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फिर चर्चा में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, शिक्षा ऋण के नाम पर गुमराह करने का आरोप - काशीपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक

शिक्षा ऋण लेने वाले जेएस नरूला का आरोप है कि बैंक लोन के नाम पर उनसे ज्यादा रकम वसूलना चाहता है. लेकिन जब उन्होंने लोन से संंबंधित जरूरी दस्तावेज बैंक से मांगे तो उन्होंने देने से इंकार कर दिया.

अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक
अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक
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Published : Mar 3, 2021, 2:26 PM IST

काशीपुर: शिक्षा ऋण से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर काशीपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के सामने एक परिवार धरने पर बैठ गया. धरने पर बैठे व्यक्ति की मांग है कि वे एक महीने से ऋण एग्रीमेंट संबधित दस्तावेज मांग रहे हैं. लेकिन बैंक उन्हें उपलब्ध नहीं कर रहा है. जिस वजह से उन्हें ये रास्ता अपनाना पड़ा.

पढ़ें- नशे के इंजेक्शनों के साथ एडीटीएफ के हत्थे चढ़ा शख्स, मुकदमा दर्ज कर भेजा जेल

जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद रोड निवासी जेएस नरूला ने अपने पुत्र रौनक नरूला के लिये वर्ष 2012 में 19 लाख रुपये का शिक्षा ऋण लिया था. बैंक ने ऋण की किश्त 29,845 रुपये प्रतिमाह बांधकर 84 किश्तों में ऋण की रकम चुकाने को कहा था. बाद में बैंक ने मानवीय त्रुटि बताते हुए किश्त की प्रतिमाह रकम 53,715 रुपये बताई.

बैंक के मुताबिक ऋणी का जो स्वीकृति पत्र दिया गया था, उसमें भूलवश किश्त की रकम कम दर्शा दी गई. बैंक की ओर से किश्त की रकम बढ़ाने पर रौनक नरूला के पिता जेएस नरूला उच्च न्यायालय चले गए. न्यायालय ने डीआरटी में मामला ले जाने को कहा. इसके लिए उन्हें छह सप्ताह का समय दिया गया.

जेएस नरूला अब शिक्षा ऋण संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर काशीपुर अर्बन को-आपरेटिव बैंक के बाजपुर रोड स्थित प्रधान कार्यालय परिसर में धरने पर बैठ गये हैं. इस संबंध में अर्बन को-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष चौधरी प्रताप सिंह ने कहा कि बैंक ने नियम विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया है.

काशीपुर: शिक्षा ऋण से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर काशीपुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के सामने एक परिवार धरने पर बैठ गया. धरने पर बैठे व्यक्ति की मांग है कि वे एक महीने से ऋण एग्रीमेंट संबधित दस्तावेज मांग रहे हैं. लेकिन बैंक उन्हें उपलब्ध नहीं कर रहा है. जिस वजह से उन्हें ये रास्ता अपनाना पड़ा.

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जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद रोड निवासी जेएस नरूला ने अपने पुत्र रौनक नरूला के लिये वर्ष 2012 में 19 लाख रुपये का शिक्षा ऋण लिया था. बैंक ने ऋण की किश्त 29,845 रुपये प्रतिमाह बांधकर 84 किश्तों में ऋण की रकम चुकाने को कहा था. बाद में बैंक ने मानवीय त्रुटि बताते हुए किश्त की प्रतिमाह रकम 53,715 रुपये बताई.

बैंक के मुताबिक ऋणी का जो स्वीकृति पत्र दिया गया था, उसमें भूलवश किश्त की रकम कम दर्शा दी गई. बैंक की ओर से किश्त की रकम बढ़ाने पर रौनक नरूला के पिता जेएस नरूला उच्च न्यायालय चले गए. न्यायालय ने डीआरटी में मामला ले जाने को कहा. इसके लिए उन्हें छह सप्ताह का समय दिया गया.

जेएस नरूला अब शिक्षा ऋण संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर काशीपुर अर्बन को-आपरेटिव बैंक के बाजपुर रोड स्थित प्रधान कार्यालय परिसर में धरने पर बैठ गये हैं. इस संबंध में अर्बन को-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष चौधरी प्रताप सिंह ने कहा कि बैंक ने नियम विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया है.

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