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जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति ने रखा 6 माह का ब्यौरा, गिनाईं विवि की उपलब्धियां

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति मनमोहन सिंह चौहान मीडिया से मुखातिब हुए और 6 माह का लेखा जोखा रखा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अपनी-अपनी भूमिका बखूबी से निभा रहे हैं. कई नए विषयों पर वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि विवि ने एनडीआरआई करनाल के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर क्लोन के जरिए विकसित गाय की बछिया पैदा कराई है. इसके अलावा जखराना बकरी की नस्ल की जानकारी भी दी.

GB Pant University of Agriculture and Technology
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Published : Apr 6, 2023, 10:16 AM IST

रुद्रपुरः गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति मनमोहन चौहान ने 6 माह की उपलब्धियों को गिनाया है. उन्होंने कहा कि सालों से लंबित चल रहे मामलों को निपटाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसमें पदोन्नति, शोध एवं प्रसार सलाहकार समिति की बैठक, 2503 विद्यार्थियों को डिग्री वितरण का कार्य किया जा चुका है. इसके अलावा विश्वविद्यालय के कई प्रोजेक्ट गतिमान हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अन्य विषयों पर काम कर देश को एक अलग गति प्रदान करेंगे.

दरअसल, पिछले 6 माह का लेखा जोखा लेकर जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति मनमोहन चौहान मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने 6 महीने में किए गए कार्यों का बखान किया. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के फैकल्टी मेंबर का बीते 2 सालों से एक्रीडेशन का कार्य और 5 सालों से संकाय सदस्यों की पदोन्नति लंबित थी. जिसे पूरा कराकर 109 संकाय सदस्यों की पदोन्नति की गई है. साथ ही बताया कि 6 से 7 सालों से शोध एवं प्रसार सलाहकार समितियों की बैठक नहीं हुई थी, जिसे संपन्न कराया जा चुका है. ताकि शोध एवं प्रसार कार्यों में गति लाई जा सके.
ये भी पढ़ेंः GB Pant Agriculture University में कीट वैज्ञानिक का हंगामा, कार्यालय छोड़ भागे अधिकारी, जानिए मामला

उन्होंने बताया कि बीती 16 फरवरी को 34वें दीक्षांत समारोह का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. जिसमें 2503 छात्रों को उपाधि प्रदान की गई. कोरोना के चलते बीते दो सालों से छात्रों को डिग्रियां प्रदान नहीं की गई थी. उन्होंने बताया कि जीबी पंत और एनडीआरआई करनाल के वैज्ञानिकों ने 3 सालों के प्रयासों से क्लोन के जरिए विकसित गाय की बछिया पैदा कराई है. जिसका नाम 'गंगा' रखा गया. उन्होंने जखराना बकरी की नस्ल को बढ़ावा देने पर बल दिया और कहा इस नस्ल की बकरी को सीमांत किसानों तक पहुंचाने की आवश्यकता है, इसके लिए केवीके सेंटर काम कर रहा है.
ये भी पढ़ेंः गणेश जोशी के सामने कीट वैज्ञानिक का हंगामा, पुलिस ने उठाकर थाने में बैठाया

वैज्ञानिकों के सहयोग से शैक्षणिक डेयरी फार्म नगला की गायों के खान-पान में बदलाव करके बीते सालों की तुलना में इस साल दूध उत्पादन में बढ़ोत्तरी की गई है. विवि की ओर से अब तक विभिन्न फसलों की 331 उन्नतशील प्रजातियां विकसित की गई हैं. उन्होंने 'अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज 2023' के बारे में भारत सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त किए 52 हजार से ज्यादा छात्रा देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी विवि का नाम रोशन कर रहे हैं.

रुद्रपुरः गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति मनमोहन चौहान ने 6 माह की उपलब्धियों को गिनाया है. उन्होंने कहा कि सालों से लंबित चल रहे मामलों को निपटाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसमें पदोन्नति, शोध एवं प्रसार सलाहकार समिति की बैठक, 2503 विद्यार्थियों को डिग्री वितरण का कार्य किया जा चुका है. इसके अलावा विश्वविद्यालय के कई प्रोजेक्ट गतिमान हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अन्य विषयों पर काम कर देश को एक अलग गति प्रदान करेंगे.

दरअसल, पिछले 6 माह का लेखा जोखा लेकर जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति मनमोहन चौहान मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने 6 महीने में किए गए कार्यों का बखान किया. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के फैकल्टी मेंबर का बीते 2 सालों से एक्रीडेशन का कार्य और 5 सालों से संकाय सदस्यों की पदोन्नति लंबित थी. जिसे पूरा कराकर 109 संकाय सदस्यों की पदोन्नति की गई है. साथ ही बताया कि 6 से 7 सालों से शोध एवं प्रसार सलाहकार समितियों की बैठक नहीं हुई थी, जिसे संपन्न कराया जा चुका है. ताकि शोध एवं प्रसार कार्यों में गति लाई जा सके.
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उन्होंने बताया कि बीती 16 फरवरी को 34वें दीक्षांत समारोह का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. जिसमें 2503 छात्रों को उपाधि प्रदान की गई. कोरोना के चलते बीते दो सालों से छात्रों को डिग्रियां प्रदान नहीं की गई थी. उन्होंने बताया कि जीबी पंत और एनडीआरआई करनाल के वैज्ञानिकों ने 3 सालों के प्रयासों से क्लोन के जरिए विकसित गाय की बछिया पैदा कराई है. जिसका नाम 'गंगा' रखा गया. उन्होंने जखराना बकरी की नस्ल को बढ़ावा देने पर बल दिया और कहा इस नस्ल की बकरी को सीमांत किसानों तक पहुंचाने की आवश्यकता है, इसके लिए केवीके सेंटर काम कर रहा है.
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वैज्ञानिकों के सहयोग से शैक्षणिक डेयरी फार्म नगला की गायों के खान-पान में बदलाव करके बीते सालों की तुलना में इस साल दूध उत्पादन में बढ़ोत्तरी की गई है. विवि की ओर से अब तक विभिन्न फसलों की 331 उन्नतशील प्रजातियां विकसित की गई हैं. उन्होंने 'अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज 2023' के बारे में भारत सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त किए 52 हजार से ज्यादा छात्रा देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी विवि का नाम रोशन कर रहे हैं.

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