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मरने के बाद भी दुनिया देख सकेंगे हरबंस लाल सुखिजा, बेटे ने पूरी की ख्वाहिश - मरने के बाद हुआ नेत्रदान

गदरपुर में 87 वर्षीय हरबंस लाल सुखिजा के निधन के बाद अनकी आंखें दान कर दी गईं. हरबंस लाल की आखिरी इच्छा थी की मरने के बाद उनकी आंंखें किसी नेत्रहीन को दान कर दी जाएं. वहीं हरबंस के नेत्रदान करने से दो नेत्रहीनों की आंखों को रोशनी मिल सकेगी.

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हरबंस लाल सुखिजा
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Published : Feb 5, 2020, 4:56 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 11:29 PM IST

गदरपुर: कहते हैं नेत्रदान महादान होता है, लेकिन देश-दुनिया में लोग अभी भी नेत्रदान करने से हिचकते हैं. आज गदरपुर में 87 वर्षीय हरबंस लाल सुखिजा के निधन के बाद अनकी आंखें दान की गई. दान आंखों से दो नेत्रहीन लोगों की जिंदगी में रोशनी आ सकेगी.

आपको बता दें कि गदरपुर कांग्रेस के नगर अध्यक्ष विजय सुखिजा के पिता हरबंस लाल सुखिजा की आखिरी इच्छा थी कि मरने के बाद दोनों नेत्र दान कर दिया जाए. 87 वर्षीय हरबंस लाल सुखीजा की मृत्यु के बाद उनकी आखिरी इच्छा पूरी करते हुए उनके पुत्र विजय सुखीजा ने मुरादाबाद के सी.एल.गुप्ता आई बैंक के डॉक्टर दीपक कुमार को बुलाकर अपने पिता का आखिरी इच्छा पूरा करते हुए उनके नेत्रदान कर दिए.

हरबंस लाल सुखिजा

ये भी पढ़े: सैनिकों के खराब कपड़ों की आलोचना करने वाली कैग की रिपोर्ट 'थोड़ी पुरानी' है : थल सेना प्रमुख

विजय सुखिजा ने कहा कि मेरे पिता ने आख़री इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनकी आंखें दान कर दी जाए ताकि किसी नेत्रहीन की जिंदगी रोशन हो सके. जिसके चलते मुरादाबाद के सी एल गुप्ता आई बैंक के डॉक्टर को बुलाकर नेत्र दान किया गया.

डॉ. दीपक कुमार ने कहा कि गदरपुर के हरबंस लाल सुखीजा की आखिरी इच्छा थी कि उनकी आंख दान कर दी जाए, मृत्यु के बाद हरबंस लाल सुखिजा की आंख निकाल ली गई है. 72 घंटे के भीतर जिसे आंख की जरूरत होगी उसे लगा दी जाएगी.

गदरपुर: कहते हैं नेत्रदान महादान होता है, लेकिन देश-दुनिया में लोग अभी भी नेत्रदान करने से हिचकते हैं. आज गदरपुर में 87 वर्षीय हरबंस लाल सुखिजा के निधन के बाद अनकी आंखें दान की गई. दान आंखों से दो नेत्रहीन लोगों की जिंदगी में रोशनी आ सकेगी.

आपको बता दें कि गदरपुर कांग्रेस के नगर अध्यक्ष विजय सुखिजा के पिता हरबंस लाल सुखिजा की आखिरी इच्छा थी कि मरने के बाद दोनों नेत्र दान कर दिया जाए. 87 वर्षीय हरबंस लाल सुखीजा की मृत्यु के बाद उनकी आखिरी इच्छा पूरी करते हुए उनके पुत्र विजय सुखीजा ने मुरादाबाद के सी.एल.गुप्ता आई बैंक के डॉक्टर दीपक कुमार को बुलाकर अपने पिता का आखिरी इच्छा पूरा करते हुए उनके नेत्रदान कर दिए.

हरबंस लाल सुखिजा

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विजय सुखिजा ने कहा कि मेरे पिता ने आख़री इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनकी आंखें दान कर दी जाए ताकि किसी नेत्रहीन की जिंदगी रोशन हो सके. जिसके चलते मुरादाबाद के सी एल गुप्ता आई बैंक के डॉक्टर को बुलाकर नेत्र दान किया गया.

डॉ. दीपक कुमार ने कहा कि गदरपुर के हरबंस लाल सुखीजा की आखिरी इच्छा थी कि उनकी आंख दान कर दी जाए, मृत्यु के बाद हरबंस लाल सुखिजा की आंख निकाल ली गई है. 72 घंटे के भीतर जिसे आंख की जरूरत होगी उसे लगा दी जाएगी.

Intro:summry - गदरपुर के हरबंस लाल सुखिजा की आँखे दान हुआ
एंकर - देशभर में कई दान दिए जाते हैं लेकिन नेत्रदान महादान होता है इसी कड़ी में गदरपुर के 87 उम्र के हरबंस लाल सुखिजा ने अपना नेत्रदान कर दो लोगो को रोशनी देके शाहीनसीलता का परिचय दिया जिसका हर तरफ तारीफ हो रही है इस मौके पर मिर्तक हरबंस लाल सुखिजा के परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहेBody:आपको बताते चले कि गदरपुर कांग्रेस के नगर अध्यक्ष विजय सुखिजा का पिता हरबंस लाल सुखिजा मरने से पहले अपनी आखिरी इच्छा रखी थी कि मेरे मरने के बाद मेरा दोनो नेत्र दान कर देना ताकि दो अंधे लोगो को रोशनी मिल सके जिसके चलते 87 वर्षीय बुजुर्ग हरबंस लाल सुखीजा के मृत्यु के बाद उनकी आखिरी इच्छा पूरी करते हुए उनके पुत्र गदरपुर कांग्रेस के अध्यक्ष विजय सुखीजा ने मुरादाबाद के सी.एल.गुप्ता आई बैक के डॉक्टर दीपक कुमार को बुलाकर अपने पिता का आखिरी इच्छा पूरा करते हुए उनका नेत्रदान कर दिया । हरबंस लाल सुखिजा मरने के बाद भी दुसरो को रोशनी दे गए इस मौके पर मृतक हरबंस लाल सुखिजा के पुत्र विजय सुखिजा एवं उनके परिवार के सभी सदस्य व नगर के गण माननीय लोग मौजूद रहे
इस दौरान कांग्रेस के नगर अध्यक्ष विजय सुखिजा ने कहा कि मेरे पिता ने आख़री इच्छा रखी थी कि मेरे मृत्यु के बाद मेरी नेत्र दान कर दे जिसके चलते मेने मुरादाबाद के सी एल गुप्ता आई बैक के डॉक्टर को बुलाकर मेरे पिता का नेत्र दान कर दिए है
तो वही डॉ दीपक कुमार ने कहा कि फोन आया था कि गदरपुर के अनाज मंडी में हरबंस लाल सुखीजा जी का मृत्यु हुई है और उनके आखिरी छात्र की आंख दान करना जिसके चलते हम हमारे टीम के साथ आए हैं और कहा कि मृत्यु के बाद 6 या 8 घंटे के अंदर आंख निकालना होता है और 72 घंटे के भीतर किसी और को आंख लगा सकते हैंConclusion:वाइट - विजय सुखीजा मृतक के बेटे एवं कांग्रेस के नगर अध्यक्ष

वाइट - डॉक्टर दीपक कुमार
Last Updated : Feb 5, 2020, 11:29 PM IST
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