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काशीपुर में धूमधाम से निकली मां भगवती बाल सुंदरी की ध्वज यात्रा

काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी की नगर मंदिर से ध्वज यात्रा निकाली गई. मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से शुरू होकर यात्रा मां के चैती मंदिर पर पहुंची. यहां परंपरागत धार्मिक अनुष्ठान के बाद वापस नगर मंदिर आकर यात्रा समाप्त हुई. आगामी 2 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र से पहले यह यात्रा निकाली जाती है.

मां भगवती बाल सुंदरी की ध्वज यात्रा
मां भगवती बाल सुंदरी की ध्वज यात्रा
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Published : Mar 5, 2022, 11:16 AM IST

काशीपुर: उधमसिंह नगर में काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी ऐतिहासिक चैती मेले का आगाज हो गया है. आगामी 2 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र के लिए कुमाऊं के प्रसिद्ध चैती मेले में मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से ध्वज यात्रा निकाली गई. मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से शुरू होकर यात्रा मां के चैती मंदिर पर पहुंची और परंपरागत धार्मिक अनुष्ठान के बाद वापस नगर मंदिर आकर समाप्त हुई. इस दौरान मां के प्रतीक रूप में नारियल को लेकर सहायक प्रधान पंडा मनोज अग्निहोत्री पालकी में विराजमान थे.

बता दें कि, हर साल चैत्र नवरात्रि के प्रथम नवरात्रि से काशीपुर के मां बाल सुंदरी मंदिर में चैती मेले का आयोजन किया जाता है. जोकि पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण आयोजित नहीं हो पाया था. चैत्र मास के प्रथम नवरात्र से ठीक 1 माह पूर्व काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से चैती मंदिर तक ध्वज यात्रा निकाली जाती है. इसी क्रम में काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी की ध्वज यात्रा निकाली गई. जो मोहल्ला पक्काकोट स्थित नगर मंदिर से शुरू होकर गंगेबाबा चौक, मोहल्ला किला चौक, मुख्य बाजार, महाराणा प्रताप चौक, द्रोणासागर टीले के पीछे से होते हुए मां बाल सुंदरी देवी के चैती मंदिर पहुंचा. जहां धार्मिक अनुष्ठान के बाद मां का डोला वापस उसी रास्ते से होता हुआ मुख्य बाजार पहुंचा. यहां से डॉक्टर लाइन, मुल्तानी मोड, मुंशीराम चौराहा होते हुए यात्रा वापस नगर मंदिर पहुंची. इस दौरान मां की ध्वजा यात्रा में ढोल और डीजे के साथ-साथ ऊंट भी चल रहे थे.

पढ़ें: आदमखोर को पकड़ने की कवायद तेज, वन विभाग ने लगाए पिंजरे, ड्रोन से की जा रही निगरानी

बता दें कि, ध्वजा यात्रा वर्ष में दो बार भाद्रपद शुक्ल की द्वितीय तिथि और फाल्गुन मास को निकाली जाती है. ध्वजा यात्रा शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है और यह समय सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम के मिलने का है. ऐसे में संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना रहता है. ऐसी मान्यता है कि ध्वजा पताका पहनने के बाद नगर निवासी संक्रामक रोग से सुरक्षित हो जाते हैं. बता दें कि, काशीपुर में हर साल आयोजित होने वाले ऐतिहासिक चैती मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं और मेले का खूब आनंद लेते हैं. बीते साल कोरोना संक्रमण की वजह से चैती मेला आयोजित नहीं किया गया था.

काशीपुर: उधमसिंह नगर में काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी ऐतिहासिक चैती मेले का आगाज हो गया है. आगामी 2 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र के लिए कुमाऊं के प्रसिद्ध चैती मेले में मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से ध्वज यात्रा निकाली गई. मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से शुरू होकर यात्रा मां के चैती मंदिर पर पहुंची और परंपरागत धार्मिक अनुष्ठान के बाद वापस नगर मंदिर आकर समाप्त हुई. इस दौरान मां के प्रतीक रूप में नारियल को लेकर सहायक प्रधान पंडा मनोज अग्निहोत्री पालकी में विराजमान थे.

बता दें कि, हर साल चैत्र नवरात्रि के प्रथम नवरात्रि से काशीपुर के मां बाल सुंदरी मंदिर में चैती मेले का आयोजन किया जाता है. जोकि पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण आयोजित नहीं हो पाया था. चैत्र मास के प्रथम नवरात्र से ठीक 1 माह पूर्व काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी के नगर मंदिर से चैती मंदिर तक ध्वज यात्रा निकाली जाती है. इसी क्रम में काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी की ध्वज यात्रा निकाली गई. जो मोहल्ला पक्काकोट स्थित नगर मंदिर से शुरू होकर गंगेबाबा चौक, मोहल्ला किला चौक, मुख्य बाजार, महाराणा प्रताप चौक, द्रोणासागर टीले के पीछे से होते हुए मां बाल सुंदरी देवी के चैती मंदिर पहुंचा. जहां धार्मिक अनुष्ठान के बाद मां का डोला वापस उसी रास्ते से होता हुआ मुख्य बाजार पहुंचा. यहां से डॉक्टर लाइन, मुल्तानी मोड, मुंशीराम चौराहा होते हुए यात्रा वापस नगर मंदिर पहुंची. इस दौरान मां की ध्वजा यात्रा में ढोल और डीजे के साथ-साथ ऊंट भी चल रहे थे.

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बता दें कि, ध्वजा यात्रा वर्ष में दो बार भाद्रपद शुक्ल की द्वितीय तिथि और फाल्गुन मास को निकाली जाती है. ध्वजा यात्रा शहर के एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है और यह समय सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम के मिलने का है. ऐसे में संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना रहता है. ऐसी मान्यता है कि ध्वजा पताका पहनने के बाद नगर निवासी संक्रामक रोग से सुरक्षित हो जाते हैं. बता दें कि, काशीपुर में हर साल आयोजित होने वाले ऐतिहासिक चैती मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं और मेले का खूब आनंद लेते हैं. बीते साल कोरोना संक्रमण की वजह से चैती मेला आयोजित नहीं किया गया था.

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