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1962 के भारत-चीन युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले जोत सिंह नेगी का निधन, लोगों ने दी श्रद्धांजलि

द्वितीय विश्व युद्ध के हीरो जोत सिंह नेगी का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया है.

जोत सिंह नेगी का निधन
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Published : Apr 18, 2019, 8:30 PM IST

रुद्रप्रयागः द्वितीय विश्व युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले जोत सिंह नेगी का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. अलकनंदा नदी किनारे पैतृक घाट पर उनकी अंत्येष्टि में तल्लानागपुर सहित कई गांवों के लोग मौजूद थे. वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, जनता एवं विभिन्न संगठनों ने उनकी मौत पर शोक जताया है.

जिले के मदोला गांव में 24 फरवरी 1924 को जन्मे जोत सिंह नेगी की बचपन से ही देश सेवा में जाने की इच्छा थी. नेगी वर्ष 1944 में भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए. इसके बाद उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने का मौका मिला और फिर 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई.

वर्ष 1964 में सेना से हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे गांव में होने वाले ग्रामीणों के निजी व सामूहिक कार्यों में सक्रिय रहते थे. पूर्व सेनानी नेगी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और अपने बड़े पुत्र विक्रम सिंह नेगी के साथ श्रीनगर में रह रहे थे.

यह भी पढ़ेंः मेहंदी संग चढ़ा लोकतंत्र का रंग, लाल जोड़े में वोट डालने पहुंची दुल्हन

देर रात्रि दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. पैतृक घाट पर उनकी अंत्येष्टि की गई.

रुद्रप्रयागः द्वितीय विश्व युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले जोत सिंह नेगी का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. अलकनंदा नदी किनारे पैतृक घाट पर उनकी अंत्येष्टि में तल्लानागपुर सहित कई गांवों के लोग मौजूद थे. वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, जनता एवं विभिन्न संगठनों ने उनकी मौत पर शोक जताया है.

जिले के मदोला गांव में 24 फरवरी 1924 को जन्मे जोत सिंह नेगी की बचपन से ही देश सेवा में जाने की इच्छा थी. नेगी वर्ष 1944 में भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए. इसके बाद उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने का मौका मिला और फिर 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई.

वर्ष 1964 में सेना से हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे गांव में होने वाले ग्रामीणों के निजी व सामूहिक कार्यों में सक्रिय रहते थे. पूर्व सेनानी नेगी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और अपने बड़े पुत्र विक्रम सिंह नेगी के साथ श्रीनगर में रह रहे थे.

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देर रात्रि दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. पैतृक घाट पर उनकी अंत्येष्टि की गई.



नहीं रहे द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिक नेगी 
क्षेत्रीय जनता ने दी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 
रुद्रप्रयाग। द्वितीय विश्व युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले जोत सिंह नेगी का 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। अलकनंदा नदी किनारे पैतृक घाट पर उनकी अंत्येष्टि में तल्लानागपुर के कई गांवों के लोग मौजूद थे। वे, अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, जनता एवं विभिन्न संगठनों ने उनकी मौत पर शोक जताया है और भगवान से मृत्यु आत्मा की शांति की प्रार्थना की। 
जिले के मदोला गांव में 24 फरवरी 1924 को जन्मे जोत सिंह नेगी की बचपन से ही देश सेवा में जाने की इच्छा थी। श्री नेगी वर्ष 1944 में भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए। इसके बाद उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने का मौका मिला और फिर 1962 के भारत चीन युद्ध में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1964 में सेना से हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वे गांव में होने वाले ग्रामीणों के निजी व सामूहिक कार्यों में सक्रिय रहते थे। पूर्व सेनानी नेगी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ्य चल रहे थेे और अपने बड़े पुत्र विक्रम सिंह नेगी के साथ श्रीनगर में रह रहे थे। बुधवार देर रात्रि दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बृहस्पतिवार को ग्रामीणों की मदद से परिजन उनका शव पैतृक घाट पर लाए, जहां गमगीन माहौल में उनकी अंत्येष्टि की गई। 
फोटो: स्वर्गीय जोत सिंह नेगी 

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