उस समय का खूंखार डाकू सुल्ताना भी इसी नखासा बाजार से घोड़ा खरीदकर ले जाता था. सुल्ताना डाकू के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि उस जमाने में अधिकारियों के साथ-साथ डाकू भी घोड़े रखते थे. घोड़ों से ही आम आदमी आवागमन किया करता था. सुल्ताना डाकू की उस वक्त बहुत ही दहशत हुआ करती थी. माना जाता है कि उस समय की महिला डाकू फूलन देवी भी इस मेले में आती थी.
राजू नामक घोड़ा करता है डांस: इस मशहूर घोड़ा बाजार में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान, गुजरात, पंजाब आदि से भी घोड़े के व्यापारी आते हैं और अपने घोड़े की अच्छी खासी कीमत वसूलकर जाते हैं. खरीदारों को यहां घोड़ों को दौड़ाकर व उनके करतब देखकर सही तरीके से जांच परखकर घोड़े खरीदते हुए देखा जा सकता है. इस वर्ष घोड़ा बाजार में अरबी, मारवाड़ी, सिन्धी तथा अवलक, वल्होत्रा, नुखरा, अमृतसरी, अफगानी हर प्रजाति के घोड़े के व्यापारी आये हैं. यहां पंजाब और राजस्थान से लाए घोड़ों की काफी डिमांड होती है. इस बार घोड़ा बाजार में राजू नामक अनोखा घोड़ा पहुंचा है. ये घोड़ा नमस्ते करने के साथ-साथ डांस भी करता है. इस बार अभी तक सबसे महंगा घोड़ा 75,000 रु. में बिका है.
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लोगों को सचेत रहने की दी जा रही सलाह: वहीं इस बार काशीपुर में 22 मार्च से शुरू हुआ चैती मेला धीरे-धीरे अब अपनी गति पकड़ने लगा है. चैती मेले में हर वर्ष की तरह इस बार भी घोड़ा बाजार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. लेकिन इस बार उतनी रौनक नहीं दिखाई दे रही है. इस बार कम संख्या में घोड़ा व्यापारी मेले में पहुंचे हैं. मेले में लगने वाले नखासा बाजार को लेकर उप जिलाधिकारी काशीपुर अभय प्रताप सिंह ने बताया कि नखासा बाजार में पुलिस के द्वारा लगातार जहरखुरानी गिरोह के सदस्यों पर नजर रखी जा रही है. ताकि घोड़ा बाजार में आने वाले ग्राहकों के साथ किसी भी तरह की जहरखुरानी आदि की घटना न हो. उन्होंने नखासा बाजार में आने वाले ग्राहकों से अपील की है कि वह किसी अनजान व्यक्ति के हाथों से दिये हुए किसी भी तरह के प्रसाद आदि का सेवन न करें.