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God Dressed in Warm Clothes: उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड, भगवान को भी लगी ठंड...पहनाया गया स्वेटर - खटीमा लेटेस्ट न्यूज

क्या भगवान को भी सर्दी या गर्मी लग सकती है? अगर इसका जवाब चाहिए तो आपको उधमसिंह नगर जिले के खटीमा में स्थित हनुमान मंदिर में आना पड़ेगा. यहां भगवान की मूर्तियों और विग्रहों को भी ठंडी और शीत लहर से बचाने के लिए भक्तों ने गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दिया है.

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Published : Jan 26, 2023, 4:22 PM IST

खटीमा: उत्तराखंड में लगातार मौसम का मिजाज बदल रहा है. बारिश और बर्फबारी के कारण ठंड अपने चरम पर पहुंच गई है. सर्दी के सितम के कारण लोगों से घरों से बाहर नहीं निकल रहे है. वहीं, ऐसी ठंड में भक्त भी अपने भगवान का ध्यान रख रहे हैं और मंदिरों में भगवान को गर्म कपड़े पहना रहे हैं. ताकि भगवान को भी सर्दी न लगे. ऐसे ही नजारा खटीमा के एक मंदिर में देखने को मिला है.

अपने आराध्य के प्रति भक्तों की भावनाएं बदलते मौसम के हिसाब से अपने आप उजागर होती है. इन्हीं भावनाओं के चलते भक्त अपने भगवान को परिवार के सदस्य के तौर पर सहेजते हैं. यही कारण है कि मंदिरों भक्तों ने भगवान की मूर्तियों को ऊनी वस्त्र पहना दिये हैं और कहीं-कहीं तो हिटर भी भगवान की मूर्तियों के आगे जलाकर रख दिये हैं, ताकि मंदिरों में भगवान को ठंड न लग सके.

पढ़ें- Badrinath Yatra 2023: 27 अप्रैल को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

वहीं, खटीमा के हनुमान मंदिर के पुजारी मनीष भट्ट ने बताया कि ठंड की शुरुआत होते ही मंदिर में भगवान की मूर्तियों को ऊनी वस्त्र पहनाये जाते है,. क्योंकि भगवान की मूर्ति को जब मंदिर में स्थापित किया जाता है तो मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. मान्यता है कि जिस दिन मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, उस दिन से मूर्ति में भी प्राण आ गये हैं. मूर्ति को भी आम इंसान की तरह भूख-प्यास और सर्दी-गर्मी लगेगी. इसलिये मंदिरों और घरों में भगवान की मूर्ति को सुबह और शाम भोग लगाया जाता है. इसके अलावा दोपहर और रात को मंदिर के गर्भगृह जहां मूर्ति रखी जाती दरवाजा बंद कर भगवान को आराम कराया जाता है.

मनीष भट्ट ने बताया कि सर्दी शुरू होते ही भगवान को गर्म कपड़े पहनाए जाते हैं. भारतीय उपासना पद्धति में जब भक्त अपने भगवान की उपासना या पूजा करता हैं तो वह उन्हें स्वयं की तरह मानता है. इसलिए उसे भोग लगाता है और मौसम के अनुसार भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाता है और भगवान की मूर्ति को रात्रि में मंदिर के कपाट बंद कर सुलाया भी जाता है. भक्त द्वारा भगवान की मूर्ति के साथ इंसान की तरह व्यवहार किया जाता है.

खटीमा: उत्तराखंड में लगातार मौसम का मिजाज बदल रहा है. बारिश और बर्फबारी के कारण ठंड अपने चरम पर पहुंच गई है. सर्दी के सितम के कारण लोगों से घरों से बाहर नहीं निकल रहे है. वहीं, ऐसी ठंड में भक्त भी अपने भगवान का ध्यान रख रहे हैं और मंदिरों में भगवान को गर्म कपड़े पहना रहे हैं. ताकि भगवान को भी सर्दी न लगे. ऐसे ही नजारा खटीमा के एक मंदिर में देखने को मिला है.

अपने आराध्य के प्रति भक्तों की भावनाएं बदलते मौसम के हिसाब से अपने आप उजागर होती है. इन्हीं भावनाओं के चलते भक्त अपने भगवान को परिवार के सदस्य के तौर पर सहेजते हैं. यही कारण है कि मंदिरों भक्तों ने भगवान की मूर्तियों को ऊनी वस्त्र पहना दिये हैं और कहीं-कहीं तो हिटर भी भगवान की मूर्तियों के आगे जलाकर रख दिये हैं, ताकि मंदिरों में भगवान को ठंड न लग सके.

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वहीं, खटीमा के हनुमान मंदिर के पुजारी मनीष भट्ट ने बताया कि ठंड की शुरुआत होते ही मंदिर में भगवान की मूर्तियों को ऊनी वस्त्र पहनाये जाते है,. क्योंकि भगवान की मूर्ति को जब मंदिर में स्थापित किया जाता है तो मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. मान्यता है कि जिस दिन मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, उस दिन से मूर्ति में भी प्राण आ गये हैं. मूर्ति को भी आम इंसान की तरह भूख-प्यास और सर्दी-गर्मी लगेगी. इसलिये मंदिरों और घरों में भगवान की मूर्ति को सुबह और शाम भोग लगाया जाता है. इसके अलावा दोपहर और रात को मंदिर के गर्भगृह जहां मूर्ति रखी जाती दरवाजा बंद कर भगवान को आराम कराया जाता है.

मनीष भट्ट ने बताया कि सर्दी शुरू होते ही भगवान को गर्म कपड़े पहनाए जाते हैं. भारतीय उपासना पद्धति में जब भक्त अपने भगवान की उपासना या पूजा करता हैं तो वह उन्हें स्वयं की तरह मानता है. इसलिए उसे भोग लगाता है और मौसम के अनुसार भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाता है और भगवान की मूर्ति को रात्रि में मंदिर के कपाट बंद कर सुलाया भी जाता है. भक्त द्वारा भगवान की मूर्ति के साथ इंसान की तरह व्यवहार किया जाता है.

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